‘नमन’ : लखनऊ घराने की कथक परंपरा को मिला नया आयाम

पंडित लच्छू महाराज की स्मृति में हुआ भव्य आयोजन

देशभर के कलाकारों की प्रस्तुतियों ने बांधा समां

दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ, 31 अगस्त 2025।
लखनऊ घराने की शास्त्रीय कथक परंपरा की समृद्ध धरोहर को संजोते हुए उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी एवं कथक केंद्र, लखनऊ द्वारा दो दिवसीय पारंपरिक कथक नृत्य महोत्सव “नमन – परंपरा कथक की” का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन महान कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज की पुण्य स्मृति को समर्पित था, जिनके योगदान ने लखनऊ घराने को वैश्विक पहचान दिलाई।

कार्यक्रम का शुभारंभ भव्य दीप प्रज्वलन और पंडित लच्छू महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। इस अवसर पर भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह, अकादमी अध्यक्ष प्रो. जयंत खोत, उपाध्यक्ष डॉ विभा सिंह, ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर संगीत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर तथा अकादमी के निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर जैसे प्रतिष्ठित अतिथि उपस्थित रहे।

गणेश वंदना से गूंजा वातावरण

कार्यक्रम का आरंभ कथक केंद्र, लखनऊ की रजनी वर्मा के निर्देशन में गणेश वंदना से हुआ। इसमें संगत पर कमलाकांत (गायन), पार्थ प्रतिम मुखर्जी और शाहनवाज खां (तबला), अर्चना (सारंगी), दीपेंद्र कुंवर (बांसुरी) और नवीन मिश्र (सितार) की जुगलबंदी ने वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इसके उपरांत नीता जोशी के निर्देशन में तैयार कलाकारों की प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया। उनकी प्रस्तुतियों में तबले पर राजीव शुक्ला की थाप ने कार्यक्रम को ऊँचाई प्रदान की।

जयपुर और लखनऊ घराने का संगम

पुणे से आईं साबेरी मिश्रा ने श्री विष्णु वंदना और जयपुर घराने की पारंपरिक कथक शैली से पूरे सभागार को भावविभोर कर दिया। उनके साथ संगत पर विकास मिश्रा (तबला) और नवीन मिश्र (सितार) थे।

इसके बाद लखनऊ घराने के प्रतिनिधि जयकिशन महाराज और त्रिभुवन महाराज की जोड़ी ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से सदन में ऊर्जा का संचार कर दिया। उनकी नृत्यांगना और पाद प्रहार की सूक्ष्मता ने दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। उनके साथ संगत पर राहुल विश्वकर्मा (तबला), जयवर्धन दाधीच (गायन) और आरिया खान (सारंगी) रहे।

पद्मश्री नलिनी–कमलिनी का भक्ति से परिपूर्ण नृत्य

कार्यक्रम की सबसे विशेष प्रस्तुति नई दिल्ली से पधारीं पद्मश्री नलिनी–कमलिनी की जोड़ी रही। उनकी शिव स्तुति ने पूरा वातावरण भक्ति में रंग दिया। इसके बाद उनकी शुद्ध नृत्य, तीन ताल विलंबित लय और सावन पर आधारित प्रस्तुतियों ने सभागार में तालियों की गड़गड़ाहट गूंजा दी। संगत में अकबर लतीफ खान (तबला), नलिनी निगम (गायन), अतुल शंकर (बांसुरी) और अफज़ाल ज़हूर (वॉयलिन) ने अपनी कला का अद्भुत जादू बिखेरा।

1sep को होगा महोत्सव का दूसरा दिन

“नमन” का दूसरा दिन 01 सितंबर को और भी भव्य होगा, जब लखनऊ, बनारस और दिल्ली से आए प्रसिद्ध कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से लखनऊ की शास्त्रीय धरोहर को जीवंत करेंगे।

यह आयोजन न केवल लखनऊ घराने की परंपरा का गौरवशाली उत्सव है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है। पंडित लच्छू महाराज की स्मृति में समर्पित यह आयोजन भारतीय शास्त्रीय नृत्य की जीवंतता और सांस्कृतिक महिमा का अनुपम उदाहरण बना।

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