जन सेवा केंद्र और लाइनमैनों की साठगांठ बनी लूट का अड्डा

क्षेत्र में चर्चा का विषय, अधिकारी मौन

दैनिक इंडिया न्यूज़, सोनभद्र।एक ओर जहाँ सरकार और सामाजिक संगठन लगातार जनता को धोखाधड़ी से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ शातिर तत्व ऐसे हैं जो नियम-कायदों को ताक पर रखकर लोगों को ठगने से बाज नहीं आ रहे। सोनभद्र जनपद के करमा ब्लॉक अंतर्गत रानीतारा उपकेंद्र के अंतर्गत कार्यरत लाइनमैन शंकर तथा पगिया नहर स्थित अनन्या इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सहज जन सेवा केंद्र के संचालक चंद्रशेखर मौर्य पर ठगी का संगठित गिरोह चलाने के गंभीर आरोप लगे हैं।

जैसे ही कोई उपभोक्ता बिजली कनेक्शन के आवेदन हेतु इस जन सेवा केंद्र पर पहुँचता है, वहीं से कथित लूट की शुरुआत होती है। पगिया चक निवासी महेश मौर्य उर्फ बुल्लू ने 1 KVA के विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन किया, पर उन्हें इस बात का अंदेशा नहीं था कि वे एक संगठित ठगी का शिकार बनने जा रहे हैं।

सहज केंद्र संचालक ने उन्हें मीठे शब्दों में बहला-फुसलाकर स्मार्ट मीटर की खूबियाँ बताईं और ₹7062 का भुगतान 30 सितंबर दोपहर 12:59 बजे अपने क्यूआर कोड पर मँगवा लिया। उन्होंने यह कहकर उपभोक्ता को आश्वस्त किया कि “PUVVNL की वेबसाइट फिलहाल काम नहीं कर रही है, जैसे ही वेबसाइट चालू होगी, आवेदन कर देंगे।” करीब 20 दिन बाद उपभोक्ता ने जब प्रगति पूछी तो फिर ₹1022 का भुगतान 10 अक्टूबर को PUVVNL की आधिकारिक वेबसाइट पर कराकर रसीद दे दी गई। 23 अक्टूबर की शाम 5 बजे उपभोक्ता के घर स्मार्ट मीटर तो लगा, लेकिन बिजली का तार जोड़ने से इनकार कर दिया गया।

जब उपभोक्ता ने लाइनमैन शंकर को फोन कर तार जोड़ने का अनुरोध किया, तो उसने अगले दिन आने की बात कही। दूसरे दिन जब वह पहुँचा, तो ₹500 की रिश्वत की मांग की। काफी अनुरोध के बाद उसने ₹200 लेकर तार जोड़ा। संवाददाता द्वारा गुप्त रूप से की गई फोन वार्ता में स्वयं लाइनमैन ने इस लेन-देन की बात स्वीकार की, जिसकी रिकॉर्डिंग रानीतारा के जेई अनिल कुमार को जांच हेतु भेजी गई है।

इस बीच अनन्या इलेक्ट्रॉनिक्स के संचालक चंद्रशेखर मौर्य का कहना है कि “उपभोक्ता के बेटे की शादी में हमने वीडियोग्राफी की थी, जिसकी ₹20,000 बकाया राशि में से पैसे काटे गए।” वहीं पीड़ित उपभोक्ता का कहना है कि “ऐसी कोई जानकारी हमें नहीं दी गई।” उन्होंने यह भी बताया कि कनेक्शन के आवेदन के बाद आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने उक्त इलेक्ट्रॉनिक दुकान से ₹2400 का उधार केबल भी लिया था, जिसका भुगतान अभी बाकी है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि मात्र ₹1022 के भुगतान पर स्मार्ट मीटर कैसे लग गया? संभवतः सरकारी कोष से खरीदे गए सामान्य मीटरों के नाम पर उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगाकर विभाग और जनता, दोनों से लूट की जा रही है।

फोन रिकॉर्डिंग में सहज जन सेवा केंद्र संचालक ने स्पष्ट कहा है—

“हमारे यहाँ आज से नहीं, बहुत पहले से ऐसे ही काम होते आए हैं। अगर काम कराना है तो ले-देकर ही होगा, यही नियम है।”

पगिया नहर के समीप पान की गुमटी चलाने वाले एक व्यक्ति ने भी यही आरोप दोहराया। उनके अनुसार, “कनेक्शन के समय शंकर लाइनमैन ने ₹500 की माँग की थी और अंततः ₹400 लेकर ही तार जोड़ा।” इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो साक्ष्य भी उपलब्ध बताया जा रहा है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विभाग इस पूरे मामले में कब तक मौन साधे रहेगा — क्या यह लूट और भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुँचने का साहस करेगा या फिर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय चुप्पी ओढ़े रहेगा?

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