मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की समीक्षा कीबोर्ड के पुनर्गठन,

औद्योगिक स्वीकृतियों में तेजी और पर्यावरणीय प्रबंधन के नए आयामों पर दिए आवश्यक निर्देश

दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की उच्चस्तरीय समीक्षा की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” के मंत्र को आधार मानते हुए बोर्ड के समग्र पुनर्गठन की आवश्यकता जताई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1995 में गठित यह बोर्ड अब तक कई क्षेत्रों में विस्तृत हो चुका है और बदलते समय की पर्यावरणीय चुनौतियों के मद्देनज़र इसमें संरचनात्मक और कार्यप्रणालीगत सुधार समय की मांग है।

प्रमुख निर्देश और योजनाएं:

  • बोर्ड के क्षेत्रीय ढांचे में पुनर्गठन:
    वर्तमान में 75 जिलों में 28 क्षेत्रीय कार्यालय कार्यरत हैं। इन्हें अब 18 मण्डलों के अनुसार पुनर्गठित किया जाएगा। औद्योगिक गतिविधियों की अधिकता वाले मण्डलों में एक से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए जाएंगे। साथ ही प्रत्येक जनपद में कम-से-कम एक कार्यालय स्थापित करने के निर्देश भी दिए गए।
  • पर्यावरणीय प्रबंधन के लिए विशेष सेल का गठन:
    मुख्यमंत्री ने ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट, हैजार्डस वेस्ट, ई-वेस्ट तथा बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन हेतु अलग-अलग विशेषज्ञ यूनिट्स गठित करने का निर्देश दिया।
    साथ ही जन शिकायत निवारण, अनुसंधान एवं विकास, पर्यावरणीय जन-जागरूकता, प्रकाशन और आईटी तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधान के लिए भी विशेष इकाइयां बनाने की बात कही गई।
  • औद्योगिक अनापत्ति प्रमाण पत्र (CTO/CTE) की प्रक्रिया में तीव्रता:
    अनापत्ति आवेदन के निस्तारण समय को कम करते हुए लाल श्रेणी के लिए 40 दिन, नारंगी के लिए 25 दिन और हरी श्रेणी के लिए 10 दिन की समयसीमा निर्धारित करने के निर्देश दिए। इसके लिए आवश्यक तकनीकी और प्रशासनिक व्यवस्था शीघ्र तैयार की जाएगी।
  • मानव संसाधन में दक्षता और नियुक्तियों में तेजी:
    मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड में रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए। साथ ही, IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के योग्य युवाओं को आकर्षक पैकेज के साथ नियुक्त किया जाए। इस पर बोर्ड स्तर पर नियमानुसार त्वरित निर्णय लिए जाएं।
  • अनापत्ति व सहमति शुल्क की पुनर्समीक्षा:
    उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 के बाद से इन शुल्कों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। बोर्ड को सलाह दी गई कि वह वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए शुल्क संरचना में उपयुक्त परिवर्तन पर विचार करे।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक सक्षम, उत्तरदायी और आधुनिक पर्यावरणीय प्राधिकरण के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इससे राज्य में पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ औद्योगिक विकास को भी बेहतर दिशा मिल सकेगी।

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