दीपावली पर वायु प्रदूषण का बढ़ता संकट: CSIR-IITR की रिपोर्ट ने किया सचेत

प्रदूषण मानकों को पार कर गया दीपावली का PM10 और PM2.5 स्तर

दैनिक इंडिया न्यूज,लखनऊ, 2 नवंबर 2024 – दीपावली के दौरान पटाखों के उपयोग से वायु प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि हुई है। CSIR-IITR के पर्यावरण मॉनिटरिंग लैब, ASSIST डिवीजन द्वारा किए गए ताज़ा सर्वेक्षण में इस बढ़ते संकट के पुख्ता प्रमाण सामने आए हैं। अध्ययन के अनुसार, दिवाली के दौरान PM2.5 और PM10 प्रदूषक तत्वों की सांद्रता ने राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (NAAQS) को कई गुना पार कर लिया, जो स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।

सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष: दिवाली से पहले, दिवाली के दिन, और दिवाली के बाद का वायु गुणवत्ता विश्लेषण

शोध में 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक तीन दिनों का डेटा एकत्र किया गया। इसके अनुसार:

PM10 का स्तर दिवाली की रात में 552 µg/m³ तक पहुंच गया, जो राष्ट्रीय मानक 100 µg/m³ से कई गुना अधिक है।

PM2.5 का स्तर दिवाली की रात में 395 µg/m³ तक रिकॉर्ड किया गया, जो निर्धारित सीमा 60 µg/m³ से काफी अधिक है।

प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक

रिपोर्ट में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, साथ ही व्यक्तिगत स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय भी सुझाए गए हैं, जिनसे लोगों को वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचाव में मदद मिल सकती है:

  1. वायु गुणवत्ता निगरानी: दिवाली के दौरान प्रदूषण की निगरानी के लिए नीति के अनुसार रणनीतिक स्थानों पर निगरानी केंद्र स्थापित किए जाएं और वायु गुणवत्ता सूचकांक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाए।
  2. ग्रीन पटाखों को बढ़ावा: पारंपरिक पटाखों की जगह कम उत्सर्जन वाले ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल प्रोत्साहित किया जाए।
  3. अवैध पटाखों पर नियंत्रण: अवैध पटाखों के उत्पादन और विपणन पर सख्त नियंत्रण रखा जाए।
  4. खुले स्थानों का चयन: पटाखे जलाने के लिए खुले और ऊंचे स्थानों को चुना जाए ताकि प्रदूषण का प्रसार आसानी से हो सके।
  5. उत्सव पश्चात कचरे का प्रबंधन: दिवाली के बाद सभी कचरे का उचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए ताकि स्वास्थ्य और पर्यावरण पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
  6. संवेदनशील क्षेत्रों में पटाखों पर प्रतिबंध: सड़कों, राजमार्गों, और शांत क्षेत्र में पटाखों के इस्तेमाल पर सख्ती से प्रतिबंध लागू किया जाए।
  7. जागरूकता अभियान: पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए दिवाली पूर्व जन-जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाए।
  8. वायु गुणवत्ता सुधार के लिए एंटी-पॉल्यूशन उपकरणों का उपयोग:

एयर प्यूरीफायर: घरों और कार्यस्थलों में एयर प्यूरीफायर का उपयोग कर वायु गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

मास्क और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण: उच्च प्रदूषण स्तर वाले दिनों में व्यक्तिगत मास्क पहनने और बाहरी गतिविधियों से बचने की सलाह दी जाती है।

एंटी-ऑक्सीडेंट युक्त आहार: विटामिन सी और ई जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स युक्त आहार प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से शरीर की रक्षा करने में सहायक हो सकते हैं।

चेतावनी: स्वास्थ्य पर संभावित दीर्घकालिक प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता और नियंत्रण के ठोस प्रयास नहीं किए गए, तो यह श्वसन संबंधी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इसमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी गंभीर बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी का खतरा है, जिससे फेफड़ों पर गहरा असर पड़ेगा और लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। इसके अलावा, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य सांस संबंधी बीमारियों का प्रसार भी बढ़ सकता है।

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