“श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को अधिक प्रभावी बनाने के लिए भव्य श्री राम कथा का होगा आयोजन”

“मानस मर्मज्ञ भरत पीठाधीश्वर कृष्ण कुमार तिवारी नव दिवसीय श्री राम कथा का करेंगे वाचन”

“राष्ट्रीय सनातन महासंघ के संचालक हरिंद्र कुमार सिंह ने पीठाधीश्वर कृष्ण कुमार तिवारी महाराज से की शिष्टाचार भेंट”

“ऐश्वर्य उपाध्याय दैनिक इंडिया न्यूज लखनऊ।” नये साल के मौके पर आगामी 3 जनवरी 2024 को नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के निकट शहनाई गेस्ट हाउस, विकास नगर में समस्त सनातनी जनमानस की ओर से नवदिवसीय श्री राम कथा का एक भव्य आयोजन होगा। जिसमें कथा का वाचन – कामरूप कामाख्या धाम परम विदुषी मां कमला सरकार के परम शिष्य, मानस मर्मज्ञ भरत पीठाधीश्वर कृष्ण कुमार तिवारी महाराज द्वारा किया जाएगा।

राष्ट्रीय सनातन महासंघ के संचालक हरिंद्र कुमार सिंह से पीठाधीश्वर कृष्ण कुमार तिवारी महाराज ने श्री राम कथा के बारे साझा की जरूरी बातें :


पीठाधीश्वर कृष्ण कुमार तिवारी महाराज ने बताया कि श्री राम कथा के पहले दिन वे भरत पीठाधीश्वर भगवान श्री राम की महिमा का व्याख्यान करेंगे। उन्होंने बताया कि श्री राम सदैव रहने वाली शाश्वत सत्ता है, जिसका न जन्म होता है और न ही मरण। उन्होंने कहा इसके प्रमाण हैं, क्योंकि किसी साधारण व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके नाम के आगे स्वर्गीय लग जाता है, लेकिन अवतारी पुरुष द्वारा अपनी लीला समेट कर इस धरा से जाने पर उनके साथ स्वर्गीय नहीं जुड़ता, क्योंकि वह सत्ता अविनाशी है।

पीठाधीश्वर कृष्ण कुमार तिवारी ने बताया कि श्री राम कण-कण में रमण करने वाली शक्ति है, और श्री राम की कथा श्रवण करने से इंसान भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि प्रभु की कथा श्रवण करने के लिए भगवान भोलेनाथ तक ऋषि अगस्त्य के आश्रम जाते हैं और पावन पुनीत कथा श्रवण कर अपने को धन्य अनुभव करते हैं।

श्री राम की कथा संशय रहित करती है, पक्षीराज गरुड़ को भगवान राम और लक्ष्मण का नागपाश काटने का अवसर मिलने पर जब उनमें संशय उत्पन्न हुआ। तब हनुमान जी के प्रेरणा से वे भगवान भोलेनाथ के पास गए और प्रभु की कथा सुनकर सारे संशय से मुक्त हुए।
पीठाधीश्वर महाराज ने बताया इस धरा पर जो भी भगवान की कथा श्रवण करके उसे अपने जीवन में चरितार्थ करते हैं, उनका जीवन धन्य हो जाता है।
बातचीत के दौरान महाराज जी ने प्रभु श्री राम के अवतार गाथा पर भी प्रकाश डाला,

पीठाधीश्वर कृष्ण कुमार तिवारी ने बताया कि श्रीवाल्मीक जी द्वारा अपनी सम्पूर्ण रामायण में चौबीस हजार श्लोकों की रचना हुई। इसे गायत्री महामंत्र के 24 अक्षरों का विस्तार कह सकते हैं। युग दृष्टा पं श्री राम जी ने इस संदर्भ में विस्तृत व्याख्या अपनी दो खंडों में रचित गायत्री महा विज्ञान में की है।

उन्होंने कहा गायत्री मंत्र में प्रणव सहित यदि तीस अक्षर मान लें, तो युग वाल्मीकि महाराज तुलसीदास की संपूर्ण राम चरित मानस प्रमुखत: तीस कथाओं पर आधारित है। बाल सोपान के इकतीसवें दोहे की चौथी पंक्ति से …………दोहे तक मानव जीवन की तीस अवधारणाओं का ही कथा में संदर्भ है।

“निज सन्देह मोह भ्रम हरनी, करूऊ कथा भव सरिता तरनी।” से लेकर “राम कथा मंदाकिनी चित्रकूट चिन्त चारू, तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुवीर विहारू।” तक 30 कथाओं का आदान-प्रदान मानस जी में अभूतपूर्व है। इसमें मानस जी ने राम रस का परिपूर्ण परिचय दिलाया है। ज्यादा के लिए तो कथा को पढ़ने और राम रस में डूबने से ही आनंद मिलेगा।

वार्ता के अंत में महाराज जी ने बताया कि 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्री राम लला जी की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इस भव्य राम कथा का आयोजन हो रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान को दोहराते हुए सबको प्रेरित करते हुए कहा कि श्री राम लला जी के सम्मान में हर घर स्वामी अपने घर में दीप जलाएं, आप को बता दें देशवासियों के लिए श्री राम लला की घर वापसी का आनंद मनाने का यह अनूठा मौका है, जो लगभग 500 सालों के बाद आया है।

 
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