गौमतीनगर एक्सटेंशन की सड़कें बनीं मौत का न्यौता, Dev Residency से Amity तक जलभराव और कीचड़ का आलम

स्कूल वैन पलटने की घटना ने खोली नगर निगम की पोल — नागरिकों ने दी चेतावनी, “अब होगा आंदोलन”

पार्षद गायब, प्रशासन मौन — राजधानी लखनऊ में लोग चलने को मजबूर नरक जैसी सड़क पर

दैनिक इंडिया न्यूज ब्यूरो,उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित गौमतीनगर एक्सटेंशन की सबसे महत्वपूर्ण सड़कों में से एक Dev Residency से लेकर Amity University गेट नंबर 4 तक की सड़क इस समय दुर्दशा का पर्याय बन चुकी है। Ishanika Estates, Loulai Road, और निज़ामपुर मल्हौर जैसे रिहायशी इलाकों से होकर गुजरने वाली यह सड़क आज की तारीख में जानलेवा फिसलन, भीषण कीचड़ और खतरनाक गड्ढों से भरी पड़ी है।

स्थिति इतनी भयावह है कि कल एक स्कूल वैन फिसल कर पलट गई, जिसमें कई स्कूली बच्चों की जान खतरे में पड़ गई। किस्मत से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, लेकिन अगली बार यह सौभाग्य नहीं भी हो सकता है।

लखनऊ में नरक से भी बदतर सड़कें!

स्थानीय लोगों का कहना है कि “यह सड़क नहीं, दलदल है!” — पैदल चलना भी संभव नहीं, गाड़ी चलाना तो दूर की बात है। स्कूल, कॉलेज, नौकरी और जरूरी कार्यों के लिए इस मार्ग से निकलने वाले नागरिक अब हर दिन अपनी जान हथेली पर रखकर चलने को मजबूर हैं। बारिश के बाद कीचड़ और गंदगी ने सड़क को नाले में बदल दिया है।

पार्षद से न कोई उम्मीद, न कोई संवाद

इलाके की पार्षद समाजवादी पार्टी से हैं और नागरिकों का आरोप है कि वे न जनता से मिलती हैं, न समस्याएं सुनती हैं। कॉलोनी के लोग कहते हैं:

“हमने वोट देकर गलती की। चुनाव जीतने के बाद कोई नहीं आता। अब हमें खुद सड़क पर उतरना होगा!”

नगर निगम और लखनऊ प्रशासन पर भी सवाल

लोगों ने सवाल उठाया है कि डबल इंजन की सरकार के बावजूद राजधानी लखनऊ की ऐसी दुर्दशा बेहद शर्मनाक है। क्या अमृतकाल में भी जनता को कीचड़ में घसीट कर चलना पड़ेगा? जब राजधानी की यह हालत है तो बाकी प्रदेश का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।

धरने की चेतावनी

स्थानीय निवासियों ने ऐलान किया है कि यदि 7 दिनों के भीतर सड़क मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ, तो वे नगर निगम कार्यालय और पार्षद के आवास के बाहर धरना प्रदर्शन करेंगे। कॉलोनीवासियों का कहना है:

“अब सब्र का बांध टूट चुका है। जब तक सड़क नहीं बनेगी, चैन से नहीं बैठेंगे!”


यह सड़क सिर्फ एक मार्ग नहीं, हज़ारों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी की जीवनरेखा है। अगर अब भी शासन-प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया, तो भविष्य में कोई भी हादसा सीधे नगर निगम और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की लापरवाही का नतीजा होगा।

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