सीएम ने विभाजन की त्रासदी से कालकवलित हुए सभी ज्ञात व अज्ञात लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की
दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ :सीएम योगी ने कहा है कि 14 अगस्त की तिथि हम सभी को अतीत की गलतियों का परिमार्जन करने की नई प्रेरणा देती है। इतिहास के उन दुःखद क्षणों से सबक लेने के लिए भी प्रेरित करती है। इसीलिए आज हर भारतवासी का यह संकल्प होना चाहिए कि व्यक्तिगत, परिवार, जाति, मत, मजहब, क्षेत्र व भाषा का स्वार्थ कभी भी राष्ट्र से ऊपर न हो। चयन में सबसे पहले राष्ट्र होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने विभाजन की त्रासदी से कालकवलित हुए सभी ज्ञात व अज्ञात लोगों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। एक गलत राजनीतिक निर्णय के कारण विभाजन की त्रासदी से जूझने वाले, बर्बर अत्याचार के शिकार, अपने परिवार व अपनी भूमि को छोड़ने के लिए मजबूर हुए उन सभी को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास को विस्मृत करके कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता, अपने उज्ज्वल भविष्य के सपनों को साकार नहीं कर सकता। इतिहास की अप्रिय घटनाओं को विस्मृत करके, इतिहास के उस पाप पर हम लोग पर्दा नहीं डाल सकते, जिससे निहित राजनीतिक स्वार्थाें के कारण एक सनातन राष्ट्र को विभाजन की त्रासदी की ओर ढ़केला गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के जिन देशों ने प्रगति की उसके पीछे ‘नेशन फस्र्ट’ की थ्योरी रही है। जापान इसका उदाहरण है। भारत को विकसित राष्ट्र व महाशक्ति बनाने के लिए हर भारतवासी का दायित्व है कि ‘नेशन फस्र्ट’ की भावना को अपने जीवन का हिस्सा बनाये।
ताकतवर को कोई तोड़ नहीं पाता है। हम सभी अपने देश को इतना शक्तिशाली बनाये कि आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद जैसी विकृतियों व बीमारियों का समाधान भारत अपने आप ही निकाल ले। हम सभी का सौभाग्य है कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है। स्वाधीनता के आनन्द का अवसर हम सभी को एक नये लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने की ताकत देगा। विभाजन के दौरान भारत आये लोग अपने परिश्रम से भारत को वैभवशाली व शक्तिशाली बनाने में अपना अहम योगदान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी की कीमत हर व्यक्ति को याद है। आजादी के एक दिन पूर्व हजारों-हजार वर्षों का यह देश तीन भागों में विभाजित हो गया। यह विभाजन प्राकृतिक विभाजन नहीं था। इस विभाजन की वजह से वह समाज विघटित हो गया, जिसने हजारों-हजार वर्षाें तक मानवता की थाती को संजोने का कार्य किया और दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम के रूप में जोड़ने की बात कही। यह केवल राजनीतिक निर्णय नहीं था, जमीन के टुकड़ों का विभाजन मात्र नहीं था, बल्कि यह मानवता के दो दिलों के विभाजन का त्रासदीपूर्ण निर्णय था। इस निर्णय की कीमत लाखों लोगों को चुकानी पड़ी थी।
जब कोई समाज व समुदाय स्वयं के स्वार्थ को राष्ट्र के ऊपर थोपने का कुत्सित प्रयास करेगा, तो उसकी त्रासदी से सम्पूर्ण मानवता को जूझना पडे़गा। कुछ लोगों ने स्वार्थ को राष्ट्र से ऊपर रखकर इस देश को विभाजन की त्रासदी की ओर ढकेला था। वर्ष 1947 में विभाजन की त्रासदी को झेलने के बावजूद आज भारत की 140 करोड़ आबादी जाति, मत, मजहब, क्षेत्र, भाषा से ऊपर उठकर,उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम के भेद को समाप्त करते हुए, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के संदेश के साथ आगे बढ़ रही है। दूसरी तरफ पाकिस्तान व बांग्लादेश की स्थिति किसी से छुपी नहीं है।
विभाजन के समय पाकिस्तान को सबसे उर्वरा भूमि प्राप्त हुई थी। विभाजन के बाद पाकिस्तान उस उर्वरा भूमि के दम पर कुछ दिनों तक अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में अग्रसर भी हुआ, लेकिन पाकिस्तान की नकारात्मकता के कारण वहां के नागरिकों के पास खाने के लाले पड़े हैं। पाकिस्तान में अराजकता, भुखमरी व असुरक्षा का भाव है। जो दूसरों के लिए कांटे बोता है, तो वह कांटे एक न एक दिन उसी को काटने पड़ते हैं। पाकिस्तान ने दुनिया को आतंकवाद का दर्द दिया है। भारत को विभाजन व आतंकवाद का दर्द। यही विभाजन व आतंकवाद पाकिस्तान को ले डूबेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अत्याचारों व शोषण के कारण वर्ष 1971 में पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान अलग हो गया। मजहब के आधार पर भी एक नहीं हो पाए और न ही सुरक्षित हो पाए। 1947 में जब पूर्वी पाकिस्तान भारत से अलग होता है, तो बंगाल का एक बड़ा भू-भाग बांग्लादेश के रूप में अलग हो जाता है। बंगाल प्रान्त प्राचीन काल से ही भारत के टेक्सटाइल हब के रूप में जाना जाता था। बंगाल का महीन वस्त्र दुनिया में विख्यात था। कला के क्षेत्र में आज भी बंगाल सुविख्यात है। मूर्तिकला वहां की स्वभाविक जिज्ञासा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को यह सब अच्छा नहीं लगा। एक दुःखद विभाजन की त्रासदी की ओर भारत को ढकेल दिया गया। सैकड़ों वर्षाें के बाद अखण्ड भारत यदि अपनी आजादी को उत्साह के साथ मनाता तो दुनिया के सामने एक महाशक्ति के रूप में भारत को खड़े होने में देर नहीं लगती। लेकिन जिन्हें भारत की इस ताकत से परेशानी थी, उनके द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थाें, पद, प्रतिष्ठा व नाम को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 1947 में भारत का बटवारा करके महाशक्ति बनने से रोक दिया गया।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री कौशल किशोर सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, सलाहकार मुख्यमंत्री अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह व सूचना संजय प्रसाद व शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और स्कूली बच्चे उपस्थित थे।