मुख्य बातें:
- सीएम योगी की कड़ी कार्रवाई: चकबंदी मामलों में लापरवाही और भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कदम उठाते हुए 28 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की।
- जीरो टॉलरेंस नीति का पालन: सीएम के निर्देश पर आठ मंडलों के अधिकारियों पर निलंबन, पद से हटाने और अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
- भ्रष्टाचार पर सीएम योगी का सख्त संदेश: सेवानिवृत्त सहायक चकबंदी अधिकारी की पेंशन में 20 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव भेजा गया।
दैनिक इंडिया न्यूज़,लखनऊ, 31 अगस्त: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चाबुक एक बार फिर लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ चला है। उनके नेतृत्व में चकबंदी विभाग में जारी भ्रष्टाचार और अनियमितता पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 28 अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए गए हैं। इनमें कई अधिकारियों को निलंबित किया गया, जबकि कुछ को पद से हटाने और जवाब-तलब के आदेश दिए गए हैं।
चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन के अनुसार, सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत विभागीय समीक्षा के दौरान लापरवाही और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की पहचान की गई। इसके बाद, मुख्यमंत्री के निर्देश पर आठ मंडलों के चकबंदी अधिकारियों पर गाज गिरी। इनमें बंदोबस्त अधिकारी, उप संचालक, सहायक चकबंदी अधिकारी, चकबंदीकर्ता, और चकबंदी लेखपाल शामिल हैं।
चकबंदी मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ शब्दों में कहा है कि लापरवाही और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कुशीनगर के बंदोबस्त अधिकारी संतोष कुमार को कार्य में लापरवाही के कारण निलंबित कर दिया गया, जबकि वाराणसी के बंदोबस्त अधिकारी पवन कुमार सिद्धू के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई।
सेवानिवृत्त अधिकारी पर भी गिरी गाज
सेवाकाल में अनियमितता करने वाले सेवानिवृत्त सहायक चकबंदी अधिकारी रमेश पाल सिंह राणा की पेंशन में 20 प्रतिशत की कटौती का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। यह कदम मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति असहिष्णुता का स्पष्ट प्रमाण है।
सीएम योगी का सख्त संदेश
सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी अधिकारी, चाहे वह सेवा में हो या सेवानिवृत्त, यदि उसने पद का दुरुपयोग किया है, तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। मुख्यमंत्री की इस सख्ती से यह संदेश साफ है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति से किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी।
अधिकारियों के लिए कड़ा संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस कड़ी कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ कितनी गंभीर है। यह कार्रवाई न केवल संबंधित अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि योगी सरकार में कोई भी अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।