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तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने श्रद्धा एवं भक्ति के साथ भगवान शिव का अभिषेक कर संपूर्ण राष्ट्र के कल्याण, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की। वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करते हुए उन्होंने शिवरात्रि के आध्यात्मिक एवं सनातनी महत्व को रेखांकित किया और सनातन धर्मावलंबियों से शिव तत्त्व को आत्मसात करने का आह्वान किया।
महाशिवरात्रि का सनातनी महत्व
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महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मोक्ष का संदेश देने वाला दिव्य अवसर है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का दिव्य विवाह संपन्न हुआ था। इसके अतिरिक्त, यह दिन शिव तत्व की उपासना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आत्मबोध, तप और साधना का प्रतीक है। “ॐ नमः शिवाय” महामंत्र का जप करने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है और वह सांसारिक मोह से मुक्त होकर शिवत्व की ओर अग्रसर होता है।
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पुराणों में वर्णित है कि महाशिवरात्रि की रात्रि को जागरण और शिव पूजन करने से समस्त पापों का नाश होता है। इस दिन विशेष रूप से पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, बेलपत्र, धतूरा, भांग और गंगाजल से शिवजी का पूजन करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सनातन संस्कृति में शिवरात्रि का योगदान
महाशिवरात्रि सनातन संस्कृति में केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि धर्म और आध्यात्म का संगम भी है। यह दिन हमें शिव के त्याग, संयम और तपस्या का संदेश देता है। भगवान शिव आदियोगी हैं, जिनकी साधना से योग और ध्यान की परंपरा आगे बढ़ी। यह पर्व हमें प्रकृति और चेतना के मूल तत्वों को समझने की प्रेरणा देता है।
राष्ट्रीय सनातन महासंघ के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने इस अवसर पर कहा कि “शिव केवल देव नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड के आधार हैं। शिव ही सत्य, शिव ही अनंत हैं। महाशिवरात्रि हमें सनातन धर्म के मूल तत्वों को आत्मसात करने का संदेश देती है।” उन्होंने सभी सनातन प्रेमियों से आग्रह किया कि वे शिव तत्त्व को जीवन में धारण करें और धर्म, संस्कृति एवं राष्ट्र की रक्षा हेतु समर्पित रहें।
महाशिवरात्रि के इस शुभ अवसर पर समस्त भक्तों के लिए यही संदेश है— ‘हर-हर महादेव!’