
समयबद्ध भुगतान, पारदर्शिता और तकनीक आधारित नवाचार को बताया सरकार की प्राथमिकता
एथेनॉल उत्पादन से ऊर्जा सुरक्षा व किसानों की आय में बढ़ोतरी की संभावनाएं मजबूत
दैनिक इंडिया न्यूज़ ,लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राज्य सरकार गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जो चीनी मिलें भुगतान में देरी अथवा टालमटोल करेंगी, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश सोमवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान दिए।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि चीनी मिलों को गन्ना खरीद के लिए आवंटित कमाण्ड एरिया का निर्धारण उनके द्वारा किसानों को किए जा रहे गन्ना मूल्य भुगतान के रिकॉर्ड के आधार पर किया जाए। बैठक में गन्ना मूल्य भुगतान, उत्पादकता, आधारभूत संरचना, रोजगार और भावी योजनाओं से संबंधित विभागीय प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ने की बेहतर पैदावार हेतु किसानों को उन्नत किस्म के बीज समय पर उपलब्ध कराना आवश्यक है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), चीनी मिलें और गन्ना समितियां मिलकर कार्य करें। खेतों का नियमित निरीक्षण हो और किसानों से संवाद बनाए रखा जाए। किसान गोष्ठियों में मंत्रीगण की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। साथ ही गन्ना समितियों को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता जताई गई।
मुख्यमंत्री ने वर्तमान 142 कार्यदिवसों को बढ़ाकर 155 दिन करने की जरूरत बताते हुए सहकारी व फेडरेशन की चीनी मिलों की गहन समीक्षा के निर्देश दिए। इनमें उत्पादन क्षमता के साथ कार्यरत कार्मिकों की योग्यता का भी मूल्यांकन किया जाएगा।
बैठक में अद्यतन भुगतान की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि राज्य सरकार के वर्तमान कार्यकाल में अब तक 2,85,994 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है, जो 1995 से 2017 के मध्य किए गए 2,13,520 करोड़ रुपये से 72,474 करोड़ रुपये अधिक है। वर्ष 2024-25 में निर्धारित 34,466.22 करोड़ रुपये में से 83.8 प्रतिशत, अर्थात 28,873.55 करोड़ रुपये का भुगतान 2 मई तक पूर्ण हो चुका है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भुगतान प्रक्रिया को और अधिक सुचारु बनाया जाए ताकि सभी किसानों को शीघ्र और पूर्ण भुगतान प्राप्त हो सके।
बैठक में यह भी बताया गया कि वर्ष 2016-17 में प्रदेश में गन्ने का क्षेत्रफल 20.54 लाख हेक्टेयर था, जो 2024-25 में बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसी अवधि में उत्पादकता 72.38 टन/हेक्टेयर से बढ़कर 84.10 टन/हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि सुनियोजित प्रयास किए जाएं, तो उत्तर प्रदेश में गन्ने के उत्पादन व उत्पादकता में दोगुनी वृद्धि की संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने पारदर्शिता, समयबद्धता और तकनीक आधारित नवाचार को सरकार की प्राथमिकता बताते हुए सभी संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि प्रदेश के 45 जनपदों में 122 चीनी मिलें, 236 खांडसारी इकाइयां, 8,707 कोल्हू इकाइयां, 65 कोजेन इकाइयां और 44 डिस्टिलरी इकाइयां संचालित हैं, जिनकी कुल क्रशिंग क्षमता 7,856 केएलपीडी है। इन इकाइयों से प्रत्यक्ष रूप से 9.81 लाख लोगों को रोजगार मिला है।
एथेनॉल उत्पादन के संदर्भ में मुख्यमंत्री को बताया गया कि वर्ष 2023-24 में प्रदेश की 102 सक्रिय डिस्टिलरियों से 150.39 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हुआ है। इसके अतिरिक्त, 6,771.87 करोड़ रुपये के निजी निवेश से 105.65 करोड़ लीटर की अतिरिक्त उत्पादन क्षमता स्थापित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने इस पहल को ऊर्जा सुरक्षा और किसानों की आय वृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी बताते हुए ईंधन मिश्रण में एथेनॉल अनुपात को बढ़ाने की दिशा में कार्यों को शीघ्र क्रियान्वित करने के निर्देश दिए।
यह बैठक प्रदेश के गन्ना किसानों के हितों की सुरक्षा, कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार की संकल्पबद्धता को रेखांकित करती है।