,दैनिक इंडिया न्यूज,लखनऊ।इण्डिया टी0वी0 संवाद कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्मावलम्बी 22 जनवरी को अयोध्या में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और उत्साह व उमंग में एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं। श्री रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भारत के आत्म गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। हमारा देश अपने स्वयं के गौरव की पुनर्प्रतिष्ठा कर रहा है। इसलिए हम सभी को इस कार्यक्रम के साथ जुड़ना चाहिए। जो प्रभु श्रीराम के महत्व को नहीं समझ रहा, वह भारत को नहीं समझ रहा। यह श्रेय और प्रेय का समय नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर में दर्शन के लिए लोगों को दिक्कत न हो, इसके लिए वहां व्यवस्थाएं की जा रही हैं। हमारा प्रयास है कि प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु वहां दर्शन कर सकें और लोगों को ज्यादा समय तक इंतजार न करना पड़े। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए प्रबन्ध किए जा रहे हैं। उन्होंने अयोध्या आने के इच्छुक देश व प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि लोग बिना बताए अचानक न चलें। उत्साह, उमंग व भावावेश में पैदल न चलें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम का भव्य तीन मंजिला मन्दिर नागर शैली में बन रहा है। आगामी 22 जनवरी को प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से मन्दिर के भूतल पर श्री रामलला की भव्य मूर्ति विराजमान होने जा रही है। शास्त्रोक्त पद्धति व विधि-विधान के साथ सभी कार्यक्रम प्रारम्भ हो चुके हैं। 22 जनवरी, 2024 को यह सभी कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। देश और दुनिया के सनातन धर्मावलम्बियों, अनुनायियों, श्रद्धालुओं को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपरान्त एक निश्चित तिथि के बाद श्रीरामलला के दर्शन करने और नई अयोध्या को देखने का अवसर प्राप्त होगा।
श्रीराम मन्दिर में दर्शन के लिए लोगों को दिक्कत न हो, इसके लिए वहां व्यवस्थाएं की जा रही हैं। हमारा प्रयास है कि प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु वहां दर्शन कर सकें और लोगों को ज्यादा समय तक इंतजार न करना पड़े। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए प्रबन्ध किए जा रहे हैं। उन्होंने अयोध्या आने के इच्छुक देश व प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि लोग बिना बताए अचानक न चलें। उत्साह, उमंग व भावावेश में पैदल न चलें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम का भव्य तीन मंजिला मन्दिर नागर शैली में बन रहा है। आगामी 22 जनवरी को प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से मन्दिर के भूतल पर श्री रामलला की भव्य मूर्ति विराजमान होने जा रही है। शास्त्रोक्त पद्धति व विधि-विधान के साथ सभी कार्यक्रम प्रारम्भ हो चुके हैं। 22 जनवरी, 2024 को यह सभी कार्यक्रम सम्पन्न होंगे। देश और दुनिया के सनातन धर्मावलम्बियों, अनुनायियों, श्रद्धालुओं को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपरान्त एक निश्चित तिथि के बाद श्रीरामलला के दर्शन करने और नई अयोध्या को देखने का अवसर प्राप्त होगा।
श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में सीमित संख्या में लोग आ पाएंगे। श्रीराम मन्दिर में दर्शन कभी भी किया जा सकेगा। अलग-अलग तिथि पर लोग अयोध्या आएं। किसी को कोई समस्या नहीं आएगी। सभी राम भक्तों का स्वागत है। अयोध्या सभी के स्वागत के लिए तैयार है।
सनातन धर्मावलम्बियों की मर्यादा व संयमपूर्ण आचरण के कारण एक लम्बे संघर्ष की समाप्ति हुई है और अयोध्या में पवित्र श्रीराम जन्मभूमि पर श्रीराम का भव्य मन्दिर निर्मित हो रहा है।
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में आज नये भारत का निर्माण हो रहा है। गांव, गरीब, किसान, महिला, नौजवान सहित सभी वर्गां के लोगों के विकास के लिए कार्य किये जा रहे हैं। लोगों का प्रधानमंत्री जी पर अटूट विश्वास है। प्रधानमंत्री जी ने देश को एक नई पहचान दिलाई है। देश में सुरक्षा का एक बेहतर वातावरण दिया है। लोक कल्याणकारी योजनाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट के माध्यम से वह जनविश्वास पर वह खरे उतरे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण का कार्य कठिन था। प्रभु श्रीराम की कृपा से यह कठिन कार्य सम्पन्न हुआ है। इस कार्य में प्रधानमंत्री जी का नेतृत्व एवं मार्गदर्शन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने अपने दायित्वों का निर्वहन किया और प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मा0 सर्वाच्च न्यायालय ने न्याय और सत्य की कसौटी पर खरा उतरकर सर्वानुमति से अपने साहसिक एवं ऐतिहासिक निर्णय द्वारा 140 करोड़ लोगों के मन में न्याय के प्रति आस्था को सुदृढ़ किया है। आज इसके परिणाम हम सभी के सामने हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन में गोरक्षपीठ का महत्वपूर्ण योगदान है। उनके पूज्य दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं में थे। उन्होंने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि वह श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन से जुड़े रहे और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का उन्हें अवसर प्राप्त होगा। प्रभु श्रीराम की सेवा के लिए इससे बड़ा अवसर क्या हो सकता है।
पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के अध्यक्ष थे। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज, परमहंस श्री रामचन्द्र जी महाराज, पूज्य वामदेव जी महाराज सहित अन्य पूज्य संत-महात्माओं व राम भक्तों का एक ही लक्ष्य था कि वह सभी अपने जीवनकाल में प्रभु श्रीराम के मन्दिर निर्माण को अपनी आंखों से देख सकें। दर्जनों पीढ़ियों में हमारी पीढ़ी सबसे सौभाग्यशाली है कि हम अपनी आंखों के सामने प्रभु श्रीराम के भव्य मन्दिर के निर्माण कार्य को देख रहे हैं और इस कार्यक्रम को सफल बनाने में यथासम्भव योगदान दे पा रहे हैं। प्रभु श्रीराम के भव्य मन्दिर का निर्माण हम लोगों के जीवन का ध्येय था। यह ध्येय पूज्य संतों के संकल्प के कारण सिद्धि में परिवर्तित हो पा रहा है। यह अकल्पनीय व अकथनीय है। भारत ही नहीं, बल्कि विश्व में भारत को मानवता की धरती कहने वाला हर व्यक्ति इस दिन की प्रतीक्षा कर रहा है और इस अभियान से जुड़ रहा है।
हर देश की अपनी पहचान होती है। उसका अपना एक गुण होता है। जैसे कोई सात्विक प्रकृति का होता है, कोई राजसिक प्रकृति का होता है, कोई तामसिक प्रकृति का होता है। सबके लिए अलग-अलग गुणधर्म शास्त्रों में बताए गए हैं, ऐसे ही देश का भी होता है। भारत एक ऐसा देश है, जहां पर आस्था को व्यक्ति सर्वोच्च महत्व देता है। अलग-अलग कालखण्ड में देश की राजनीतिक सीमा छोटी-बड़ी होती रही। लेकिन शास्त्रों में हजारों वर्ष पहले भारत की सांस्कृतिक सीमा को जिस रूप में रेखांकित किया गया, वही सांस्कृतिक सीमा आज हमारी राजनीतिक सीमा है। शंकराचार्य जी ने देश के चारों कोनों में एक-एक पीठ की स्थापना की। भारतवर्ष में द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गयी। यह सभी चीजें दिखाती हैं कि भारत सांस्कृतिक रूप से आदिकाल से उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम में एक था। भारत की इस आस्था का सम्मान होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशी आक्रांता समझते थे कि जब तक भारत में यह आस्था बनी रहेगी, भारत की एकता अखंडता को कोई समाप्त नहीं कर सकता। भारत को दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनने से कोई रोक नहीं सकता है। बहुत से विदेशी आक्रांता सनातन धर्म की व्यवस्था में समरस हो गये। लेकिन मध्यकाल में कुछ विदेशी आक्रांताओं ने भारत की आत्मा पर प्रहार किया। श्रीराम मन्दिर भी इस हमले का शिकार बना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता के उपरान्त हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के लिए कार्य करने चाहिए थे। भारत के संविधान निर्माताओं ने आस्था को सम्मान दिया है। भारतीय संविधान की मूल प्रति में प्रभु श्रीराम के पुष्पक विमान से लंका से अयोध्या आने के चित्र को अंकित किया गया है। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने सोमनाथ मन्दिर के पुनरुद्धार कार्य को आगे बढ़ाया। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ0 राजेन्द्र प्रसाद भी इस कार्य से जुड़े। धर्म, पंथ और उपासना विधि में अन्तर है। सनातन धर्म पंथ और उपासना विधि नहीं है। हमारे यहां अनेक पंथ और उपासना विधियां हैं। लेकिन धर्म एक है, वह है सनातन धर्म। विश्व मानवता को जब भी संकट आया, भारत के सनातन धर्म ने आगे बढ़कर लोगां का हाथ थामा है।
श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम राजनीतिक नहीं है। राम भक्तों के सहयोग से प्रभु श्रीराम का भव्य मन्दिर निर्मित हो रहा है। मन्दिर निर्माण में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहयोग नहीं किया गया। मन्दिर परिसर के बाहर इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकार द्वारा विकसित किया जा रहा है। वहां सड़कों का चौड़ीकरण, आधुनिक रेलवे स्टेशन का निर्माण, डबल रेल लाइन, नये अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण, क्रूज सेवा प्रारम्भ करने का कार्य, मल्टी लेवल पार्किंग का निर्माण तथा मन्दिर परिसर के बाहर गेस्ट हाउस बनाने के कार्य जैसे विभिन्न निर्माण कार्य प्रदेश सरकार की पॉलिसी के अन्तर्गत कराये जा रहे हैं। आज ही अयोध्या से कोलकाता व बेंगलुरु के लिए वायु सेवा प्रारम्भ की गयी है। अब तक अयोध्या को 05 सिटी-दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, कोलकाता व बेंगलुरु के साथ हवाई सेवा से जोड़ा जा चुका है। यह कार्य निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में पंचकोसी, चौदहकोसी व चौरासीकोसी परिक्रमा भव्य रूप ले रही है। वहां के आश्रम व अन्य महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों को सजाया व संवारा जा रहा है। पूरी अयोध्या एक नई अयोध्या के रूप में स्थापित हुई है। अकेले अयोध्या में वर्तमान में 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट धरातल पर उतर चुके हैं या उन पर कार्य हो रहा है। अगले 10 वर्षों में अकेले अयोध्या के लिए 01 लाख करोड़ रुपये के नए प्रोजेक्ट आ रहे हैं। अयोध्या सोलर सिटी के रूप में स्थापित होगी। अयोध्या, नये भारत की नई अयोध्या होगी, जो दुनिया की सबसे खूबसूरत और सबसे सुन्दरतम नगरी के रूप में स्थापित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन अयोध्या का एक यूनिक इवेण्ट बन चुका है। दीपोत्सव कार्यक्रम अयोध्या की ब्राण्डिंग का सबसे सशक्त माध्यम बन चुका है। वहां के घाटों में स्वच्छता व सफाई साफ देखी जा सकती है। लम्बे-लम्बे घाट बन चुके हैं, जहां लाखों श्रद्धालु एक साथ स्नान कर सकते हैं।