ऐश्वर्य उपाध्याय दैनिक इंडिया न्यूज : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, आज हम ऐसे 5 स्टार्टअप के बारे में जानेंगे जो पर्यावरण की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं। ये बिजनेस उद्यम न केवल समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं, बल्कि धीरे-धीरे एक स्वच्छ और हरित पर्यावरण के साथ एक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।
आज के युग में पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग के बोझ का सामना कर रही है। इसके कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन ने हर व्यक्ति को व्यापक चिंता में डाल दिया है। विभिन्न देशों की सरकारें इस समस्या का सामना करने का प्रयास कर रही हैं। इस प्रयास में कई स्टार्टअप भी इनके साथ खड़े हो रहे हैं, जो प्रदूषण को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। विकास के लिए वाणिज्यिक गतिविधियों की आवश्यकता तो है ही, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण को कोई क्षति ना पहुंचे। भारत ने 2070 तक कार्बन न्यूट्रेलिटी का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन उसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा। अभी भी बहुत सारे व्यापार हैं जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रही है, लेकिन आजकल धीरे-धीरे नए स्टार्टअप उभर रहे हैं जो इस समस्या को हल करने में योगदान दे रहे हैं। आइए आज, जब हम विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हैं, हम कुछ ऐसे 5 स्टार्टअप के बारे में जानेंगे, जिन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
1- प्लास्टिक कचरे का उपयोग करके फर्नीचर बनाता है Econiture नामक स्टार्टअप
जब हम फर्नीचर के बारे में सोचते हैं, तो पहले दिमाग में लकड़ी से बने फर्नीचर का ही ख्याल आता है। हालांकि, ये लकड़ी से बने फर्नीचर बहुत महंगे होते हैं। इसका अर्थ है कि अधिक पेड़ों को काटा जाएगा।
दूसरी ओर, प्लास्टिक कचरा दिन-प्रतिदिन पर्यावरण में तेजी से बढ़ रहा है। Econiture स्टार्टअप प्लास्टिक अपशिष्ट को रीसाइकल करता है और उसका उपयोग विभिन्न प्रकार के फर्नीचर बनाने में करता है। यह स्टार्टअप शार्क टैंक इंडिया में भी आ चुका है और तमाम शार्क का दिल जीत चुका है। यह स्टार्टअप, सोनी चैनल पर शार्क टैंक इंडिया कार्यक्रम में भी अपना प्रदर्शन कर चुका है और वहाँ तमाम शार्कस का दिल जीत चुका है। 2017 में, इसकी शुरुआत Asish Modak, Roshan Pidiyar, Bhushan Boob, और Madhur Rathi ने की थी।
2- किचन के कचरे से Daily Dump नामक स्टार्टअप दिला रहा लोगों को निजात
घर-घर में किचन से बहुत सारा कचरा निकलता है। इसमें सब्जियों और फलों के अवशेषों की मात्रा सबसे अधिक होती है। इसे गीला कचरा भी कहा जाता है। पूनम बिर कस्तूरी, बेंगलुरु की एक स्टार्टअप, ने Daily Dump की शुरुआत की है, जहां उन्होंने कंपोस्टिंग बिन उपलब्ध कराया है। इससे घर के आंगन में आसानी से किचन वेस्ट से कंपोस्ट बनाया जा सकता है। यहां तक कि, यह प्रक्रिया केवल उन लोगों द्वारा की जा सकती है जिन्हें इसमें रुचि होती है। कंपोस्ट बिन की मदद से किचन से आने वाले कचरे को खाद में परिवर्तित किया जा सकता है, और फिर इसे घर के पौधों में उपयोग किया जा सकता है। इस तरीके से किचन से निकलकर कूड़े के ढेर तक पहुंचने वाले कचरे को रोका जा सकता है। शार्क टैंक इंडिया के दूसरे सीज़न में, इस स्टार्टअप ने भी भाग लिया था, जिसे पूनम कस्तूरी ने 2006 में शुरू किया था।
3- गोबर का उपयोग करके गौमय परिवार ने बनाई लकड़ी (गौकाष्ठ)
जब कोरोना काल में हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही थी, तब श्मशान में शवों को जलाने के लिए लाइन लगनी पड़ रही थी। उन्हीं शवों को जलाने के लिए बहुत सारी लकड़ियां भी इस्तेमाल हो रही थीं। ऐसे में राजस्थान के निवासी डॉक्टर सीताराम गुप्ता ने अपनी बेटी अदिति गुप्ता के साथ मिलकर गोमय परिवार नामक एक स्टार्टअप की शुरुआत की। इस उद्यम के अंतर्गत, उन्होंने गाय के गोबर और कृषि अपशिष्टों को मिलाकर लकड़ी जैसी वस्तुएं बनाईं। सामान्य लकड़ी की तुलना में इस लकड़ी की कीमत लगभग बराबर ही पड़ती है। इस स्टार्टअप का दावा है कि गोमय परिवार की गोबर से बनी लकड़ी, यानी गौकाष्ठ, एक शव को जलाने में सामान्य लकड़ी की तुलना में आधी ही खर्च होती है। इसका मतलब है कि पर्यावरण की कम दूषित होगी और पेड़ों को बचाया जा सकेगा। जिन पेड़ों को बचाया जाएगा, वे गौकाष्ठ से फैले प्रदूषण का सामना कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त, यह स्टार्टअप गौमूत्र से भी आय प्राप्त करता है और हवन की सामग्री भी उत्पन्न करता है।
4- ईको-सौहार्दपूर्ण प्रोडक्ट्स का निर्माण करके EcoSoul अमूल्य योगदान दे रहा
इस कंपनी ने एक ईको-फ्रेंडली उत्पादों का निर्माण किया है, जो प्लास्टिक से दूर रहते हुए बनाए जाते हैं। इसकी स्थापना 2020 में राहुल सिंह और अरविंद गणेशन ने की थी। इस स्टार्टअप के कई उत्पाद बांस और पाम के पेड़ की पत्तियों से निर्मित होते हैं। यह कंपनी निरंतर नवाचार करती रहती है और अपने उत्पादों को सुधारती जा रही है। इस स्टार्टअप ने 5 विभिन्न प्रकार के बैग भी विकसित किए हैं, जो मिट्टी में आसानी से कंपोस्ट हो जाते हैं, और इन्हें पाम के पेड़ की पत्तियों से बनाया जाता है। इस कंपनी द्वारा करीब 17 प्रकार के किचन प्रोडक्ट भी विकसित किए जाते हैं, जिनमें कटोरी, प्लेट, पार्टी कप आदि शामिल होते हैं। प्रदूषण के मामले में, इस स्टार्टअप का दावा है कि उन्होंने अब तक लगभग 2 मिलियन किलो कार्बन डाई ऑक्साइड और 3 मिलियन पाउंड प्लास्टिक के वातावरण में जाने से रोका है। और इसके साथ ही, इस स्टार्टअप द्वारा ईको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स के निर्माण के कारण लगभग 24 हजार पेड़ों को बचाया जा चुका है।
5- सोलर,एयर कंडीशनर का निर्माण Exalta द्वारा घर-घर प्रयोग में लाया जा सकेगा
आजकल हर घर में एयर कंडीशनर, जिसे एसी कहा जाता है, का उपयोग किया जाता है। एसी के इस्तेमाल से बहुत सारी बिजली खपत होती है और बिजली उत्पादन के लिए आज भी कोयले का उपयोग किया जाता है जिसके लिए ढेर सारे प्लांट बनाए गए हैं। ऐसे में Exalta नामक एक स्टार्टअप ने सौर ऊर्जा से चलने वाला एयर कंडीशनर (एसी) विकसित किया है। इसकी स्थापना 2009 में आशुतोष वर्मा ने आगरा में की थी। इस एसी के उपयोग से प्रदूषण को कम करने में बहुत अधिक मदद मिलेगी। इस सोलर एसी के कारण, न केवल यह बल्कि बिजली की खपत भी कम होगी, जिससे आवश्यकता के स्थानों पर अधिक बिजली सप्लाई की जा सकेगी।
विश्व पर्यावरण दिवस की प्रतिष्ठा, महत्व और थीम के बारे में जाने
आज पूरी दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मना रही है। इस दिन का महत्व मनुष्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए होता है। प्रतिवर्ष 5 जून को यह दिवस मनाया जाता है। वर्तमान के ऑटोमेशन युग में, औद्योगिकरण के दौरान पर्यावरण पर भयानक प्रभाव पड़ रहा है। हर दिन पेड़ों की कटाई और वायु प्रदूषण के कारण हमारा इकोसिस्टम तेजी से नकारात्मक परिवर्तनों का सामना कर रहा है। पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग है, जिसके बिना हमारे जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। हमारे आसपास फैले पहाड़, पर्वत, मानव, वायुमंडल, मिटटी आदि तत्व पर्यावरण का निर्माण करते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व क्या है?
‘‘विश्व पर्यावरण दिवस’’ 2023 का मूल उद्देश्य है दुनियाभर में लोगों के बीच पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाना। इसमें ब्लैक होल इफेक्ट, ग्रीन हाउस के प्रभाव, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही, इस दिन के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों को प्रेरित भी करना है।
विश्व पर्यावरण दिवस की अवधि और इतिहास
पर्यावरण के बिगड़ते संतुलन और बढ़ते प्रदूषण के सामरिक दबाव से निपटने और पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के उद्देश्य से सन् 1973 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने’विश्व पर्यावरण दिवस’ की शुरुआत की। इसके बाद से प्रतिवर्ष 5 जून को अलग-थलग थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
किस देश ने पहली बार पर्यावरण दिवस का आयोजन किया था?
विश्व पर्यावरण दिवस का फैसला संयुक्त राष्ट्र संघ ने लिया था, लेकिन पर्यावरण दिवस सबसे पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मनाया गया। 1972 में स्टॉकहोम में पहली बार पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें 119 देशों में हिस्सा लिया था।