हरिंद्र सिंह/डीडी इंडिया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज जनपद वाराणसी में टाइम्स वॉटर कॉन्क्लेव को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने माँ गंगा को स्वच्छ एवं अविरल बनाने के लिए ‘नमामि गंगे’ परियोजना की शुरुआत की। प्रधानमंत्री जी भारत की नदी संस्कृति को समृद्ध एवं विकसित बनाए रखने के लिए पूरी प्रतिबद्धता व ईमानदारी के साथ कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने नदी पुनरुद्धार के कार्यों को वास्तविकता के साथ धरातल पर उतारने का कार्य किया है
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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, देश का सर्वाधिक आबादी वाला राज्य है। दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी, भारत की आध्यात्मिक नगरी है। यह वॉटर कॉन्क्लेव जीवन जीने की कला व आने वाले जीवन को बचाने की जागरूकता का कार्यक्रम है। भारतीय मनीषियों ने जल को जीवन का पर्याय माना है। प्रधानमंत्री जी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे देश में घर-घर शौचालय बनवाने के कार्य को सम्पादित किया है। स्वच्छ भारत मिशन से लोगों में स्वच्छता की आदत का विकास हुआ है, जिसका लाभ हम सभी को कोरोना कालखण्ड में देखने को मिला है। इस स्वच्छता की आदत ने कोरोना के प्रभावी नियंत्रण में मदद की है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में इंसेफेलाइटिस की रोकथाम व उसके नियंत्रण में स्वच्छ भारत मिशन का प्रमुख योगदान है। इस क्षेत्र में इंसेफेलाइटिस के प्रकोप से पहले अनेक छोटे बच्चों की दुःखद मृत्यु हो जाती थी। प्रदेश सरकार ने अन्तर्विभागीय समन्वय, शौचालय व स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, स्वच्छता के प्रति जन-जागरूकता तथा स्वास्थ्य क्षेत्र की आधारभूत संरचना को मजबूत करते हुए इंसेफेलाइटिस सहित अन्य संक्रामक बीमारियों की रोकथाम में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है। आज इस क्षेत्र में इंसेफेलाइटिस से होने वाली दुःखद मौतों में 98 प्रतिशत की कमी आयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग से 02 करोड़ 61 लाख परिवारों को निःशुल्क शौचालय तय समय से पहले उपलब्ध कराए हैं। यह शौचालय नारी गरिमा की रक्षा के साथ ही, उत्तम स्वास्थ्य के वाहक के रूप में कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘नमामि गंगे’ परियोजना के कार्यों से आज माँ गंगा निर्मल व अविरल रूप से प्रवाहित हो रही हैं। दशकों तक गंगा जी में डॉल्फिन समाप्त हो चुकी थीं, किंतु अब गंगा जी में डॉल्फिन भी दिखाई दे रही हैं। गंगा नदी के स्वच्छ जल का सकारात्मक प्रभाव प्रयागराज कुम्भ-2019 में देखने को मिला है। कुम्भ में विभिन्न देशों के अतिथियों ने गंगा नदी के निर्मल जल में स्नान कर माँ गंगा के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर की। दिव्य एवं भव्य कुम्भ ने स्वच्छता, सुरक्षा व सुव्यवस्था के उत्कृष्ट मानक तय किए, जिसकी देश और दुनिया में प्रशंसा की गयी। प्रयागराज कुम्भ आज उत्तर प्रदेश का ब्राण्ड बन चुका है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बाढ़ नियंत्रण एवं रोकथाम के विभिन्न कार्यों को तय समय में उच्च गुणवत्ता व कम लागत के साथ क्रियान्वित कराए हैं। इसके लिए नदियों की डेªजिंग करते हुए उनको चैनलाइज किया गया है, साथ ही, विभिन्न अवस्थापनात्मक कार्यों को पूरा कराया गया है। जल संरक्षण की दिशा में व्यापक स्तर पर प्रदेश सरकार द्वारा कार्य किए जा रहे हैं। परिणामस्वरूप विगत दिनों बाढ़ के दौरान कोई भी तटबंध नहीं टूटे और जनहानि भी नहीं हुई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार नदियों को अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ने का कार्य भी कर रही है। वर्षा जल संरक्षण के लिए काशी एवं चित्रकूट मॉडल को अपनाया गया है। 15 से 25 हजार रुपये की कम लागत केे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के काशी मॉडल द्वारा भूगर्भ जल के शुद्धिकरण व उसके संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं। वर्षा जल संचयन द्वारा भूजल स्तर को बढ़ाने के चित्रकूट मॉडल को अपनाया जा रहा है। तालाबों को बड़े पैमाने पर पुनर्जीवित करने का काम हुआ है। जन सहभागिता व मनरेगा से बड़े पैमाने पर नदियों को पुनर्जीवित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्लास्टिक को बैन करने से पर्यावरण की साथ-साथ माटी कला से जुड़े कारीगरों के जीवन में भी बड़ा परिवर्तन आया है। इससे मिट्टी के बर्तन की खपत जहां बढ़ी है, वहीं पर्यावरण में भी गुणात्मक सुधार हुआ है। अप्रैल से जून तक माटी कला से जुड़े कारीगरों को गांवों में तालाबों की निःशुल्क मिट्टी मिलती है। इससे मिट्टी के उत्पादों की लागत में कमी आयी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गत साढ़े चार वर्ष में 100 करोड़ से अधिक वृक्ष उत्तर प्रदेश में लगाए गए हैं, जिसमें पीपल, बरगद, नीम, देशी आम व पाकड़ के पौधे प्रमुख हैं। जल जीवन मिशन एवं हर घर नल योजना प्रदेश में प्रभावी ढंग से संचालित है, जिसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहा है। दिसंबर 2021 तक बुंदेलखंड के सभी जनपद व विन्ध्य क्षेत्र के 2 जिलों को हर घर नल योजना योजना से शत-प्रतिशत आच्छादित कर दिया जाएगा। मार्च 2022 तक 22 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचन क्षमता से आच्छादित किया जाएगा। सरकारी भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य कर दी गयी है। रीसाइक्लिंग करके खराब जल को दोबारा अन्य कार्यों में प्रयोग करने का कार्य प्रदेश में प्रभावी ढंग से किया जा रहा है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने श्री अवनी कुमार, सुश्री उर्मिला देवी, सुश्री वर्षा मौर्या, श्री मेघनाथ, श्री सजल श्रीवास्तव, श्री रमन कांत व श्री राजीव त्यागी को जल संरक्षण के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री श्री अनिल राजभर, पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 नीलकंठ तिवारी, स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रविन्द्र जायसवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।