आप निराश इसलिए हैं कि भय ने और संदेह ने आपके अन्तःकरण पर अधिकार कर लिया है। आप को अपनी योग्यता के प्रति अविश्वास हो गया है,आप की सफलता और दुर्भाग्य की मानसिक प्रवृत्तियों ने आप को परास्त कर दिया है और आप को हीनता की भावना ने आप की मानसिक जगत में तूफान लाकर अस्त-व्यस्त कर डाला है। विचारों की यह परवशता ही आप को डूबो रही है। आप याद रखें जब तक आप किसी कार्य में हाथ नहीं डालेंगे, तब तक अपनी शक्ति का अनुमान कदापि नही कर पाएंगे। मनुष्य जब तक अपने आपको यह न समझ ले कि वह कार्य करने की क्षमता रखता है, तब तक वह पंगु ही बना रहता है।
आप को जो कुछ श्रेष्ठ जंचता है, जो कुछ आप की अन्तरात्मा कहती है उसे दृढ़ संकल्प-कर के अवश्य प्रारंभ करो। डरो नहीं, शंका, संदेह या अविश्वास की कोई बात नही, सोचो बल्कि कार्य शुरू कर ही डालो। प्रत्येक मनुष्य कुछ न कुछ जरूर कर सकता है और करेगा,हिम्मत न हारें। हिम्मत हमेशा बाजी मारती है। आप अपने सामर्थ्य और निश्चय बलों की अभिवृद्धि करते रहें, संसार में जो करोड़ों मनुष्य निराश हो रहे हैं उनका प्रधान कारण आत्मविश्वास की कमी है। वे श्रद्धा खो बैठे हैं और दूषित निष्प्रयोजन कल्पनाओं के ग्रास बने हैं आप इनसे सदैव बचे रहें।
आज से अपनी क्षूद्रता का चिंतन छोड़ें,जब कभी विश्व की विशालता पर विचार करने बैठें, तो अपने मन, शरीर, आत्मा की महान शक्तियों पर चित्त एकाग्र करें। शक्ति के इस केन्द्र पर मन स्थिर रखने से कोई दुर्बलता आपके अन्तःकरण में प्रवेश नहीं कर सकती। जब तक आप शक्ति के विशाल बिंदू पर समस्त शक्तियाँ को केन्द्रित करेंगे तब यह प्रतीत होगा कि आप पाषाण में, धातु में, वनस्पति में, प्रकृति में, पशु में और जिस किसी वस्तु में भी विशालता है, उन सब से आप की विशालता कहीं अधिक है। इन सब की विशालता की एक सीमा निश्चित है, किन्तु मनुष्य के शक्तियों की सीमा अपार है।