“हिंदुत्व के महानायक, “वीर सा वीर, सावरकर हमारे आदर्श”-जेपी सिंह
दैनिक इंडिया न्यूज, लखनऊ: राजधानी लखनऊ में स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर जी की 140वीं जयंती के उपलक्ष्य में सावरकर विचार मंच ने इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सभागार मे एक बौद्धिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में प्रबुद्धजनों ने सहभागिता की और आमंत्रित व्यक्तियों के विचारों को ग्रहण करते हुए राष्ट्र प्रथम व सावरकर जी की विचारधारा के अनुसार समृद्ध, समग्र और समरसता पूर्ण राष्ट्र निर्माण में समस्त नागरिकों को समर्पित भाव से कार्य करना चाहिए। इस अवसर पर जे पी सिंह, संस्कृत भारतीन्यास के अध्यक्ष (अवधप्रान्त) सहित विभिन्न समभाव संगठनों ने भी सहभागिता की और विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम सम्पन्न होने के पश्चात संक्षिप्त व्यक्तिगत गौष्ठी मे श्री जे पी सिंह अध्यक्ष संस्कृत भारतीन्यास व श्री राघवेन्द्र विक्रम सिंह सेवानिवृत्त आई ए एस व स्वतंत्र पत्र लेखक ने वर्तमान परिदृश्य के सापेक्ष वीर सावरकर जी के विचारों पर अपना अपना समीक्षात्मक विमर्श प्रस्तुत किया ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता चिरायु पंडित (चर्चित पुस्तक ‘वीर सावरकर’ के लेखक) का तेजस्वी उद्बोधन हुआ, जिसमें राष्ट्र के प्रति सावरकर जी के योगदानों पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि सावरकर का विजन औरविचार व्यापक था और उसको समग्रता से समझकर अनुकरण किया जाता तो संभवतः भारत का विभाजन नहीं होता। सावरकर के सिद्धांतों और विचारों के अनुरूप यदि भारत का शासन तंत्र स्वतंत्रता के पश्चात संचालित होता, तो विश्व पटल पर भारत और प्रभावशाली रहता और अनेक चुनौतियों से निजात प्राप्त होता। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्री प्रकाश पाठक (अध्यक्ष, सावरकर दर्शन परिषद, पुणे) ने कहा कि सावरकर के विचार आज भी शासन सत्ता के लिए प्रासंगिक हैं। भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को जनमानस में वैचारिक पुष्टता के लिए सावरकर को पढ़ना, जानना और समझना आवश्यक है। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता डॉक्टर महेश दत्त शर्मा (पूर्व राज्यसभा सदस्य, जयपुर) ने कहा कि देश के युवाओं को सावरकर को आदर्श मानकर देश के लिए कार्य करना चाहिए। उनका त्याग, समर्पण और देशभक्ति अनुकरणीय हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री चिरायु पंडित जी ने की। विशिष्ठ अतिथि द्वारा आयोजित स्वातंत्र्य वीर सावरकर जी की 140 वीं जयंती के उपलक्ष्य में, सावरकर विचार मंच ने एक बौद्धिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का आयोजन लखनऊ के इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सभागार में हुआ।
इस कार्यक्रम में बहुत सारे प्रबुद्ध लोगों ने हिस्सा लिया और अपने विचारों को साझा किया। उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्र प्रथम के रूप में और सावरकर जी के विचारों के आधार पर, सभी नागरिकों को समृद्ध, समान और समरस राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित रहना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता चिरायु पंडित (जो पुस्तक “वीर सावरकर” के लेखक हैं) ने एक उद्बोधन किया। उन्होंने सावरकर जी के योगदानों को बताते हुए कहा कि उनके विचार और दृष्टिकोण बहुत व्यापक हैं। यदि हम उन्हें समझें और उनके मार्ग पर चलें, तो संभवतः भारत का विभाजन नहीं होता। वे सावरकर जी के सिद्धांतों और विचारों के आधार पर भारत का शासन स्वतंत्रता के बाद से चल रहा होता और भारत विश्व स्टेज पर अधिक प्रभावशाली होता।
इस कार्यक्रम में अतिथि वक्ता श्री प्रकाश पाठक (सावरकर दर्शन परिषद के अध्यक्ष, पुणे) ने कहा कि सावरकर जी के विचार आज भी शासन सत्ता के लिए प्रासंगिक हैं। भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को समर्थन के लिए सावरकर को पढ़ना, जानना और समझना आवश्यक है। कार्यक्रम में एक और विशिष्ट वक्ता, डॉक्टर महेश दत्त शर्मा (पूर्व राज्यसभा सदस्य, जयपुर) ने कहा कि देश के युवाओं को सावरकर को आदर्श मानकर देश के लिए कार्य करना चाहिए। उनका त्याग, समर्पण और देशभक्ति अनुकरणीय है।
यह कार्यक्रम श्री चिरायु पंडित द्वारा अध्यक्षता में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के अंत में वैद्य अजय दत्त शर्मा ने एक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।