सीएम योगी ने बांदा में महाराजा खेत सिंह खंगार जूदेव की प्रतिमा का किया अनावरण
सीएम बोले, पीएम मोदी के मार्गदर्शन में बुंदेलखंड स्वर्ग बनने की ओर अग्रसर
हरिंद्र सिंह दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ/बांदा, 17 फरवरी: 12वीं सदी में जब देश विदेशी आक्रांताओं का सामना कर रहा था और देश के अंदर घुसपैठ हो रही थी, उस समय महाराजा खेत सिंह खंगार ने पृथ्वीराज चौहान का सहयोगी बनकर उनके हर उस युद्ध में सहभागी बने, जो उस समय भारत की एकता के लिए काफी आवश्यक था। यह मातृभूमि के प्रति उनके शौर्य और पराक्रम को दर्शाता है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को बांदा में महाराजा खेत सिंह खंगार जूदेव की प्रतिमा के अनावरण पर कही।
चौड़ी सड़कें और महापुरुषों की प्रतिमा हमें देती हैं नई प्रेरणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाराजा खेत सिंह ने पृथ्वीराज चौहान को इतना अभिभूत किया था कि उन्हाेंने महाराजा खेत सिंह को महोबा के शासक के रूप में स्वतंत्र राजा की मान्यता दी थी। आज हम सब क्षत्रिय खंगार जाति की वीरता की चर्चा करते हैं। बुंदेलखंड चाहे उत्तर प्रदेश का हो या मध्य प्रदेश का हो, उनकी संख्या गुजरात के साथ-साथ यहां पर भी बहुतायत के रूप में देखने को मिलती है। उनका यह लंबा गौरवमयी इतिहास 12 वीं से लेकर 21 वीं सदी के 900 वर्षों तक उस राजवंश की परंपरा की यादों को तरोताजा करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बुंदेलखंड विकास के साथ तेजी से जुड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में बुंदेलखंड अब सचमुच उत्तर प्रदेश ही नहीं देश का स्वर्ग बनने की ओर बढ़ता हुआ दिखाई देता है। यहां की चौड़ी सड़कें, महापुरुषों की भव्य प्रतिमा हमें नई प्रेरणा प्रदान कर रही हैं। ऐसे में हमें मातृभूमि के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करना होगा, जो राष्ट्र सर्वोपरि की प्रेरणा हम सबको दी गई है। राष्ट्र सर्वोपरि के इस मंत्र को ध्यान में रखकर राष्ट्रनायक पृथ्वीराज चौहान, महाराजा खेत सिंह खंगार, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह महाराज और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपना जीवन समर्पित किया। बुंदेलखंड का अपना गौरवशाली इतिहास है। उस इतिहास के साथ जुड़ करके हर भारतीय गौरव की अनुभूति करता है। यहां के वीर योद्धाओं, चंदेल राजाओं की चर्चा होती है। उन्होंने बुंदेलखंड के लिए बहुत कुछ किया है। आज जब हम अपने सामान्य वीर रस-छंदों और बुंदेलखंडी गायन को गाते हैं तो उसका नाम भी आल्हा पड़ गया। यह प्रेरणा का प्रताप है। भले ही हम आप राजनीतिक रूप से चाहे कितने भी एक दूसरे के प्रतिद्वंदी रहे होंगे, लेकिन मातृभूमि के प्रति सम्मान का भाव सदैव एक नई प्रेरणा हम सबको प्रदान करता है।