लोक परिशान्ति कायम रखाने के सम्बन्ध में

वाचस्पति त्रिपाठी / डी डी इण्डिया


क्रि0रि0पि0 संख्या 16386/2020 शिवकुमार वर्मा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश में माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश दिनांक 11-6-2019 के अनुपालन के संबंध में धारा 107 द0प्र0स0 का विवेचन जब किसी कार्यपालक मजिस्ट्रेट को इत्तिला मिलती है की संभाव्य है कि उसके अधिकारिता क्षेत्र में कोई परिशांति भंग करेंगा या लोक प्रशांति विक्षुब्ध करेगा या कोई ऐसा सदोष कार्य करेगा, जिससे सम्भावतः परिशांति भंग हो जाएगी या लोक प्रशांति विक्षुब्ध हो जाएगी तब यदि उसकी राय में कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार है, तो वह ऐसे व्यक्ति से इसमें इसके पश्चात उपस्थित रीति से अपेक्षा कर सकता है कि वह कारण दर्शित करें कि एक वर्ष से अनधिक कि इतनी अवधि के लिए जितनी मजिस्ट्रेट नियत करना ठीक समझे, परिशांति कायम रखने के लिए उसे प्रतिभूओ सहित या रक्षित बंद पत्र निष्पादित करने के लिए आदेश क्यों न दिया जाए। मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश में लोक परिशांति भंग के संबंध में स्वयं का समाधान उसके आधार पर उल्लेख अवश्य किया जाए। परिशांति भंग करने वाले व्यक्ति को संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा प्रतिभूओ के साथ या बिना प्रतिभूओ के बांड संपादित करने के लिए स्पष्ट आदेश दिया जाएगा। उपरोक्त दोनों शर्तों का उल्लेख संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश में किया जाएगा।

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