पर्यावरण प्रदूषण एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति के नुकसान के दृष्टिगत पराली न जलाये किसान — जिलाधिकारी
नीलाम्बुज त्रिपाठी / दैनिक इन्डिया न्यूज
मऊ । पराली जलाने को लेकर शासन एवं मा० राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशों के क्रम में जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। इसकी निगरानी सेटेलाइट के माध्यम से दिन/ रात लगातार की जा रही है। जिलाधिकारी श्री अरुण कुमार के निर्देश पर सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों के आधार पर तहसील सदर के ग्राम कुशमौर के विनोद दुबे पुत्र रामकरन दुबे, तहसील मोहम्मदाबाद गोहना के ग्राम-फतेहपुर के अब्दुल, हसनैन, समतुल एवम् सुल्तान पुत्रगण अलाउद्दीन, ग्राम किन्नू पुर के अरुण कुमार एवम् अनिल कुमार पुत्रगण बैजनाथ, ग्राम सोनिसा के उमाशंकर एवं माया शंकर पुत्रगण बेचन,तहसील घोसी के ग्राम- बेला सुलतानपुर के रामपति पुत्र मथुरा, एवं तहसील मधुबन के ग्राम अहिरूपुर के धर्मेंद्र पुत्र बाबूलाल एवं पांती (सुल्तानपुर बारहगावां) के कुसुम पत्नी जगरनाथ सहित कुल 12 कृषकों पर रू० 2500-2500 के हिसाब से अर्थदण्ड लगाया गया है। इसके अतिरिक्त सभी तहसीलों के कई ग्रामों के किसानों को पराली न जलाने को लेकर नोटिस भी भेजी गई है। नोटिस भेजने के उपरांत इन पर भी गुण दोष के अनुसार अर्थदण्ड लगाया जायेगा। जिलाधिकारी श्री अरुण कुमार ने किसानों से पराली न जलाने के साथ ही पराली प्रबन्धन के यन्त्रों जैसे सुपर सीडर, मल्चर रिवर्सेबिल मोल्ड बोल्ड प्लाऊ अथवा हैप्पी सीडर का प्रयोग करके पराली को अपनी भूमि में मिलाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने को कहा। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण के नुकसान के साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाले लाभदायक कीट पतंगे आदि भी जल कर समाप्त हो जाते हैं,जिससे धीरे-धीरे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है। पराली जलाने की घटना को रोकने के लिए संबंधित राजस्व ग्रामों के लेखपालों की ड्यूटी भी लगाई गई है जो इन पर नजर रख सकें। जिलाधिकारी श्री अरुण कुमार ने पराली जलाने से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण एवं मिट्टी की उर्वरा शक्ति के नुकसान को देखते हुए लोगों से पराली न जलाने की अपील भी की।