दैनिक इंडिया न्यूज़ ,नई दिल्ली, 24 सितंबर 2024: संसद परिसर में आयोजित 10वीं राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्रीय सम्मेलन का आज समापन हुआ। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष और सीपीए भारत क्षेत्र के अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने विधानसभाओं में बढ़ते हंगामे और कटुता को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि समय-समय पर सभापतियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की गई है और उनसे आग्रह किया गया है कि वे सदन की कार्यवाही गरिमा और मर्यादा के साथ भारतीय मूल्यों और मानकों के अनुरूप संचालित करें।
श्री बिरला ने कहा कि विधानसभाओं में नीतियों और कानूनों पर होने वाली चर्चाओं में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सशक्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सदन का वातावरण ऐसा होना चाहिए जहां सभी दलों की भागीदारी से सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर गरिमापूर्ण चर्चा हो। उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि किसी भी देश और राज्य के विकास में इनकी भूमिका अहम होती है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को निरंतर जनता से जुड़कर उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
लोकसभा अध्यक्ष ने सभी सभापतियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने विधानमंडलों को पारदर्शी, जवाबदेह और परिणाम-उन्मुख बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। इसके साथ ही, उन्होंने नए सदस्यों को सदन की कार्यवाही, गरिमा और मर्यादा के बारे में व्यापक प्रशिक्षण देने की भी सलाह दी, ताकि वे जनता के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठा सकें। श्री बिरला ने कहा कि सभापतियों को सभी दलों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना चाहिए और राजनीति में नए मानक स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए।
श्री बिरला ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राज्य विधानसभाएं अपनी प्रक्रियाओं और अभिलेखों को डिजिटाइज़ कर रही हैं और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर जनप्रतिनिधियों की क्षमता निर्माण के लिए कदम उठा रही हैं। उन्होंने उन राज्य विधानसभाओं से कहा जो इस प्रक्रिया में पीछे हैं, कि वे डिजिटलाइजेशन की गति को तेज करें ताकि ‘एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म’ के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि सतत और समावेशी विकास का लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। श्री बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं तभी सफल होंगी जब विकास की नीतियों से समाज के सबसे वंचित वर्गों को भी लाभ पहुंचेगा।
श्री बिरला ने आशा व्यक्त की कि यह दो दिवसीय सम्मेलन विधानसभाओं के कामकाज में सुधार के ठोस परिणाम लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि सभापतियों को नई सोच, नए दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहिए और भविष्य के लिए नए नियम और नीतियां तैयार करनी चाहिए।
सम्मेलन के दौरान वित्तीय स्वायत्तता, सत्रों के दिनों की घटती संख्या, ई-विधान जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। श्री बिरला ने आश्वासन दिया कि इन मुद्दों पर आगे विचार-विमर्श किया जाएगा और सर्वसम्मति से समाधान निकाला जाएगा।
सम्मेलन में 42 सभापति, जिनमें चार अध्यक्ष और 25 विधानसभा अध्यक्ष शामिल थे, अपने मुख्य सचिवों/सचिवों और अन्य अधिकारियों के साथ उपस्थित थे। इस सम्मेलन का मुख्य विषय था “सतत और समावेशी विकास की प्राप्ति में विधायी निकायों की भूमिका।”
समापन के दिन, 24 सितंबर 2024 को, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला और राज्य विधानसभाओं के सभापतियों ने संसद परिसर स्थित प्रेरणा स्थल पर प्रमुख व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री बिरला ने सम्मेलन के समापन के अवसर पर उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन विधायिकाओं के कार्यप्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल होगा और देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं और अधिक सशक्त और प्रभावी बनेंगी।