लखनऊ से दिल्ली की यात्रा करने वाले यात्रियों को इंटरसिटी बस सेवा में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों ने आरोप लगाया है कि बस ऑपरेटर बिना किसी स्पष्ट नियमावली के मनमाने ढंग से लगेज चार्ज वसूल रहे हैं। यहां तक कि यदि यात्री ठंड में कंबल साथ ले जा रहे हैं या पॉली बैग अथवा हैंडबैग में सामान ले जा रहे हैं, तो भी उन्हें अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा है।
यात्रियों का कहना है कि बस सेवा प्रदाता की वेबसाइट पर लगेज चार्ज या अन्य किसी नियमावली की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। इसके चलते यात्रियों को यात्रा के दौरान अचानक चार्ज के लिए मजबूर किया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल यात्रियों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि यह उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन भी है।
इसके अलावा, वेबसाइट पर यात्रियों को गुमराह करने वाली जानकारी दी जा रही है। वेबसाइट पर बताया जाता है कि बस नहरिया से प्रस्थान करेगी, लेकिन असल में यात्रियों को ट्रांसपोर्ट नगर तक खुद के साधन से पहुंचने के लिए मजबूर किया जाता है। इस कारण यात्रियों को अतिरिक्त किराया और दौड़-भाग का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार, उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।
बस ऑपरेटरों द्वारा उपयोग की जा रही बसों का रजिस्ट्रेशन भी सवालों के घेरे में है। यात्रियों ने बताया कि यूपी से दिल्ली का सफर करने वाली इन बसों में से कुछ पर नागालैंड का और कुछ पर बिहार का रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज है। इसके अलावा, कई बसों पर नंबर इतने अस्पष्ट रूप से लिखे गए हैं कि उन्हें पढ़ पाना मुश्किल है। यदि किसी प्रकार की सड़क पर दुर्घटना हो जाए, तो बस का नंबर समझना भी मुश्किल हो सकता है, जिससे किसी भी घटना के बाद जांच प्रक्रिया जटिल हो सकती है।
सुविधाओं की कमी और अव्यवस्था भी यात्रियों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। न वेटिंग रूम की व्यवस्था है, न स्वच्छ शौचालय की। यात्रियों को कोई सहायता या शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया नहीं मिलती। बस ऑपरेटर अपनी मर्जी से बस संचालन कर रहे हैं, और यात्रियों की किसी भी समस्या की सुनवाई नहीं हो रही है।
यात्रियों ने मांग की है कि सरकार और परिवहन विभाग इस मुद्दे पर तुरंत संज्ञान लें और दोषी बस ऑपरेटरों के खिलाफ कार्रवाई करें। यात्रियों के अनुसार, यह शोषण एक बड़ी समस्या बन चुका है, जिससे न केवल उनकी यात्रा अनुभव प्रभावित हो रही है, बल्कि उनका आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।
यात्रियों के हित में यह आवश्यक है कि बस ऑपरेटरों के लिए एक स्पष्ट नियमावली बनाई जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए। साथ ही, बस स्टैंड पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं और लगेज चार्ज के लिए उचित सीमा तय की जाए। इसके अलावा, बसों के रजिस्ट्रेशन नंबर और उनकी सत्यता सुनिश्चित करने के लिए कड़े मानक लागू किए जाने चाहिए।
इस तरह के शोषण से यात्रियों में गहरा असंतोष फैल रहा है। संबंधित अधिकारियों और सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि यात्रियों को उनके अधिकार मिले और यात्रा का अनुभव बेहतर हो सके।
BUS N BR-06-पफ-4771 के ड्राइवर का भी है व्यवहार इतना बुरा था, ड्राइवर नशे में था। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां रोड सेफ्टी की बात कर रहे हैं वहीं पर इंटरसिटी बस की सर्विस भगवान भरोसे है।