Dainik india news, Lucknow:: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (.KGMU ) के रेडियोथेरेपी विभाग में कैंसर उपचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से विकसित एक विशेष उपकरण को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। इस उपकरण को विकसित करने वाली टीम ने रेडियोथेरेपी के दो प्रमुख लक्ष्यों—कैंसर को अधिकतम रेडिएशन देना और सामान्य ऊतकों को न्यूनतम नुकसान पहुंचाना—के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया है।
रेडियोथेरेपी की शुरुआत में, कोबाल्ट मशीनों का प्रयोग किया जाता था, जो वर्ग या आयत के आकार में रेडिएशन देती थीं। लेकिन चूंकि कैंसर किसी नियमित आकार में नहीं होता, इसके उपचार में समस्या आती थी। इस चुनौती को हल करने के लिए लीनियर एक्सीलरेटर तकनीक आई, जो कैंसर के आकार के अनुसार रेडिएशन दे सकती थी।
इसके बाद शरीर के अंगों के मूवमेंट, जैसे फेफड़ों और आंतों की हलचल को ध्यान में रखते हुए, इमेज गाइडेड रेडियोथेरेपी (IGRT) का विकास हुआ, लेकिन ये मशीनें अत्यधिक महंगी थीं। इसी समस्या का समाधान खोजते हुए केजीएमयू की टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया।
प्रो. तीर्थराज वर्मा के नेतृत्व और प्रो. सुधीर सिंह एवं डॉ. मृणालिनी वर्मा के सहयोग से पीएचडी स्कॉलर श्रीराम राजुरकर ने इस यंत्र का विकास किया। यह उपकरण रोगी के सांस लेने के पैटर्न को रिकॉर्ड करता है और उसके आधार पर यह निर्धारित करता है कि किस अवस्था में फेफड़ों और हृदय को कम से कम रेडिएशन पहुंचाते हुए स्तन कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इस तकनीक के शुरुआती परिणाम अत्यंत उत्साहजनक रहे हैं।
श्रीराम राजुरकर के इस कार्य को पेनांग, मलेशिया में आयोजित AOCMP-SEACOMP 2024 सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया, जहां उन्हें ट्रैवल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वे भारत से इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले एकमात्र प्रतिभागी थे।
केजीएमयू की इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने पूरी टीम को बधाई दी और इसे चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ा कदम बताया।
इस बड़ी उपलब्धि पर राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने केजीएमयू की पूरी टीम, विशेषकर प्रो. सोनिया नित्यानंद को इस महत्वपूर्ण सफलता के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा क्षेत्र में, बल्कि संपूर्ण देश के लिए गर्व का विषय है।