
दैनिक इंडिया न्यूज़,ब्यूरो, नई दिल्ली।
पाकिस्तान और पीओके में आतंकवाद के ठिकानों पर भारत की निर्णायक सैन्य कार्रवाई—ऑपरेशन सिंदूर—के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की, जिसमें सभी प्रमुख दलों को राष्ट्रीय सुरक्षा की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया गया। यह बैठक जहां एक ओर राजनीतिक सौहार्द और पारदर्शिता का प्रतीक बनी, वहीं दूसरी ओर इसमें देश की सुरक्षा के प्रति राजनीति से ऊपर उठकर समर्थन देने की मिसाल पेश की गई।
बैठक की अध्यक्षता संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने की, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ-साथ विपक्षी नेताओं मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, अखिलेश यादव, डी. राजा, संजय राउत, सुदीप बनर्जी, शरद पवार आदि की उपस्थिति रही। सरकार ने बताया कि यह ऑपरेशन न केवल सीमापार आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने की कार्रवाई थी, बल्कि यह एक ठोस संदेश भी है कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा।
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भूमिका सबसे उल्लेखनीय रही। उन्होंने जिस संयम, दृढ़ता और संवेदनशीलता के साथ विपक्ष को स्थिति की जानकारी दी, उससे एक बार फिर उनकी राष्ट्रनिष्ठ छवि उभरी। राजनीतिक मतभेदों से परे जाकर जिस आत्मबल और नीतिगत स्पष्टता के साथ उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की योजना और उद्देश्य बताए, वह यही दर्शाता है कि जब-जब राष्ट्र संकट में होता है, राजनाथ सिंह संकटमोचन बनकर सामने आते हैं।
दैनिक इंडिया न्यूज़ के एडिटोरियल समूह पहले ही उन्हें राजनीति के हनुमान की संज्ञा दे चुका है। यह संज्ञा महज़ उपमा नहीं, बल्कि उनके आचरण, निर्णय क्षमता और राष्ट्रीय रक्षा के प्रति समर्पण की सत्य कथा है। गुरुवार की बैठक में उनका संतुलित नेतृत्व विपक्ष को भी आश्वस्त कर गया।
कांग्रेस ने जहां प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर सवाल उठाया, वहीं राजनाथ सिंह की प्रस्तुति और जानकारी को लेकर संतोष जताया। जय राम रमेश ने कहा कि “हम भले असहमत हों, पर जो जानकारी दी गई, वह राष्ट्रहित में थी।”
इस बैठक के ज़रिए भारत ने दुनिया को यह भी दिखा दिया कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की होती है, तो पूरा देश एकसाथ खड़ा होता है। सभी दलों ने इस अभियान को समर्थन दिया और आतंकवाद के खिलाफ हर कार्रवाई में सरकार के साथ रहने का आश्वासन भी दिया।
दैनिक इंडिया न्यूज़ इस ऐतिहासिक क्षण को केवल एक औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और नेतृत्व की दृढ़ता के रूप में देखता है—जिसके केंद्र में एक बार फिर खड़े हैं राजनीति के हनुमान, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।