
तुहीन चतुर्वेदी ।दैनिक इंडिया न्यूज़ नई दिल्ली।26 के Nobel Peace Prize को लेकर एक बड़ा धमाका सामने आया है। पाकिस्तान द्वारा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नामांकन किए जाने के बाद अब खुद Nobel Peace Prize Committee में ही दरारें साफ दिखाई देने लगी हैं।
सूत्रों के अनुसार, समिति के कुल पाँच सदस्यों में से तीन ने खुले तौर पर ट्रंप के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है। इन सदस्यों का कहना है कि ट्रंप के कार्यकाल के दौरान लोकतंत्र और मीडिया स्वतंत्रता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगे थे, ऐसे में उन्हें शांति का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार देना विश्वसनीयता पर आघात होगा।
यह घटनाक्रम उस समय और भी चौंकाने वाला बन जाता है जब पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से ट्रंप का नामांकन कर दिया है। सवाल यह है कि— क्या पाकिस्तान की सिफारिश समिति के फैसले पर दबाव बनाने की कोशिश है? और क्या यह नामांकन अंतरराष्ट्रीय राजनीति का नया मोहरा बन चुका है?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब समिति के अधिकांश सदस्य ही असहज हैं, तो क्या ट्रंप का नामांकन औपचारिकता भर साबित होगा? या फिर राजनीतिक लॉबीइंग के चलते इतिहास का सबसे विवादित Nobel Peace Prize देखने को मिलेगा?
Trump की Nobel दौड़ अब बेहद कठिन मोड़ पर खड़ी है।दुनिया भर की निगाहें अब ओस्लो पर टिकी हैं— क्या वाकई ट्रंप शांति के प्रतीक माने जाएंगे, या उनका नामांकन इतिहास के सबसे बड़े विवाद में बदल जाएगा?