
दैनिक इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली।वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में जब अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अनिश्चितताओं और आपूर्ति श्रृंखला की अस्थिरता से जूझ रही हैं, उसी समय Amway ने भारत में 12 मिलियन डॉलर (लगभग 100 करोड़ रुपये) के निवेश की घोषणा कर एक सशक्त संदेश दिया है — कि भारत अब केवल एक उपभोक्ता बाजार नहीं, बल्कि एक स्थायी आर्थिक साझेदार बन चुका है।
एमवे की यह पहल तात्कालिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण (Strategic Vision) का परिणाम है। कंपनी भारत में अपनी भौतिक उपस्थिति (Physical Presence) को सुदृढ़ करने जा रही है, ताकि उसके वितरक, उपभोक्ता और स्थानीय उद्यमी एक साझा विकास मंच से जुड़ सकें। आर्थिक दृष्टि से यह कदम इस बात का संकेत है कि भारत अब “प्रत्यक्ष उपभोग” से आगे बढ़कर “प्रत्यक्ष उद्यमिता” की अर्थव्यवस्था में रूपांतरित हो रहा है।
भारत में अब तक Amway लगभग 140 मिलियन डॉलर का निवेश कर चुकी है। दक्षिण भारत के मदुरै में स्थित इसका अत्याधुनिक विनिर्माण संयंत्र “मेक इन इंडिया” अभियान की व्यावहारिक सफलता का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह इकाई न केवल घरेलू बाजार की आवश्यकताओं को पूरा कर रही है, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में निर्यात के माध्यम से भारत की निर्माण क्षमता और गुणवत्ता की वैश्विक पहचान को भी सुदृढ़ कर रही है।
इस निवेश के सामाजिक-आर्थिक पहलू को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। कोविड-19 के बाद भारत में स्वास्थ्य और कल्याण आधारित उपभोग एक नई आर्थिक प्रवृत्ति के रूप में उभरा है। उपभोक्ता अब केवल उत्पाद नहीं, बल्कि विश्वास और सुरक्षा खरीदना चाहते हैं। एमवे की रणनीति इसी भावनात्मक-आर्थिक परिवर्तन को ध्यान में रखकर तैयार की गई है — जहाँ ब्रांड और उपभोक्ता के बीच का संबंध केवल लेन-देन नहीं, बल्कि विश्वास और जागरूकता का रिश्ता बनता है।
एमवे इंडिया के प्रबंध निदेशकों के अनुसार, भारत में निवेश का अर्थ केवल कारोबार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आर्थिक साझेदारी है। भारतीय युवाओं में अब जोखिम उठाने और स्वयं अवसर गढ़ने की क्षमता तेजी से विकसित हो रही है। प्रत्यक्ष बिक्री (Direct Selling) का मॉडल इसी सोच को मज़बूत करता है — यह रोजगार से अधिक, स्वावलंबन और वित्तीय सशक्तिकरण की प्रक्रिया है।
वर्ष 2021 में केंद्र सरकार द्वारा प्रत्यक्ष बिक्री से जुड़ी नीतियों में पारदर्शिता और नियामकीय स्थिरता लाने के बाद इस क्षेत्र को नई गति मिली है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश भारत की नीति-विश्वसनीयता (Policy Credibility) और व्यापार-सुगमता (Ease of Doing Business) का वैश्विक प्रमाण है।
आज जब वैश्विक अर्थव्यवस्था आपूर्ति श्रृंखला के असंतुलन और उत्पादन अस्थिरता से जूझ रही है, भारत अपनी नीतिगत निरंतरता, तकनीकी क्षमता और जनसांख्यिकीय सामर्थ्य के कारण एक भरोसेमंद विनिर्माण केंद्र बनकर उभर रहा है। अमवे का यह निर्णय इसी वास्तविकता को रेखांकित करता है — कि भारत अब वैश्विक वेलनेस उद्योग में केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि उत्पादक और निर्यातक शक्ति के रूप में स्थापित हो रहा है।
आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह 12 मिलियन डॉलर का निवेश केवल एक राशि नहीं, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक विश्वास का संकेत है। यह इस बात की पुष्टि करता है कि आत्मनिर्भर भारत अब कोई नीतिगत नारा नहीं, बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए एक व्यवहारिक आर्थिक सिद्धांत बन चुका है। एमवे का यह कदम यह दर्शाता है कि भविष्य की अर्थव्यवस्था उसी दिशा में आगे बढ़ेगी जहाँ भारत की सोच और प्रयास मिलकर दुनिया के लिए नई संभावनाएँ गढ़ेंगे।
