धरोहर में गूंजी पद्मश्री रोनू मजूमदार की बंसी, पं. रघुनंदन पणशीकर का अलौकिक गायन

दैनिक इंडिया न्यूज़,लखनऊ, 14 नवम्बर। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के स्थापना दिवस समारोह ‘धरोहर’ ने गुरुवार को संत गाडगे जी महाराज ऑडिटोरियम में शास्त्रीय संगीत की अद्भुत छटा बिखेर दी। समारोह का मुख्य आकर्षण रहे मुंबई के प्रतिष्ठित पद्मश्री रोनू मजूमदार का सुरमयी बांसुरी वादन और पुणे के विख्यात गायक पंडित रघुनंदन पणशीकर का मनोवेगपूर्ण गायन, जिनकी भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने वातावरण को रस-मग्न कर दिया।

दीप प्रज्वलन के उपरांत अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत और उपाध्यक्ष विभा सिंह का पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।


अकादमी के अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत ने बताया कि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की स्थापना 13 नवंबर 1963 को हुई थी। 62 वर्षों से यह संस्था गायन, वादन, नृत्य और रंगकर्म के क्षेत्रों में नवांकुर प्रतिभाओं को प्रोत्साहित कर रही है तथा राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों को आमंत्रित कर युवा कलाकारों को प्रेरणा प्रदान कर रही है। धरोहर इसी परंपरा की निरंतरता है।

कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया।
समारोह में पद्मश्री रोनू मजूमदार ने राग झिंझोटी के अलाप से प्रस्तुति की शुरुआत की और जोड़–झाला के माध्यम से राग का व्यापक स्वरूप दर्शाया। रूपक ताल में दी गई उनकी प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बांसुरी पर अर्थव प्रताप सिंह ने संगत कर रोनू मजूमदार का आशीर्वाद प्राप्त किया, जबकि तबले पर सपन अंजरिया ने सधी हुई संगत दी।

इसके बाद पंडित रघुनंदन पणशीकर ने राग यमन से गायन की शुरुआत की। अपने गुरु किशोरी अमोनकर को नमन करते हुए उन्होंने प्रसिद्ध बंदिश “मो मन लगन लागी” प्रस्तुत की, जिसने सभागार में अनुपम शांति बिखेर दी। इसके पश्चात पारंपरिक द्रुत रचना “ए री आली पिया बिन” के माध्यम से उन्होंने कार्यक्रम को नई ऊँचाइयाँ दीं। अंत में उन्होंने पंडित भीमसेन जोशी और लता मंगेशकर द्वारा प्रसिद्ध भजन “बाजे रे मुरलिया बाजे” प्रस्तुत कर दर्शकों की प्रशंसा अर्जित की।
साथी कलाकारों में हारमोनियम पर क्षितिज सिंह, तबले पर विनोद लेले, तथा तानपुरा और गायन में राजपाल सिंह और अपर्णा पणशीकर ने प्रभावी सहयोग दिया।

समारोह में ग्वालियर स्थित राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर, बिरजू महाराज कथक संस्थान की अध्यक्ष डॉ. कुमकुम धर, उपाध्यक्ष मिथलेश तिवारी, पूर्व आईएएस अनीता भटनागर जैन, वरिष्ठ गायिका पद्मा गिडवानी सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।

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