
कौशल ने कहा — “रामजी ने अधिकार नहीं, कर्तव्य को चुना, यही सनातन धर्म की आत्मा है”

दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ।संस्कार भारती अवध प्रांत के तत्वावधान में आयोजित ‘श्रीराम जीवन संगीत’ कार्यक्रम में भगवान श्रीराम के आदर्शों को संगीत और नाट्य के माध्यम से अत्यंत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया। यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक संध्या रहा, बल्कि रामजी के आदर्शों के माध्यम से मर्यादा, भक्ति और राष्ट्रभक्ति की त्रिवेणी बन गया।

प्रभु श्रीराम के जीवन प्रसंगों की संगीतमय प्रस्तुति ने भावविभोर किया

कार्यक्रम की मुख्य विशेषता यह रही कि प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर लंका विजय तक की समूची कथा को संगीतमय मंचन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। त्याग, धर्म, प्रेम, करुणा और मर्यादा से ओतप्रोत यह प्रस्तुति दर्शकों के हृदय में गहरी छाप छोड़ गई।
ऑपरेशन सिंदूर के वीरों को समर्पित धन्यवाद-ज्ञापन
कार्यक्रम के दौरान हाल ही में सम्पन्न “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता पर भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को सलाम करते हुए सभी वीर जवानों को हृदय से धन्यवाद अर्पित किया गया। मंच से यह कहा गया—
“हमारी सेना के जांबाज़ जवानों ने बिना किसी नुकसान के दुश्मनों को करारा जवाब देकर राष्ट्र को गौरवांवित किया है। यह पराक्रम सैन्य कौशल और निष्ठा की मिसाल है-कौशल
दर्शकों ने करतल ध्वनि से भारतीय सेना के इस अभियान की सराहना की।
प्रांत प्रचारक कौशल के प्रेरक विचार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक कौशल ने अपने उद्बोधन में रामजी के जीवन प्रसंगों के माध्यम से सनातन मूल्यों की व्याख्या की। उन्होंने कहा—
“रामजी का वनगमन त्याग की पराकाष्ठा है। उन्होंने अधिकार नहीं, कर्तव्य को चुना। यही सनातन धर्म की आत्मा है — मर्यादा और सेवा।”
उन्होंने लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न के आदर्श चरित्रों को जीवन में अपनाने का संदेश दिया और कहा कि रामायण केवल महाकाव्य नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र व्यवस्था है।
विभा सिंह के निर्देशन में कलाकारों की सराहनीय प्रस्तुति
पूरे कार्यक्रम का निर्देशन संस्कार भारती की मंचीय कला प्रमुख डॉ. विभा सिंह द्वारा किया गया। उनके मार्गदर्शन में सभी कलाकारों ने अद्भुत समर्पण और रचनात्मकता के साथ प्रस्तुति दी। रामकथा के प्रत्येक प्रसंग को बाल कलाकारों और युवा कलाकारों ने भक्ति और भाव से मंच पर सजीव कर दिया।
कलाकारों का सम्मान और राष्ट्रीय सनातन महासंघ की सराहना
राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने सभी कलाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा—
“इन कलाकारों ने प्रभु श्रीराम की मर्यादा, त्याग और धर्म को नाट्य, संगीत और भावों से जनमानस तक पहुँचाया है। यह केवल प्रस्तुति नहीं, बल्कि तपस्या है जो राष्ट्र की आत्मा को छूती है।”
उन्होंने विशेष रूप से रिया मिश्रा, साची सिंह, सोनाक्षी अवस्थी, अंशिका खरे, सिमरन, वैष्णवी श्रीवास्तव, कुमार संकल्प, डॉ. पवन तिवारी, नरेंद्र मृदुल, मंजू मलकानी, डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी, गिरीश चंद्र मिश्रा, अमित कुमार, धर्मेंद्र सिंह, विनीत कुमार आदि का नाम लेकर सराहना की।
विशिष्ट अतिथि और सांस्कृतिक नेतृत्व
इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक अनिल, राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह, लखीमपुर से वरिष्ठ भाजपा नेता कुंवर रुद्र प्रताप सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता के.के. तिवारी, सुनील प्रांजल सचिन हरेंद्र समेत कई वरिष्ठ स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में गिरीश चंद्र मिश्रा (उपाध्यक्ष, राज्य ललित कला अकादमी), डॉ. विभा सिंह (उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी), डॉ. पवन तिवारी (वरिष्ठ तबला वादक), विनीत कुमार (दृश्य कला संयोजक) आदि वरिष्ठ सांस्कृतिक व्यक्तित्वों ने भी सहभागिता की।
“जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ भावपूर्ण समापन
कार्यक्रम का समापन सामूहिक “जय श्रीराम” के उद्घोष और भक्ति संगीत की स्वर लहरियों के साथ हुआ। यह आयोजन न केवल श्रीराम की भक्ति और जीवन मूल्यों का संदेशवाहक रहा, बल्कि भारत के सांस्कृतिक और सैन्य गौरव का एक जीवंत उदाहरण भी बन गया।