चाँद की ओर 2 बजकर 35 मिनट पर बढ़ चला अपना चंद्रयान-3, मिशन सफल होते ही बदल जायेगा इतिहास

फ्रांस दौरे पर पी.एम.बोले चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिख दिया है

नांबी नारायणन बोले “हमारा मिशन होगा सफल”

इसरो के वैज्ञानिकों को लंदन स्पेस एजेंसी ने दी बधाई

ऐश्वर्य उपाध्याय दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ। चंद्रयान-3, भारत के चंद्र मिशन की लॉन्चिंग सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। इस मिशन का प्रारंभ श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र, आंध्र प्रदेश से किया गया है। चंद्रयान-3 में वैज्ञानिकों का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर एक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाले लैंडर को अंतरिक्ष से नीचे उतारना है। ‘चंद्रयान-2’ मिशन के दौरान, अंतिम क्षणों में लैंडर ‘विक्रम’ को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफलता नहीं मिली थी। इस बार यदि इस मिशन में सफलता होती है, तो भारत अमेरिका, चीन, और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों की सूची में शामिल हो जाएगा। इसरो ने अगस्त के अंत तक ‘चंद्रयान-3’ के लिए ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना बनाई है। यह मिशन भविष्य के इंटरप्लैनेटरी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होने की उम्मीद है। चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी प्राणोदय मॉड्यूल, एक लैंडर मॉड्यूल, और एक रोवर शामिल हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्षीय अभियानों के लिए नवीनतम तकनीक का विकास और प्रदर्शन है।

पीएम मोदी ने सफल प्रक्षेपण पर कहा कि चंद्रयान-3 ने आज एक नया अध्याय लिख दिया है भारत की अंतरिक्ष यात्रा में। इससे हमारे सपने और महत्वाकांक्षाएं ऊपर उठी हैं और यह एक महान उड़ान है। इससे हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण मिलता है। मैं उनकी भावनाओं और प्रतिभाओं को सलाम करता हूँ।

चंद्रयान-3 ने अपनी सटीक कक्षा में चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू की है, जैसा कि इसरो ने बताया है। यह अंतरिक्ष यान पूरी तरह सामान्य ढंग से व्यवहार कर रहा है। परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल और इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने LVM3 M4 वाहन को सफलतापूर्वक कक्षा में लॉन्च करने के बाद अपनी खुशी दिखाई है।

चन्द्रयान-3 प्रक्षेपण हेतू लखनऊ से आमंत्रित जे पी सिंह हुए साक्षी

लखनऊ के जे पी सिंह वरिष्ठ समाज सेवी को चन्द्रयान 3 के प्रक्षेपण के लिए साक्षी होने का अवसर इसरो द्वारा प्रदान किया गया। श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र से विश्व मे भारत के अंतरिक्ष मिशन को सफलतापूर्वक सम्पन्न किए जाने के साक्षी हुए जे पी सिंह ने भारत के विज्ञानियों को इस सफल प्रक्षेपण के लिए अंतर्मन पटल से बधाई देते हुए कहा कि भारतीय वैज्ञानिक अंतरिक्ष मे नई उंचाई प्राप्त कर राष्ट्र को गौरवान्वित कर रहे हैं। प्रक्षेपण का वह क्षण जीवन के यादगार पलों मे स्वर्णिम यादें बनाने के लिए सम्पूर्ण टीम इसरो को बहुत बहुत बधाई जिनके अप्रतिम प्रयासों से यह सम्भव हो सका।प्रक्षेपण की गड़गड़ाहट व धरती का कम्पन असीमित रोमांच से उपस्थित समस्त समुदाय को अह्लादित कर गया। जे पी सिंह ने उपस्थित वरिष्ठ वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत भेंट कर भी शुभकामनाए प्रेषित करते हुए आमंत्रण हेतू आभार व्यक्त किआ।

अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की देश में बढ़ेगी क्षमता : नंबी नारायणन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने इस आदर्श मिशन की प्रक्षेपण से पहले बताया था कि जब यह मिशन सफलतापूर्वक सम्पन्न होगा, तब भारत विश्वभर में चौथा राष्ट्र बनेगा और इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान की क्षमता में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा था कि यह भारत को वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा। वर्तमान में भारत की विश्व वाणिज्यिक हिस्सेदारी केवल दो प्रतिशत है, जिसमें 600 अरब डॉलर का व्यापार शामिल है।

चंद्रयान-3 तीन में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है। इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है। चंद्रयान 3 के लॉन्च को देखने के लिए कई स्कूलों के क़रीब 200 स्टूडेंट्स स्पेस सेंटर पर पहुंचे थे। इस दौरान हज़ारों लोग स्पेस सेंटर पर मौजूद दिखे।
इस मिशन में चंद्रयान का एक रोवर निकलेगा जो चांद की सतह पर उतरेगा और लूनर साउथ पोल में इसकी पोजिशनिंग होगी।

मिशन के सबसे बड़े जोखिम को क्या हमारा चंद्रयान-3 कर पायेगा पार ?

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा है कि चांद पर यात्रा करते समय पहला जोखिम यह है कि यात्री यान को पूरी तरह से कंप्यूटरों के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। मानव स्वरूप के रूप में, आप चार लाख किलोमीटर दूर बैठे हुए इसे संचालित नहीं कर सकते। यह पूरी तरह से Artificial Intelligence की सहायता से काम करता है।

चांद पर एक और महत्वपूर्ण बात है कि वहाँ कोई GPS सिस्टम नहीं है। जब हम धरती पर गाड़ी चलाते हैं, तब हमें GPS के माध्यम से कई जानकारियाँ मिलती हैं। ड्राइवरलेस कारें GPS तकनीक पर निर्भर करती हैं, लेकिन चांद पर ऐसा संभव नहीं है। आपको वहाँ पता नहीं चलेगा कि आप कहाँ हैं, किस क्षेत्र में हैं, कितनी दूर हैं। इन सभी तथ्यों को वे ऑनबोर्ड सेंसर के माध्यम से निर्धारित करने होंगे, जिससे दो-तीन नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। अच्छी खबर यह है कि इस बार इसरो के मेहनती वैज्ञानिकों ने इन सभी तथ्यों का विचार रखा है।

सफल प्रक्षेपण पर साइंटिस्ट्स से भरा पूरा हॉल खुशी के आंसुओं में डूब गया

हमें यही बताया जाता है कि खुशी के पहले तनाव आता है। हालांकि, डर के सामने विजय भी होती है। इसलिए, यह जीत प्राप्त की गई है। जब इसरो केंद्र में तनाव में बैठे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित होते देखा, तो सभी खुशी से उछल पड़े।

7..6..5..4..3..2..1..0 और फिर सबने एक दूसरे को खुशी से गले लगा लिया

जब रॉकेट चंद्रयान को ऊपर उड़ाने लगा, तो ठीक उसी समय कुछ देर तक शांति छाई रही। लगभग दो मिनट बाद, पहले स्टेज के पूरा होने पर सभी खुशी से उछल पड़े। उन लोगों के चेहरों पर, जो पहले थोड़े तनाव में थे, थोड़ी सी मुस्कान दिखी। हालांकि, यह मुस्कान अभी अधूरी है। वे जानते हैं कि अगले 42 दिनों तक चांद की दूरी निर्धारित की जाएगी।

श्रीहरिकोटा, आंध्रप्रदेश से शुरू हुई इस सफल लॉन्चिंग ने देश को एक गौरवपूर्ण पल दिया है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने निर्धारित मिशन पर पहुंचते ही, खुशी के ताप सभी चेहरों पर दिखी। इसरो के चेयरमैन, सोमनाथ, जो तनाव से चिपके हुए चुंबक की तरह अपनी कुर्सी पर थे, उन्होंने उछल कर अपनी खुशी जताई।

कांग्रेट्स इंडिया !

चंद्रयान 3 ने पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थानांतरित हो जाने पर, सतीश धवन अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में खबर के साथ हॉल में तालियों की गूंज सुनाई दी। इसरो चेयरमैन सोमनाथ ने अपनी कुर्सी से उछलते हुए सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने सभी के साथ गले मिले और उत्साहित थे। सोमनाथ ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से हाथ मिलाया, जिन्हें वह भागते हुए मिलने पहुंचे। चेयरमैन ने कहा, “कांग्रेट्स इंडिया!” उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की शानदार यात्रा शुरू हो गई है और चंद्रयान-3 को बहुत-बहुत बधाई दी। उन्होंने इस सफल प्रक्षेपण के साथ यही भी बताया कि हमारा मिशन अभी पूरा नहीं हुआ है।

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