भारतीय जाट सभा ने चौधरी चरण सिंह के आदर्शों पर चलने का किया आह्वान

उदय राज, दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ । पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को उनकी जन्मतिथि के अवसर पर भारतीय जाट सभा द्वारा एक सभा आयोजित कर याद किया गया। चौधरी चरण सिंह न केवल किसानों के नेता थे, बल्कि भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में गहरी समझ रखने वाले एक प्रखर विचारक भी थे। उनके जन्मदिवस को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

किसानों के हित में समर्पित जीवन

23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में जन्मे चौधरी चरण सिंह का जीवन ग्रामीण विकास और किसानों के उत्थान के लिए समर्पित रहा। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे, उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और वकालत की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, 1929 में कांग्रेस की सदस्यता लेकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।

1930 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए नमक सत्याग्रह के दौरान उन्होंने गाजियाबाद के लोनी गांव में नमक बनाकर अंग्रेजों के कानून का विरोध किया। इसके लिए उन्हें छह महीने की सजा हुई। आजादी के बाद, चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश में जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार विधेयक लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई।

राजनीतिक जीवन और किसानों के लिए योगदान

चौधरी चरण सिंह ने 1953 में चकबंदी अधिनियम और 1954 में भूमि संरक्षण कानून पारित कराए। 1967 और 1970 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1977 में मुरारजी देसाई सरकार में गृह मंत्री और 1979 में प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए। उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के प्रति उनकी शून्य सहनशीलता और किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता उनकी प्रमुख पहचान बनी।

28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद ग्रहण करने वाले चौधरी चरण सिंह ने अपने जीवन को पूरी ईमानदारी से जिया और किसानों के हितों को सर्वोपरि रखा। उनकी चिंताएं और नीतियां हमेशा गांव और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर केंद्रित रहीं।

सम्मान और आदर्शों पर चलने का आह्वान

भारतीय जाट सभा द्वारा आयोजित इस सभा में उपस्थित वरिष्ठ उपाध्यक्ष चौधरी रामराज सिंह, एडवोकेट चौधरी धर्मेंद्र कुमार, सचिव चौधरी राकेश बालियान, डॉक्टर अरुण कुमार, डॉक्टर प्रवीण कुमार, चौधरी रामकुमार तेवतिया, ब्रिगेडियर डी.आर. सिंह, अलका सिंह, ग्राम प्रधान चौधरी आशीष सिंह और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने चौधरी चरण सिंह के आदर्शों और संघर्षों पर चलने की अपील की।

सभा में वक्ताओं ने कहा कि चौधरी चरण सिंह का जीवन ईमानदारी, संघर्ष और सेवा का प्रतीक था। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम क्षण तक किसानों, पिछड़ों और दलितों के हितों के लिए काम किया। 29 मई 1987 को उनका निधन हुआ, लेकिन उनके विचार आज भी प्रेरणादायक हैं।

“चौधरी चरण सिंह का जीवन हमें सिखाता है कि किसान भारत की आत्मा हैं, और उनकी प्रगति से ही देश प्रगति करेगा,” सभा के अंत में यह संदेश दिया गया।

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