
दैनिक इंडिया न्यूज़,नई दिल्ली।झाइयों यानी मेलास्मा की समस्या आज के दौर में महिलाओं में सामान्य रूप से देखी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये केवल सौंदर्य से जुड़ी नहीं बल्कि गंभीर आंतरिक समस्याओं का संकेत भी हो सकती हैं? यह दावा एक अनुभवी स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने किया है, जिन्होंने 100 से अधिक ऐसे मामलों का गहन अध्ययन और उपचार किया है। उनका कहना है कि महिलाओं में झाइयों का संबंध प्रायः शारीरिक स्वास्थ्य और विशेष रूप से प्रजनन तंत्र से होता है।
विशेषज्ञ के अनुसार बच्चों के जन्म के बाद या यूटेरस (गर्भाशय) से संबंधित किसी भी इलाज के पश्चात झाइयां अधिकतर देखने को मिलती हैं।
उन्होंने बताया कि चेहरे की झाइयों की स्थिति देखकर यह समझा जा सकता है कि गर्भाशय या ओवरीज में कोई समस्या है या नहीं:
👉 नाक के अग्रभाग (टिप) या नथुनों के आसपास झाइयां— संकेत देती हैं कि गर्भाशय की सर्विक्स (गर्भाशय का निचला भाग) में समस्या हो सकती है।
👉 नाक के ऊपरी हिस्से पर झाइयां— यह दर्शाता है कि गर्भाशय के ऊपरी हिस्से में कोई समस्या संभावित है।
👉 आंख और कान के पास झाइयां— यह ओवरी (अंडाशय) से संबंधित समस्या का संकेत हो सकता है क्योंकि यह क्षेत्र ओवरी की आकृति का प्रतीक माना जाता है।
👉 माथे पर झाइयां— विशेषज्ञ मानते हैं कि यह लीवर में पित्त विकार और अत्यधिक बाइल जूस बनने का संकेत है।
आजकल झाइयों को दूर करने के लिए महिलाएं महंगे ट्रीटमेंट जैसे केमिकल पीलिंग और अन्य सौंदर्य प्रक्रियाएं करवाती हैं। लेकिन इसके बावजूद स्थायी समाधान नहीं मिल पाता। विशेषज्ञ का सुझाव है कि इस समस्या का जड़ से समाधान तभी संभव है जब आंतरिक कारणों का उपचार किया जाए।
समाधान क्या है?
विशेषज्ञ की सलाह में शामिल है:
✅ संतुलित और पोषणयुक्त आहार
✅ ऑर्गेनिक सप्लीमेंट्स
✅ नियमित रूप से कीगल जैसी व्यायाम पद्धतियां
इन तरीकों से न केवल झाइयों को कम किया जा सकता है बल्कि महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।