उत्तर प्रदेश का ओडीओपी और स्टार्टअप मॉडल बना नई अर्थव्यवस्था की धड़कन

77 प्रोडक्ट्स को मिला जीआई टैग, प्रदेश तेजी से बन रहा फार्मा और बायोटेक्नोलॉजी का हब,


डॉ. जितेंद्र सिंह बोले- छोटे शहरों और गांवों के युवा बदल देंगे देश का भविष्य

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ। उत्तर प्रदेश का वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) अब सिर्फ प्रदेश का नहीं, बल्कि देश और दुनिया का ब्रांड बन चुका है। सरकार 2 लाख करोड़ रुपये के एमएसएमई उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने में जुटी है। यही वजह है कि प्रदेश का हर जिला अपनी पहचान और रोजगार का केंद्र बनता जा रहा है।

प्रदेश के 77 उत्पादों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिल चुका है। इसका सीधा असर यह हुआ है कि इनकी मांग न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी लगातार बढ़ रही है। सरकार की यह रणनीति प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर ले जा रही है।

एनबीआरआई, सीडीआरआई, आईआईटीआर और सीमैप जैसे संस्थान शोध और नवाचार से इस अभियान को और धार दे रहे हैं। एनबीआरआई ने 9 लाख एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती का मॉडल खड़ा कर किसानों को नई दिशा दी है। वहीं, सीडीआरआई दवाओं की खोज में जुटा है और प्रदेश सरकार फार्मा व मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित कर उत्तर प्रदेश को फार्मा हब बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कार्यक्रम में स्पष्ट कहा—“आज देश के छोटे शहरों और कस्बों के युवाओं की उड़ान बड़ी है। हमारे 50 प्रतिशत से अधिक स्टार्टअप टियर-टू और टियर-थ्री शहरों से आ रहे हैं। इनमें 60 प्रतिशत महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं। यह नया भारत है, जो गांव और छोटे कस्बों से निकलकर वैश्विक मंच पर खड़ा हो रहा है।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया नेशनल क्वांटम मिशन उत्तर प्रदेश को एक अलग पहचान देगा। देश का पहला क्वांटम सेंटर नोएडा में बनेगा और इसके साथ ही प्रदेश में बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित करने की तैयारी भी तेज है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रफ्तार बरकरार रही तो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश न सिर्फ कृषि, बल्कि फार्मा, बायोटेक और स्टार्टअप्स का सबसे बड़ा पावरहाउस बन जाएगा।

इस मौके पर सीएसआईआर से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान और गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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