वसुधैव कुटुंबकम की थीम पर मनाया गया योग दिवस, स्वस्थ रहने का दिया संदेश

हिंदुस्तान का योग दिवस कैसे बन गया इंटरनेशनल योगा डे…आइये जाने

मोदी ने दिलाई योग को ग्लोबल पहचान

दैनिक इंडिया न्यूज। आधुनिक युग में जीवनशैली की द्रुत बदलती गति के साथ-साथ खुशहाली, मानसिक और शारीरिक शांति के लिए योग का महत्व अनिवार्य है। योग हमें केवल शारीरिक स्वस्थ रखने के लिए ही नहीं, अपितु मानसिक तनाव को दूर करके मनोदशा को ताजगी से भर देने का कौशल भी सिखाता है। भारत ने विश्व योग दिवस की गर्व से शुरुआत की है, जो पूरी दुनिया में 21 जून को मनाया जाता है। इस दिन का आयोजन लोगों के बीच भारतीय संस्कृति और योग के महत्व को संवेदनशील बनाने का मुख्य उद्देश्य रखता है। इस वर्ष, अर्थात् 2023 में, नवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है।

योग भारत की सबसे प्राचीन परंपरा है, जिसे चिरंजीवी मार्गदर्शक के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसका अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक प्रभावी साधना माना जाता है। योग के अभ्यास से शरीर रोगमुक्त होता है और मन की शांति प्राप्त होती है। भारत में योग की प्रचलिता ऋषि-मुनियों के सांस्कृतिक विरासत में समाहित है।

योग का अभ्यास केवल शारीरिक ही नहीं, वरन् मानसिक दृष्टि से भी बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं। इसी कारण, हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य योग से होने वाले फायदों की जागरूकता फैलाना होता है। योग एक प्राचीन अभ्यास है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई है और इसने अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के लिए विश्वभर में प्रसिद्धि प्राप्त की है।

मोदी विश्व बिरादरी के साथ किये योग

9 साल बाद मोदी इस खास दिन को अमेरिका में योग करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पहुंचें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण इतिहासिक समारोह के दौरान एक अद्वितीय योग सत्र की अगुवाई करने के लिए न्यूयॉर्क, संयुक्त राष्ट्र में हैं। इस सत्र में संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अधिकारी और दुनिया भर से आए प्रमुख व्यक्ति शामिल हुए, जिसमें 180 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने योग किया। इस अद्वितीय कार्यक्रम में राजनीतिज्ञ, कलाकार, शिक्षाविद, और उद्यमी समेत सभी वर्गों के लोग शामिल हुये।

चलिए जानते हैं इस दिन का इतिहास और इसका महत्व-

2015 से ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हो गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन करने की सोच रखी थीं। वे इस विचार को पूरे भारत में फैलाना चाहते थे जो कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण होने वाला था। वास्तविकता में, सितंबर 2014 के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में योग दिवस का आयोजन प्रस्तावित किया था। इसके बाद, 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों ने एकमत से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में 21 जून को मनाने का निर्णय लिया था, और उसके बाद 21 जून 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस आयोजित किया गया था।

21 जून को क्यों मनाते हैं योग दिवस?

21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का कारण यह रखा गया है क्योंकि पंचांग के अनुसार यह दिन उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है। इसे ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है, जब सूर्य दक्षिणायन की ओर बढ़ता है। सूर्य के दक्षिणायन के पश्चात उसकी तेज़ी कम हो जाती है, जिससे वातावरण अशुद्ध हो सकता है, कीटाणुओं की वृद्धि हो सकती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो सकती है। इस प्रकार, योगियों द्वारा आध्यात्मिक सिद्धियों को प्राप्त करने और शरीर-मन को स्वस्थ रखने के लिए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में चुना गया है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 की थीम

वर्ष 2023 के योग दिवस की थीम ‘वसुधैव कुटुंबकम के लिए योग’ (Yoga for Vasudhaiva Kutumbakam) थी। वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ होता है- धरती ही परिवार है। इस थीम का मतलब है कि योग द्वारा हम सभी मनुष्यों के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए धरती (वसुधा) के सभी लोगों को एक परिवार की तरह जोड़ने की जरूरत है।

योग की उत्पत्ति….

कहा जाता है कि योग की उत्पत्ति भारतीय पौराणिक युग से हुई है। यह मान्यता है कि भगवान शिव ने योग कला को जन्म दिया। शिव को आदि योगी के रूप में माना जाता है और वे सभी योग गुरुओं के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में जाने जाते हैं।

सामान्यतः माना जाता है कि योग का आरम्भ उत्तर भारत में सिंधु-सरस्वती सभ्यता के समय हुआ था, जो 5000 वर्ष पहले थी। ऋग्वेद में भी इसका प्रारंभिक उल्लेख है। हालांकि, योग की पहली व्यवस्थित प्रस्तुति शास्त्रीय काल में महर्षि पतंजलि द्वारा की गई है।

इसके अलावा, किंवदंती कहती है कि संक्रांति के दौरान भगवान शिव ने अपने साथ योग कला के बारे में ज्ञान साझा करके आध्यात्मिक गुरुओं को प्रबोधित किया।

आखिर योग क्या है….आईये जानते है

योग शब्द का अर्थ संस्कृत भाषा में “जोड़ना” या “मिलाना” होता है। इसे धार्मिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक और शारीरिक अर्थ में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। योग का उद्देश्य मन, शरीर और आत्मा के संयोग को स्थापित करना है, ताकि समृद्ध, स्वस्थ और सुखी जीवन प्राप्त हो सके।

योग का मूल उद्देश्य है एक शांत मन और स्वास्थ्य की प्राप्ति, जिससे हम समग्रता और संयुक्तता की अनुभूति करते हैं। योग के माध्यम से हम अपने शरीर, मन और आत्मा को सुखी, स्वस्थ और समरस्त बना सकते हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि जैसे आठ अंगों के उपयोग से हमें शारीरिक और मानसिक समता, शक्ति और स्थिरता प्राप्त होती है।

मन की शांति और स्वास्थ्य को प्राप्त करना ही योग का मूल उद्देश्य होता है, जिससे हम समग्रता और संयोजन की अनुभूति करते हैं। योगाभ्यास द्वारा हम अपने शरीर, मन और आत्मा को सुखी, स्वस्थ और समरस्त बना सकते हैं। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि जैसी अष्टांग योग की तकनीकें हमें शारीरिक और मानसिक समता, शक्ति और स्थिरता प्रदान करती हैं।

हम योग के द्वारा स्वभाविक संपर्क को पुनर्स्थापित करते हैं, जो हमें प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों के साथ एक संवेदनशीलता और संबंध विकसित करने में सहायता प्रदान करता है। योगाभ्यास से हम खुद को एक ऐसे सादृश्य और समानता के साथ अनुभव करते हैं, जो हमारे बीच संबंधों में समरसता और सहभागिता को प्रोत्साहित करता है। इसलिए, योग एक महत्वपूर्ण साधना है जो विश्वभर में एकता को बढ़ावा देने में मदद करती है।

योग के अभ्यास से हम अपने शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करते हैं और एकता की भावना को विकसित करते हैं। हम सभी व्यक्तियों को योग के प्राकृतिक धारणाओं और आसनों के माध्यम से एक संगठित, जीवात्मक और मानवीय सामरिकता का अनुभव प्राप्त होता है। योग से हम संवाद करते हैं, मिलते हैं और दूसरों के साथ समान विचारधारा का आनंद लेते हैं।

योग हमें एकता की आनुभूति कराता है, जहां हम खुद को नहीं बल्कि सभी मानव जाति के सदस्यों के साथ जुड़े हुए महसूस करते हैं। योग से हम आत्मा की समर्पणा भावना को विकसित करते हैं, जिससे हम अपने आप को एक संगठित अंग के रूप में देखते हैं और सम्पूर्ण विश्व के सभी प्राणियों के साथ मूल्यांकन और गहरा संबंध बनाने की भावना को विकसित करते हैं।

योग से हम सामरिक भावना को विकसित करते हैं और दूसरों के साथ सहयोग करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। हम जाति, धर्म, राष्ट्रीयता और भाषा की सीमाओं को पार करके, सभी मानवों के साथ गहरा संबंध बना सकते हैं। योग मानवीय मूल्यों की समरसता, विश्व सद्भावना और सहभागिता को प्रभावी ढंग से प्रकट करता है।

आंतरिक और बाहरी संघर्षों को हल करने की कला हमें योग ही सिखाता है, तार्किक विचार से अधिक समझदारी, सहयोग और प्रेम का उपयोग करने के तरीकों को जानने का माध्यम प्रदान करता है। योग सामरिकता को प्रोत्साहित करता है और हमें समग्र विश्व में समानता और न्याय की प्राथमिकता के प्रति संवेदनशील बनाता है। इससे हमारे बीच विकास, समझदारी और आदर्श मानव समाज के निर्माण के लिए मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

योग दिवस उपडेट :

J&K के Budgam में दरगाह में हुआ योग

बडगाम जिले में जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस खास अवसर पर जिले के प्रसिद्ध दरगाह चरार-ए-शरीफ के पास भारतीय सेना ने स्थानीय लोगों के साथ एकजुट होकर योग किया।

डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने INS विक्रांत पर किया योग

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंटरनेशनल योग दिवस पर INS विक्रांत के साथ सशस्त्र बलों और भारतीय तट रक्षक कर्मियों के साथ योग किया। इस खास अवसर पर उनके साथ चीफ ऑफ इंडियन नेवल स्टाफ एडमिरल आर हरि कुमार और उनकी पत्नी कला हरि कुमार सहित 800 से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने योग किया। इसमें 120 अग्निवीर मित्रों ने भी भाग लिया।

फॉर्मर आर्मी कमांड ने भी मनाया योग दिवस

भारतीय सेना के पूर्वी कमांड थिएटर ने भी आंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग किया है। पहाड़ियों से घिरे सीमावर्ती क्षेत्रों में हजारों सैनिकों और उनके परिवार ने उत्साह से इसका हिस्सा लिया। सेना के पूर्वी कमांड के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता और उनकी पत्नी निशा कलिता ने कोलकाता के फोर्ट विलियम में 1200 सैनिकों और उनके परिवार के साथ योग किया।

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