ब्यूरो डीडी इंडिया न्यूज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश हर बार की तरह इसबार भी (आयोजक)श्री मती हेमलता त्रिपाठी जी ने छठ महा पर्व का आयोजन गोमती नदी के किनारे न जाकर अपने कॉलोनी विकास नगर सेक्टर 13 कदम्ब पार्क में कृत्रिम घाट बनवा कर किया । हेमलता जी ने कोविड प्रोटोकॉल को देखत हुए कहीं ज्यादा भीड़ भाड़ में न जाकर पास के पार्क में आयोजन करना ज्यादा उचित समझा।
छठ के पावन पर्व व्रती महिलाओं ने बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। सूर्योपासना के महापर्व पर श्रद्धा और तप का निराजल व्रत रखा। जलतरंग करतीं दीपमाला की दिव्य व अलौकिक छटा देखते बन रही थी। छठी माता के पारंपरिक गीतों से पूरा कदम्ब पार्क गूंजता रहा।
हमारे देश में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ। मुख्य रूप से इसे सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है
पौराणिक कथाओं के अनुसार
पुराण में इस बारे में एक और कथा प्रचलित है। एक अन्य कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियवद की पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परंतु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर शमशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।
उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि ‘सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरा पूजन करो तथा और लोगों को भी प्रेरित करो’। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।