
दैनिक इंडिया न्यूज़ नई दिल्ली ।क्याआपने कभी महसूस किया है कि शरीर थका-थका रहता है, नींद पूरी होने के बाद भी सुस्ती बनी रहती है, या कभी-कभी दिल की धड़कन बिना कारण तेज़ हो जाती है? अक्सर हम इन लक्षणों को तनाव, नींद की कमी या खान-पान की गड़बड़ी से जोड़ देते हैं, परंतु इन सबके पीछे एक छिपा हुआ कारण भी हो सकता है — मैग्नीशियम की कमी। यह वह खनिज है जो हमारे शरीर की 300 से अधिक जैविक क्रियाओं में शामिल होता है, पर विडंबना यह है कि यह अक्सर हमारी प्लेट से गायब रहता है।
मैग्नीशियम को “प्रकृति का शांतिदूत” कहा गया है। यह हमारे शरीर में ऊर्जा उत्पादन, स्नायुओं के संचालन, हृदय की धड़कन की लय, और मानसिक स्थिरता तक में भूमिका निभाता है। लेकिन जब इसकी मात्रा घटने लगती है, तो शरीर धीरे-धीरे अपने असंतुलन को महसूस करने लगता है। सबसे पहले थकान और चिड़चिड़ापन, फिर नींद में बाधा, मांसपेशियों में खिंचाव, सिरदर्द, और कभी-कभी अचानक हृदय की धड़कन में अनियमितता जैसे संकेत मिलने लगते हैं। पर ये लक्षण इतने सामान्य लगते हैं कि कोई भी व्यक्ति शायद ही सोच पाता है कि असली कारण मैग्नीशियम की कमी है।
आप सोचेंगे — आखिर मैग्नीशियम की कमी होती क्यों है? आधुनिक खानपान में इसका जवाब छिपा है। आज की मिट्टी, जो कभी पोषक तत्वों से भरी होती थी, रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से लगभग “खाली” हो चुकी है। जो अनाज, फल, और सब्जियाँ हम खाते हैं, उनमें पहले जैसी खनिज मात्रा नहीं बची। ऊपर से जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और अत्यधिक कैफीन हमारे शरीर से बचा-खुचा मैग्नीशियम भी बाहर निकाल देते हैं। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया की आधी से अधिक आबादी में मैग्नीशियम की कमी पाई जा रही है।
दुनिया भर में मैग्नीशियम पर सैकड़ों अध्ययन किए गए हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन, नेचर मेडिसिन, लैंसेट, और जर्नल ऑफ ट्रेस एलिमेंट्स इन बायोलॉजी एंड मेडिसिन जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित शोधों ने इसकी उपयोगिता पर गहराई से प्रकाश डाला है। इन अध्ययनों में पाया गया कि जिन लोगों के शरीर में मैग्नीशियम का स्तर संतुलित रहता है, उनमें टाइप-2 डायबिटीज़, हृदय रोग, हड्डियों की कमजोरी और माइग्रेन जैसी समस्याओं का खतरा उल्लेखनीय रूप से कम होता है। वहीं जापान और ऑस्ट्रेलिया में हुई शोधों ने यह भी सिद्ध किया कि मैग्नीशियम से समृद्ध आहार लेने वाले लोगों में उम्र बढ़ने की गति धीमी होती है और मानसिक सजगता लंबे समय तक बनी रहती है।
मैग्नीशियम केवल शरीर के भीतर ही नहीं, बल्कि बाहर से भी हमें सुरक्षा देता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह खनिज प्राकृतिक सनस्क्रीन की तरह काम करता है — यह त्वचा की कोशिकाओं को सूर्य की पराबैंगनी किरणों (UV rays) से होने वाले नुकसान से बचाता है। यही कारण है कि जिन लोगों के शरीर में मैग्नीशियम का स्तर उचित होता है, उनमें गर्मियों के दिनों में हीट स्ट्रोक, त्वचा जलने या अत्यधिक पसीने से होने वाले इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की संभावना बहुत कम होती है। सरल शब्दों में कहें तो यह खनिज न केवल भीतर से ऊर्जा देता है बल्कि बाहर से भी सुरक्षा की परत बुनता है।
मैग्नीशियम की कमी का असर सिर्फ शरीर पर नहीं, मन पर भी पड़ता है। अध्ययन बताते हैं कि यह खनिज “सेरोटोनिन” नामक रसायन को संतुलित करता है, जो हमारे मूड और मानसिक शांति के लिए ज़िम्मेदार है। जिन लोगों में इसकी कमी पाई गई, उनमें चिंता, अवसाद और नींद की गड़बड़ी के मामले अधिक देखे गए। यही नहीं, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि मैग्नीशियम पर्याप्त मात्रा में लेने वाले व्यक्तियों में हृदय रोग का जोखिम 30% तक कम पाया गया।
एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन D3 और K2 को यदि लंबे समय तक संतुलित मात्रा में एक साथ लिया जाए — विशेष रूप से भोजन के बीच में — तो यह संयोजन शरीर के लिए वरदान सिद्ध होता है। इनका संयुक्त प्रभाव न केवल हड्डियों और हृदय की रक्षा करता है, बल्कि माइग्रेन जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाव करता है। वैज्ञानिक अनुसंधानों से यह भी ज्ञात हुआ है कि मैग्नीशियम “मेलाटोनिन” नामक नींद नियंत्रक हार्मोन के निर्माण को प्रोत्साहित करता है, जिससे अनिद्रा की समस्या में आश्चर्यजनक सुधार देखा गया है। इतना ही नहीं, मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा हमारे नर्वस सिस्टम को व्यवस्थित रखती है, जिससे मस्तिष्क और शरीर के बीच सिग्नल का संतुलन बना रहता है। यही कारण है कि यह खनिज मानसिक शांति, स्मरणशक्ति और आत्मविश्वास — तीनों का पोषक तत्व माना जाता है।
तो क्या केवल आहार से यह कमी पूरी की जा सकती है? हाँ, यदि ध्यानपूर्वक भोजन चुना जाए। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम, काजू, कद्दू के बीज, साबुत अनाज और डार्क चॉकलेट मैग्नीशियम के बेहतरीन स्रोत हैं। कुछ विशेष परिस्थितियों में हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह से सप्लीमेंट भी लिया जा सकता है। नियमित सेवन से न केवल शरीर की थकान दूर होती है, बल्कि मांसपेशियों की शक्ति, हड्डियों की मजबूती और दिल की सेहत में भी सुधार आता है।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती — क्योंकि मैग्नीशियम अकेले काम नहीं करता। यह कैल्शियम, विटामिन D3, और विटामिन K2 के साथ मिलकर शरीर में संतुलन बनाता है। कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करता है, पर यदि शरीर में मैग्नीशियम कम हो तो यह कैल्शियम गलत जगह — जैसे धमनियों या टिश्यू में — जमने लगता है। वहीं, विटामिन D3 कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है, और K2 यह सुनिश्चित करता है कि वह हड्डियों तक पहुँचे। जब ये चारों तत्व साथ मिलकर काम करते हैं, तभी शरीर एक पूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में बढ़ता है — जहाँ न थकान होती है, न तनाव, और न ही जीवनशक्ति की कमी।
और यदि किसी कारणवश हम इन सारी व्यवस्थाओं को अपने दैनिक जीवन में सुचारु रूप से नहीं चला पा रहे हैं — जैसे संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना या पर्याप्त धूप में रहना — तो फूड सप्लीमेंट लेना एक बेहतर और सुरक्षित विकल्प हो सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह से सही मात्रा में मैग्नीशियम, कैल्शियम, D3 और K2 का सेवन हमारे शरीर को न केवल मज़बूत रखता है, बल्कि उन अनेक संभावित बीमारियों से भी बचाता है जो इनकी कमी से जन्म लेती हैं।
इसलिए अगली बार जब शरीर बेवजह थका हुआ लगे, नींद न आए या मन अस्थिर हो, तो यह मत सोचिए कि यह सिर्फ तनाव का परिणाम है — शायद आपका शरीर चुपचाप कह रहा हो, “मुझे मैग्नीशियम चाहिए।”
