CJI ने सुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने का दिया आदेश,
महिला मजिस्ट्रेट, लेफ्टिनेंट कर्नल और अब सिविल जज…जिला जज द्वारा मानसिक व यौन शोषण की सुनवाई न होने से आहत होकरCJI से की इच्छा मृत्यु की मांग,
दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ।भारत में वर्किंग महिलाओं की डेली रूटीन में सेक्सुअल हरर्समेंट की कड़वाहट का सच दिन प्रतिदिन उजागर होता ही जा रहा है। ऐसे ही एक मामला यूपी के बबेरू तहसील में सिविल जज के पद पर तैनात महिला जज का आया है जहाँ जिला जज द्वारा मानसिक और यौन शोषण का सामना करना पड़ा है।
बाराबंकी में तैनाती के दौरान कोर्ट में दुर्व्यवहार और जिला जज द्वारा मानसिक और यौन शोषण की शिकायत का संदर्भ देते हुए, महिला जज ने 2022 में मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद और प्रशासनिक न्यायाधीश से इस मामले की शिकायत की थी। लेकिन इसके बावजूद, आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, और किसी ने मुझसे इस विषय पर पूछने का प्रयास भी नहीं किया है।
सार
यूपी के बबेरू तहसील में सिविल जज के पद पर तैनात महिला जज की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई चिट्ठी ने जुडिशल क्षेत्र में भूचाल पैदा किया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए आधी रात को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट सेक्रेटरी जनरल अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने का आदेश जारी किया है। सेक्रेटरी जनरल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज द्वारा दी गई सारी शिकायतों की जानकारी मांगी है।
महिला जज के उत्पीड़न से संबंधित मामले में, हाईकोर्ट द्वारा किसी भी तरह की कार्रवाई न करने से सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना हो सकता है, और इसके परिणामस्वरूप हाईकोर्ट को कार्रवाई करनी पड़ सकती है।
हाईकोर्ट से स्टेटस रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद, सुप्रीम कोर्ट इस मामले में महत्वपूर्ण निर्णय पर पहुंच सकता है। सिविल जज ने बाराबंकी के जिला जज के खिलाफ मानसिक और यौन उत्पीड़न के आरोपों के बावजूद इच्छामृत्यु की अनुमति के लिए आवेदन किया था।
विस्तार
महिला जज ने अपने शिकायती पत्र में बताया है कि उनके स्थानांतरण के दौरान बाराबंकी कोर्ट में दुर्व्यवहार और जिला जज द्वारा मानसिक और यौन शोषण का सामना करना पड़ा। उन्होंने 2022 में मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद और प्रशासनिक न्यायाधीश से इस मामले की शिकायत की, लेकिन इस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और किसी ने इससे संबंधित सवाल नहीं किए हैं।
इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी
जुलाई 2023 में, महिला जज ने उच्च न्यायालय की आंतरिक शिकायत समिति से शिकायत की। इस जांच में प्रक्रिया धीमी गति से हुई, और 6 महीने में इसे पूरा किया गया, जिसमें एक हजार ईमेल लगे। सिविल जज ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से कोई न्याय ना मिलने पर ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा, जिसमें महिलाओं को हमेशा शोषित रहने का संदेश देते हुए अपने लिए इच्छा मृत्यु की अनुमति भी मांगी गई है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई चिठ्ठी
जब गुरुवार को इस आशय का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो जुडिशल क्षेत्र में हड़कंप मच गया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी इस पत्र को गंभीरता से लिया और आधी रात को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट में शिकायत से निपटने वाली आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष कार्रवाई की स्थिति के बारे में भी जवाब देने को कहा गया है। इसी समिति के सामने सिविल जज ने अपनी शिकायत दर्ज कराई थी।
सीजेआई ने लिया एक्शन
रिपोर्ट के अनुसार, रात के समय सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट सेक्रेटरी जनरल अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने का आदेश जारी किया है। सेक्रेटरी जनरल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज द्वारा दी गई सारी शिकायतों की जानकारी मांगी है। साथ ही, आंतरिक शिकायत समिति के सामने शिकायत की प्रक्रिया की स्थिति के बारे में भी पूछा गया है।
यह है आरोप
बता दें, उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात महिला सिविल जज द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। जज ने यौन प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए इच्छामृत्यु की मांग की है। चिट्ठी में दावा किया गया है कि एक पोस्टिंग के दौरान जिला जज और उनके करीबियों ने उनके साथ मानसिक और शरीरिक शोषण किया। इसके अलावा जिला जज ने रात में मिलने का उनपर दबाव भी बनाया।
चिट्ठी में अपना दर्द बयां किया महिला जज ने
महिला जज ने अपनी चिट्ठी में कहा, ‘मेरे साथ बहुत ही बुरा व्यवहार किया गया। मेरा काफी हद तक यौन शोषण किया गया। मुझे उम्मीद थी कि मैं दूसरों को न्याय दिलाऊंगी। मैं कितनी भोली थी। एक पोस्टिंग के दौरान जिला जज और उनके करीबियों ने मेरा यौन उत्पीड़न किया। मुझे रात में मिलने के लिए कहा गया था।’
उन्होंने आगे बताया कि उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश समेत अन्य अधिकारियों से इस मामले की शिकायत की, लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि किसी ने एक बार मुझसे यह पूछने की भी जहमत नहीं उठाई कि क्या हुआ, आप क्यों परेशान हैं।
महिला जज ने अपनी शिकायत के बावजूद, कोई कार्रवाई न होने से निराशा जाहिर करते हुए, एक चिट्ठी लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की। उन्होंने चिट्ठी में सीजेआई से कहा, ‘कृपया मुझे सम्मानजनक तरीके से अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति दें।’ उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा कि वे उत्साह से जज की परीक्षा देकर न्यायिक सेवा में आई थीं, लेकिन उन्हें भरी अदालत में दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा।
सेक्सुअल हरर्समेंट की कड़वाहट का सच दिन प्रतिदिन उजागर होता ही जा रहा है, महिलाओं पर हो रहे यौन शोषण के सच को सामने लाने के लिए ऐसे ही दो और मामलों को आपके सामने लाया जा रहा है।
पहला मामला एक पीसीएस अफसर का है, जिसने अपने ही नायब तहसीलदार के आतंक से परेशान होकर एफआईआर दर्ज कराई।
वहीं दूसरा मामला एक लेफ्टिनेंट कर्नल है, जिसने अपने ही साथी लेफ्टिनेंट कर्नल पर रेप का आरोप लगाया है।
ये दोनों ही वाकये आपको झकझोर कर रख देंगे और सोचने पर मजबूर कर देंगे कि सफल मानी जाने वाली ये कामकाजी महिलाएं जब सुरक्षित नहीं हैं तो आम महिला की सुरक्षा के बारे में क्या अंदाजा लगाएं?
पहला मामला
यूपी के ही बस्ती जिलें से पिछले दिनों एक मामले से लखनऊ तक हड़कंप मच गया। यहां एक महिला मजिस्ट्रेट ने एक नायब तहसीलदार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने लिखा कि मैं बस्ती सदर तहसील में तहसीलदार के पद पर तैनात हूं। यहां सरकारी आवास में अकेली रहती हूं। पड़ोस में एक अन्य तहसीलदार रहते हैं। उन्होंने 12 नवंबर की रात मेरे आवास में आकर मेरे साथ बदसलूकी की। रेप का प्रयास किया। जान से मारने की कोशिश की। महिला ने उस रात की जो दास्तां बयां की वह चौंकाने वाली थी।
उन्होंने बताया कि रात करीब एक बजे उनके दरवाजा खटखटाया गया। उन्होंने गेट नहीं खोला तो तहसीलदार पिछले दरवाजे को तोड़कर जबरदस्ती उनके आवास में घुस आए। उन्होंने गालियां दीं, बदसलूकी की और शरीर पर कई जगह काटा। कपड़े फाड़ डाले और रेप की कोशिश की। उनके विरोध पर मारने की कोशिश की। वह बेसुध हो गईं तो मरा समझकर हॉल में चला गया। जब मुझे होश आया तो मैं बिस्तर के नीचे छिप गई। वह फिर लौटा और बेड के नीचे से खींचने का प्रयास किया और रेप की कोशिश करने लगा। मैं बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई और घर के बाहर भागी। यहां उन्होंने बाहर आकर दरवाजा बंद कर लिया। इसके बाद वह पिछले कमरे से बाहर आ गया और हमला कर दिया। मैं अंदर आ गई इस दौरान वह दरवाजा तोड़ने का प्रयास करने लगा। कुंडी टूट गई लेकिन लैच अटक गया। उसने काफी कोशिश की लेकिन इसके बाद वह दाखिल नहीं हो सका। पिछले दरवाजे को भी मैंने बंद कर दिया। करीब डेढ़ घंटे वह रहा और ढाई बजे चला गया।
आपको जानकारी के लिए बता दें इस केस में पुलिस ने आरोपी नायब तहसीलदार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
महिला मजिस्ट्रेट की पुलिस से शिकायत
मैं जिस खौफ को महसूस कर रही हूं, उसे बयां तक नहीं कर पा रही हूं। घटना के बाद तीन दिनों तक उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था। वह अपने आवास पर डरी-सहमी बस रोती रहीं। फिर छुट्टी लेकर घर गईं और परिजनों को पूरी घटना बताई।
दूसरा मामला
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ की रहने वाली महिला लेफ्टिनेंट कर्नल इस समय लेह में तैनात है। उन्होंने पिछले दिनों वाराणसी पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की। लेह में तैनाती के दौरान वाराणसी के रहने वाले एक लेफ्टिनेंट कर्नल से उसकी दोस्ती हो गई। उसने शादी का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने परिवारवालों से बातचीत के बाद स्वीकर कर लिया। फिर 21 सितंबर काे उसने अपनी मां से मुलाकात के नाम पर वाराणसी बुलाया। घर पर ही ठहराया। लेकिन इसके बाद रात को वह उसके कमरे में आया और जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाए। महिला ने कहा कि आरोपी समलैंगिक चरित्र का है। इसके अगले दिन उसकी मां शादी के लिए दहेज की मांग करने लगी। विरोध करने पर उसके साथ हाथापाई की गई। फिर जब पुलिस केस की बात आई तो माफी मांगकर मामला रफा-दफा कर दिया।
यही नहीं उसके साथ अगली रात फिर रोप किया गया और वीडियो बना लिया। इसकी अगली सुबह उसकी मां ने गाली-गलौच करते हुए चाकू से उस पर हमला कर दिया। किसी तरह उसने अपनी जान बचाई। फिर मामला शांत हुआ तो दोनों ने शादी कर ली। वह यूनिट वापस लौटे तो आरोपी का व्यवहार बदल गया। जब उसने रजिस्टर्ड शादी की बात की तो वह भी 80 लाख रुपए की डिमांड करने लगा और मां से माफी मांगने की शर्त रख दी। महिला लेफ्टिनेंट कर्नल की शिकायत पर अब पुलिस जांच कर रही है।
NCRB के आंकड़े है …डराने वाले
हाल ही में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े जारी किए। इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में हर घंटे करीब 51 एफआईआर इस तरह के मामलों में दर्ज किए गए। इसमें यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, और मध्य प्रदेश जैसे पांच राज्यों में देश के 50 फीसदी मामले शामिल हैं। ये सारावियापक महिला उत्पीडन की चुनौती को दर्शाते हैं।
2022 में पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 एफआईआर दर्ज किए गए, जिसकी तुलना में 2021 में यह संख्या 4,28,278 थी, जबकि 2020 में 3,71,503 एफआईआर थे। प्रति एक लाख आबादी में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 66.4 प्रतिशत रही, जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दायर करने की दर 75.8 रही। एनसीआरबी के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अधिकांश (31.4 प्रतिशत) अपराध पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता किए जाने के थे, इसके बाद महिलाओं के अपहरण (19.2 प्रतिशत), शील भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमला (18.7 प्रतिशत) और बलात्कार (7.1 प्रतिशत) के मामले रहे।
इन 5 राज्यों में देश की 50 % F.I.R
2022 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध मामलों में 65,743 प्राथमिकी दर्ज की गईं, जो देश के 50% F.I.R. में से हैं। उसके बाद महाराष्ट्र (45,331), राजस्थान (45,058), पश्चिम बंगाल (34,738) और मध्य प्रदेश (32,765) आते हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, इन पांच राज्यों में से ही 2,23,635 (50 प्रतिशत) मामले सामने आए हैं। यूपी में 2021 में 56,083 और 2020 में 49,385 महिला अपराध मामले दर्ज किए गए थे।
2021 में यूपी में महिलाओं के खिलाफ 56,083 अपराध मामले दर्ज हुए, इसके बराबर 2020 में यह संख्या 49,385 थी।