दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ /बाराबंकी, 10 जुलाई2024: संस्कृतभारती बाराबंकी जनपद, अवधप्रान्त द्वारा दस दिवसीय सरल संस्कृत भाषा प्रशिक्षण शिविर का सफल संचालन अलभ्य तिवारी द्वारा संपन्न हुआ। इस शिविर का आयोजन राधे राधे परिवार की महती भूमिका और सहयोग से संभव हो पाया। परिवार प्रमुख राधेश्याम, संजय जैन, और राजेन्द्र गुप्ता के सहयोग से संस्कृतभारती संगठन के अलभ्य, विदुषी, आनंद मोहन तिवारी, और सूरत तिवारी ने इस दस दिवसीय सरल संभाषण शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में उत्साही प्रतिभागियों को संस्कृत भाषा से अभिसिंचित किया गया।
इस अवसर पर प्रा. शि. सं. बाराबंकी के अध्यक्ष देवेन्द्र द्विवेदी और भाजपा के संस्कृत अनुरागी आनंद अवस्थी ने प्रशिक्षण में भाग लिया। चन्द्र प्रकाश गुप्ता, प्रबंधक, विश्राम सदन ने भी प्रशिक्षण गोष्ठी में सहभागिता व सहयोग कर समाज के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
शिविर का समापन समारोह संस्कृतभारती न्यास अवधप्रान्त के अध्यक्ष व संपर्क प्रमुख जितेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर जितेन्द्र प्रताप सिंह ने संस्कृत भाषा के महत्व और वेद, पुराण, उपनिषद के संचित ज्ञान को संस्कृति व समाज के बहुमुखी विकास और चरित्र निर्माण पर सरल व ग्राह्य विषयगत प्रस्तुत किया। उन्होंने अलभ्य व विदुषी के इस सफल प्रशिक्षण शिविर के प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन्हें अंगवस्त्र व दुर्गासप्तशती पुस्तक प्रदान कर सम्मानित किया।
जितेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने भाषण में संस्कृत भाषा की उपयोगिता और उसकी प्राचीन परंपरा को पुनः जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे ज्ञान और संस्कृति का भंडार है। इस भाषा में हमारे पुराण, वेद, उपनिषद, और अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथ संचित हैं, जो हमारे समाज के विकास और चरित्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं।
शिविर के प्रतिभागियों ने भी अपने अनुभव साझा किए और इस प्रकार के आयोजनों की नियमितता की मांग की, जिससे अधिक से अधिक लोग संस्कृत भाषा की महत्ता को समझ सकें और उसे अपने जीवन में उतार सकें।
अलभ्य तिवारी ने इस आयोजन के सफल समापन पर खुशी जाहिर की और सभी सहयोगियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के आयोजन से लोगों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि बढ़ती है और हमारी संस्कृति और धरोहर को संरक्षित करने में सहायता मिलती है।
राधे राधे परिवार की प्रमुख भूमिका और सहयोग से यह आयोजन संभव हो पाया। परिवार प्रमुख राधेश्याम, संजय जैन, और राजेन्द्र गुप्ता ने अपने सहयोग से यह साबित किया कि समाज के विभिन्न वर्गों के सहयोग से किसी भी आयोजन को सफल बनाया जा सकता है।
इस शिविर ने संस्कृत भाषा की महत्ता को फिर से स्थापित किया और समाज में इसके पुनरुत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।