पंचमुखी हनुमान मंदिर में छठवें दिन की कथा: सामूहिक श्री हनुमान चालीसा पाठ से गूंजा मंदिर प्रांगण

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में छठवें दिन की कथा का आयोजन अत्यंत भव्य और श्रद्धापूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। भारत पीठाधीश्वर श्री के.के. तिवारी महाराज ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं को महर्षि विश्वामित्र का अयोध्या आगमन और राजा दशरथ से श्रीराम को यज्ञ की रक्षा हेतु अपने साथ भेजने के लिए किए गए आग्रह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे श्रीराम ने यज्ञ की रक्षा करते हुए अपनी अलौकिक क्षमताओं का प्रदर्शन किया और मानवता के कल्याण हेतु अपने जीवन को एक महान उद्देश्य की ओर समर्पित किया।

राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव हरिंद्र भार्गव ने श्रद्धालुओं की भगवत निष्ठा और उत्साह को देखते हुए कथा संयोजक मण्डल से सामूहिक श्री हनुमान चालीसा पाठ आयोजित करने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि नववर्ष में लोगों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भरने के लिए इस प्रकार के आयोजनों का विशेष महत्व है। उनके इस प्रस्ताव को कथा वाचक भरत पीठाधीश्वर श्री के.के. तिवारी महाराज ने सहर्ष स्वीकार किया, पीठाधीश्वर ने कहा
“जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।”

100 बार सामूहिक श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करने से बड़े से बड़े संकटों का समाधान हो जाता है और व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और सकारात्मकता का संचार होता है। पाठ के उपरांत श्रद्धालुओं ने बताया कि मंदिर प्रांगण में अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ, जिससे वे अत्यंत प्रफुल्लित और आनंदित हो उठे।

इस चौपाई की पंक्तियों का गहरा प्रभाव श्रद्धालुओं पर पड़ा। उन्होंने इसे पूरे मनोयोग से दोहराते हुए हनुमान जी से अपने जीवन की बाधाओं और संकटों से मुक्ति की कामना की।

सामूहिक पाठ के दौरान “जय श्री राम” के गगनभेदी जयघोषों से पूरा मंदिर प्रांगण गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने महसूस किया मानो हनुमान जी स्वयं प्रकट होकर सभी को आशीर्वाद प्रदान कर रहे हों।

कथा वाचक श्री के.के. तिवारी महाराज ने श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया कि श्री हनुमान चालीसा का नियमित पाठ न केवल मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन के कठिन क्षणों में भी संबल प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि सामूहिक पाठ जैसे आयोजन समाज को एकजुटता और सामूहिक प्रार्थना की शक्ति से परिचित कराते हैं।

हरिंद्र भार्गव ने कथा समापन के बाद पंचमुखी हनुमान मंदिर समिति से यह अनुरोध किया कि भविष्य में भी इस प्रकार के आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, ताकि लोगों के जीवन में सकारात्मकता और श्रद्धा का विस्तार हो।

यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव था, बल्कि यह उनकी आस्था को सुदृढ़ करने का माध्यम भी बना। पंचमुखी हनुमान मंदिर का यह दिव्य आयोजन इतिहास में एक विशेष स्थान प्राप्त करेगा।

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