माँ दुर्गा के नौ रूपों के पूजन-अर्चन उपरांत असुरी शक्ति पर विजयोत्सव,

दशहरा पर्व उल्लासपूर्ण वातावरण में सम्पन्न-राष्ट्रीय सनातन महासंघ

दैनिक इंडिया न्यूज़, लखनऊ।“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वस्तत्राफलाः क्रियाः।।”


इसका अर्थ है कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ उनकी पूजा नहीं होती, वहाँ सभी कार्य विफल हो जाते हैं।

भारत प्राचीन काल से ही महिला सशक्तिकरण और नारी को सर्वोच्च स्थान प्रदान करता आया है। इसी भावना के अंतर्गत शारदीय नवरात्र के दौरान नारी को सर्वशक्तिमान, पूजनीय और सृष्टि की सर्वोच्च रचनाकार के रूप में सम्मानित किया जाता है। शक्ति की उपासना के बाद, मानव जीवन को सामाजिक मूल्यों से समृद्ध करने और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को अपनाने के लिए विजयादशमी का महापर्व मनाया जाता है।

राष्ट्रीय सनातन महासंघ ने अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में इस पर्व को उल्लास और भक्तिभाव के साथ मनाया। अध्यक्ष ने देशवासियों को विजयादशमी की शुभकामनाएँ देते हुए राष्ट्र के उत्थान, विकास और स्वास्थ्य की मंगलकामनाएँ व्यक्त कीं। इस शुभ अवसर पर महासंघ के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों को समाज के समक्ष नैतिक शिष्टाचार और आदर्श आचरण का पालन करने के लिए संकल्पित किया गया।

अध्यक्ष जितेन्द्र प्रताप सिंह ने पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण का संदेश देते हुए गौमाता के पवित्र गोबर से निर्मित रावण का प्रतीकात्मक वध किया, जिससे असत्य पर सत्य की और अन्याय पर न्याय की विजय के प्रति समर्पण भाव को प्रकट किया गया। इस पर्व को सामाजिक सहभागिता के साथ मनाते हुए, उन्होंने सभी से प्रकृति के संरक्षण और मर्यादित आचरण का पालन करने की अपील की।

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