अवध बार एसोसिएशन में चंद्रा-तिवारी युग की शुरुआत — पूर्व अध्यक्ष त्रिपाठी ने दी शुभकामनाएं, जताया विश्वास

अवध बार एसोसिएशन चुनाव: एस. चंद्रा अध्यक्ष, ललित तिवारी महासचिव पद पर विजयी

ऐश्वर्य उपाध्याय दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ। खंडपीठ, इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर बुधवार की शाम गवाही बना एक ऐतिहासिक पल का, जब अवध बार एसोसिएशन के बहुप्रतीक्षित चुनाव परिणामों की घोषणा हुई। लंबे इंतज़ार और कड़ी टक्कर के बाद जैसे ही विजेताओं के नाम सामने आए, अधिवक्ता समुदाय में उल्लास की लहर दौड़ गई। चारों ओर से जयघोष की गूंज उठी, फूलों की वर्षा हुई और विजयी उम्मीदवारों का भव्य स्वागत किया गया। न्याय के मंदिर में यह क्षण केवल एक परिणाम नहीं, बल्कि अधिवक्ता एकता और लोकतांत्रिक चेतना का उत्सव बन गया।

अध्यक्ष पद पर चंद्रा की प्रचंड विजय — 591 मतों से हराया दिग्गज आई.पी. सिंह को

अवध बार एसोसिएशन के चुनाव में अध्यक्ष पद की जंग ने रोमांचक मोड़ लिया, लेकिन अंत में बाज़ी मारी एस. चंद्रा ने। वरिष्ठ अधिवक्ता आई.पी. सिंह जैसे दिग्गज को 591 मतों के भारी अंतर से मात देकर चंद्रा ने न केवल अपनी मजबूत संगठनात्मक पकड़ का लोहा मनवाया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि अधिवक्ता समुदाय का विश्वास आज उनके साथ है। उनकी यह निर्णायक जीत न केवल चुनावी परिणाम है, बल्कि अधिवक्ताओं की आकांक्षाओं और बदलाव की चाह का प्रतिबिंब भी है।

ललित तिवारी की ऐतिहासिक विजयगाथा — महासचिव पद पर पहले प्रयास में परचम लहराया, 124 मतों से रचा स्वर्णिम इतिहास!”

अवध बार महासचिव चुनाव में ललित तिवारी का ऐतिहासिक धमाकापहले ही प्रयास में बल्केश्वर को हराया, 124 मतों से प्रचंड जीत!

अवध बार एसोसिएशन के महासचिव पद पर इस बार जो इतिहास रचा गया, वह सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं बल्कि विश्वास, निष्ठा और जनसमर्पण की सच्ची जीत है। वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक वाजपेई ने इसे शब्द देते हुए कहा— “ललित किशोर तिवारी ने पहले ही प्रयास में 124 मतों से विजय प्राप्त कर न केवल बल्केश्वर श्रीवास्तव को परास्त किया, बल्कि एक नई उम्मीद, नई सोच और सशक्त नेतृत्व की शुरुआत भी की है।”

संगठन की धरती से उभरा एक सच्चा जननायक
यह जीत महज एक चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि संगठन में ललित तिवारी की वर्षों की साधना, सेवा और सक्रिय भागीदारी का प्रतिफल है। उपाध्यक्ष के कार्यकाल में उन्होंने जिस कर्मठता और संवेदनशीलता से कार्य किया, उसी की गूंज आज अधिवक्ता समाज की गली-गली में सुनाई दे रही है। मतदाताओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब नेतृत्व उसी को चाहिए जो हर मोर्चे पर उनके साथ खड़ा हो।

हर वर्ग में लोकप्रिय, हर दिल में बसे ललित तिवारी
ललित तिवारी की पहचान केवल वकीलों तक सीमित नहीं—चाहे ज़िला स्तर पर न्याय की तलाश में भटकता कोई पीड़ित हो, संघर्षरत कार्यकर्ता या कोई आम नागरिक, हर वर्ग में वे विश्वास और सहायता का चेहरा बन चुके हैं। उनकी जीत अधिवक्ता समाज के भीतर एक नई चेतना का संचार है—जो नेतृत्व अब केवल मंचों तक नहीं, ज़मीनी स्तर पर भी नज़र आता है।

यह जीत है नेतृत्व की, निष्ठा की और एक नई शुरुआत की, यह परिणाम साबित करता है कि जनता अब दिखावे से नहीं, अनुभव और समर्पण से नेतृत्व चुनती है। ललित तिवारी की यह ऐतिहासिक जीत अवध बार एसोसिएशन की राजनीति में एक नये युग की शुरुआत मानी जा रही है — जहां सेवाभाव, संघर्ष और समर्पण ही असली पहचान होंगे।

यह जीत उनके अकेले की नहीं, पूरे अधिवक्ता समुदाय की है जो अब एक सकारात्मक परिवर्तन चाहता है।” अशोक वाजपेई

अवध बार चुनाव में पदों की जंग बनी लोकतंत्र का उत्सव — हर पद पर उभरे नए चेहरे, नए विश्वास

अवध बार एसोसिएशन के चुनाव परिणामों ने यह साबित कर दिया कि अब अधिवक्ता समाज में बदलाव की बयार चल पड़ी है। उपाध्यक्ष (वरिष्ठ) पद पर डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने अनुभव और समर्पण की मिसाल पेश करते हुए जीत हासिल की। वहीं, उपाध्यक्ष (मध्य) के दो पदों पर हरिओम पाण्डेय और पवन कुमार सिंह ने अपने विचारशील चुनाव अभियान और अधिवक्ता कल्याण के संकल्पों के साथ सफलता पाई।

दोनों प्रत्याशियों ने पारदर्शी संगठन और सहभागिता पर बल देते हुए जो विश्वास अर्जित किया, उसने उन्हें जीत का सेहरा पहनाया। उपाध्यक्ष (कनिष्ठ) पद पर राघवेन्द्र पाण्डेय की विजय ने यह संदेश दिया कि अधिवक्ता समुदाय कर्मठता, सादगी और सेवा के मूल्यों को अब भी सर्वोच्च मानता है। उनकी छवि एक मिलनसार, जमीनी और सक्रिय अधिवक्ता की रही है, जो अब संगठन में नई ऊर्जा का संचार करेंगे। हर पद पर दिखी यह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा केवल चुनाव नहीं, बल्कि अधिवक्ता एकता, सहभागिता और जनभावना का भव्य उत्सव बनकर उभरी।

संयुक्त सचिव पद पर युवाओं की तिकड़ी का परचम — गौरव, अंगद और आशुतोष की जीत से बार परिसर में छाया उत्सव का माहौल

अवध बार एसोसिएशन चुनाव में संयुक्त सचिव पदों पर गौरव श्रीवास्तव, अंगद कुमार शुक्ल और आशुतोष सिंह ने शानदार जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि संवाद, पारदर्शिता और युवा भागीदारी अब संगठन की नई धड़कन बन चुके हैं। तीनों विजेताओं ने अपने चुनाव प्रचार में जिस विचारधारा को आगे रखा—एकजुटता, भागीदारी और पारदर्शी नेतृत्व—वह अधिवक्ताओं के दिलों को छू गई। जैसे ही परिणामों की घोषणा हुई, समर्थकों का जोश देखते ही बनता था। फूल-मालाओं की वर्षा, मिठाइयों की मिठास और गगनभेदी नारों के बीच बार परिसर उल्लास और उत्सव का प्रतीक बन गया। यह सिर्फ जीत नहीं, बल्कि युवाओं की सोच, नई दिशा और अधिवक्ता समाज के बदलते मिज़ाज का उद्घोष था।

पूर्व अध्यक्ष त्रिपाठी का नवचयनित टीम को आशीर्वाद — bar-bench समन्वय और अधिवक्ता हितों पर जताया भरोसा

अवध बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आनंदमणि त्रिपाठी ने चुनाव परिणामों के बाद नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को शुभकामनाओं का संदेश देते हुए उनके उज्ज्वल कार्यकाल की कामना की। उन्होंने उम्मीद जताई कि नई कार्यकारिणी केवल पदाधिकारियों का समूह नहीं, बल्कि अधिवक्ता समाज की सामूहिक आकांक्षाओं की प्रतिनिधि बनेगी।

त्रिपाठी ने विशेष रूप से बार और बेंच के बीच समन्वय को और अधिक सशक्त करने, न्यायिक कार्यों को सुचारु रूप से संचालित करने और वकालत पेशे को गरिमा प्रदान करने की दिशा में ठोस पहल की अपेक्षा जताई। उनका यह संदेश केवल शुभकामना नहीं, बल्कि अनुभव से उपजा वह विश्वास है जो आने वाले समय में संगठन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त करता है।

ललित तिवारी की जीत, मेरी आत्मिक संतुष्टि की जीत है” — पूर्व अध्यक्ष त्रिपाठी ने जताई गर्वपूर्ण प्रसन्नता

अवध बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष आनंदमणि त्रिपाठी ने महासचिव पद पर ललित तिवारी की विजय को केवल चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि संगठनात्मक मूल्यों की पुनः स्थापना बताया। उन्होंने गहरी भावनात्मक अभिव्यक्ति में कहा, “ललित तिवारी की जीत से जितनी प्रसन्नता उन्हें स्वयं को हुई होगी, उससे कहीं अधिक संतोष और गर्व मुझे है।”

त्रिपाठी ने तिवारी को एक ऐसा व्यक्तित्व बताया जो न केवल, कर्मठ और ईमानदार अधिवक्ता हैं, बल्कि वर्षों से संगठनात्मक जीवन में निष्ठा के जीवंत प्रतीक भी हैं। उपाध्यक्ष पद के दौरान उनके कार्यों ने जिस विश्वास की नींव रखी, वही अब विजय की मीनार बन गई।

इस अवसर पर त्रिपाठी ने सम्पूर्ण अधिवक्ता समाज की परिपक्व लोकतांत्रिक सोच की भी सराहना की और कहा कि यह चुनाव सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन नहीं, बल्कि उस नई चेतना का प्रतीक है, जिसमें अनुभव, पारदर्शिता और समर्पण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

नई कार्यकारिणी से अधिवक्ताओं को अब यह उम्मीद है कि संस्था की गरिमा को नई ऊंचाइयों तक ले जाकर, न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक मजबूत और मानवीय बनाया जाएगा।

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