
राजनीति का बदलता स्वरूप और सनातन दृष्टिकोण की प्रासंगिकता
दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ ।25 जुलाई 2025 को राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत मध्य प्रदेश भाजपा प्रभारी एवं पूर्व जल शक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह से शिष्टाचार भेंट की। यह मुलाकात औपचारिकताओं से परे, भारतीय राजनीति की दिशा, मूल्यों और आदर्शों पर गहन चर्चा का माध्यम बनी।
विमर्श के दौरान स्पष्ट हुआ कि वर्तमान में राजनीति की परिभाषाएं तेजी से बदल रही हैं। विगत कुछ दशकों में भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में पाश्चात्य प्रभावों के साथ कई नए मूल्य आए हैं, परंतु इनके बीच राष्ट्र निर्माण, समाज सेवा और जनकल्याण जैसे आदर्श कहीं पीछे छूटते दिखाई दे रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद’ और ‘अंत्योदय’ जैसे सिद्धांत, जिनका लक्ष्य समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान था, आज नीतिगत और व्यवहारिक स्तर पर प्रभावी नहीं दिखते।
चिंता का विषय यह है कि राजनीति का ध्येय साध्य से साधन, निस्वार्थ से स्वार्थ और सेवा से व्यापार की ओर मुड़ गया है। जहां पहले राष्ट्र का विकास ही उद्देश्य होता था, वहीं आज व्यक्तिगत या पारिवारिक उन्नति को ही सफलता मान लिया गया है। इससे विचार और सिद्धांतों के आधार पर संगठन से जुड़े कार्यकर्ता हाशिये पर धकेले जा रहे हैं और उनके भीतर निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है।
यह भी कहा गया कि जब कोई दल लंबे समय तक विपक्ष में रहकर सत्ता में आता है, तो अवसरवादी लोग तेजी से आगे बढ़ जाते हैं, जबकि समर्पित वरिष्ठ कार्यकर्ता पीछे छूट जाते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल राजनीतिक शुचिता को कमजोर करती है, बल्कि राष्ट्रहित के साथ भी समझौता करने की राह खोलती है। सत्ता और लाभ के लिए किए गए ऐसे समझौते देश के दीर्घकालिक हितों को प्रभावित करते हैं और यह राजनीति के चारित्रिक पतन का संकेत है।
विचार रखते हुए यह भाव भी सामने आया कि राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्ति नहीं होना चाहिए। सनातन संस्कृति, नैतिकता और भारतीय दर्शन को प्राथमिकता देते हुए ही सही दिशा तय की जा सकती है। राजनीति, जिसका शाब्दिक अर्थ ही राजधर्म है, उसमें धर्मसंगत दृष्टिकोण और सेवा का भाव अनिवार्य है। यही वह पथ है जो भारत को आत्मनिर्भर, सशक्त और विश्वगुरु बना सकता है। यदि इसे केवल सत्ता प्राप्ति का साधन मान लिया गया, तो राजनीति का वास्तविक अर्थ समाप्त हो जाएगा।
मुलाकात के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों की सराहना भी की गई। कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ कर प्रदेश को आर्थिक और औद्योगिक दृष्टि से आगे बढ़ाने की दिशा में जो ठोस कदम उठाए गए हैं, वे प्रशंसनीय हैं। औद्योगिक विकास के पथ पर अग्रसर होते हुए ‘एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था’ के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रदेश ने जो गति पकड़ी है, वह पूरे देश के लिए प्रेरणा है।
अंत में यही कहा गया कि राजनीति विचारधारा का व्यापार नहीं, बल्कि विचारों के क्रियान्वयन का माध्यम होनी चाहिए। सत्ता का उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुख, सुरक्षा और सम्मान पहुंचाना होना चाहिए। राजनीति यदि समाज का संवाहक और राष्ट्र निर्माण का माध्यम बन सके, तो यही सनातन परंपरा का वास्तविक संदेश होगा।
यह चिंतन केवल व्यक्तिगत विचार नहीं, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो राजनीति को सेवा, त्याग और आदर्शों का क्षेत्र मानते हैं। यदि राष्ट्र को सशक्त बनाना है तो आवश्यक होगा कि राजनीति में पुनः सिद्धांत, शुचिता, समर्पण और संस्कारों का स्थान स्थापित किया जाए। बदलाव समय की मांग है और यह बदलाव व्यक्ति से अधिक पूरी राजनीतिक व्यवस्था के दृष्टिकोण में लाना होगा।
विमर्श के अंत में जितेंद्र प्रताप सिंह, अध्यक्ष – राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने डॉ. महेंद्र सिंह, विधान परिषद सदस्य, पूर्व जल शक्ति मंत्री एवं वर्तमान में मध्य प्रदेश भाजपा प्रभारी को उनके श्रेष्ठ भावों तथा समय प्रदान करने के लिए आभार व्यक्त किया तथा अंगवस्त्र और संस्कृतभारती की विवरण पुस्तिका भेंट कर सम्मानित किया।