दैनिक इंडिया न्यूज़ लखनऊ :विश्व योग दिवस 2023 का वृहद आयोजन संस्कृत भारतीन्यास अवधप्रान्त, महानगर विस्तार जनकल्याण समिति व वारियर्स डिफेन्स एकेडमी के संयुक्त तत्वावधान मे ई पार्क महानगर विस्तार लखनऊ मे आयोजित किया गया। जे पी सिंह अध्यक्ष संस्कृतभारतीन्यास अवधप्रान्त, प्रभात अधौलिया भाग संचालक पूर्व भाग, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ,गुलाब सिंह निदेशक वारियर्स डिफेंस एकेडमी, अनिल जी महामंत्री,संस्कृतभारती अवधप्रान्त सहित बड़ी संख्या मे छात्र – छात्राओं,स्थानीय निवासियों,वरिष्ठ जनों ने सहभागिता की। योग शिक्षक प्रशान्त जी व उनकी सहयोगिनी ने सरल,सहज प्रकार से योग विषय की विस्तृत व्याख्या करते हुए धरातल स्तर पर योग तथा प्रणायाम को व्यवहारिक रूप मे प्रस्तुत करते हुए उपस्थित जनों योग कराया। जे पी सिंह ने बताया कि
योग (Yoga) शब्द संस्कृत भाषा का है और इसका अर्थ “जोड़ना” या “मिलाना” होता है। इसे धार्मिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक, और शारीरिक अर्थ में इस्तेमाल किया जाता है। योग का लक्ष्य मन, शरीर, और आत्मा के संयोग को स्थापित करना होता है, जिससे समृद्ध, स्वस्थ, और सुखी जीवन प्राप्त हो सके।
योग का मूल उद्देश्य
योग का मूल उद्देश्य एक मन की शांति और स्वस्थता को प्राप्त करना है, जिससे हम समग्रता और संयुक्तता की भावना का अनुभव करते हैं। योगाभ्यास करने के द्वारा हम अपने शरीर, मन, और आत्मा को सुखी, स्वस्थ, और समरस्त बना सकते हैं। अष्टांग योग के अंतर्गत
यम, नियम, आसन ,प्राणायाम प्रत्याहार, धारणा, ध्यान,समाधि जैसे तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो हमें शरीरिक और मानसिक समता, शक्ति, और स्थिरता प्रदान करते हैं।
प्रभात अधौलिया संघ संचालक पूर्व भाग ने योग को वसुधैव कुटुम्बकम् या “पृथ्वी एक परिवार” के सिद्धान्त के आधार पर, योग वैश्विक एकता के विषय पर प्रकाश डाला।
योग के माध्यम से हम अपने स्वभाविक सम्पर्क को पुनर्स्थापित करते हैं, जो हमें हमारे आस-पास के प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों के साथ एक संवेदनशीलता और संबंध विकसित करने में मदद करता है। योग के अभ्यास से हम स्वयं को एक प्रकार के सादृश्य और समानता के साथ अनुभव करते हैं, जो हमारे बीच संबंधों में समरसता और सहभागिता को प्रोत्साहित करता है। यही कारण है कि योग विश्वभर में वैश्विक एकता को प्रमोट करने का महत्वपूर्ण साधन बन गया है।
योग के माध्यम से हम अपने शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित करते हैं और एकता की भावना को विकसित करते हैं। योग की प्राकृतिक धारणाएँ और आसनों में, हम सभी लोगों को अपने सामरिक, जीवात्मक, और मानवीय सामरिकता को महसूस करने का एक मौका मिलता है। योग के माध्यम से हम अन्य लोगों के साथ संवाद करते हैं, संयोग करते हैं और समान विचारधारा का आनंद लेते हैं।
योग हमें अन्तर्निहित एकता की अनुभूति कराता है, जहां हम अपने आप को सिर्फ अपने नहीं, बल्कि सभी मानव जाति के सदस्यों के साथ जुड़े हुए महसूस करते हैं। योग द्वारा हम आत्म-समर्पण की भावना को विकसित करते हैं, जो हमें स्वयं को संघटित भाग के रूप में देखने के साथ-साथ विश्व के सभी जीवों के साथ एक मूल्यांकन और गहरी संबंध बनाने की भावना को विकसित करती है।
योग के माध्यम से हम सामरिक भावना विकसित करते हैं और दूसरों के साथ सहयोग करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। हम जाति, धर्म, राष्ट्रीयता और भाषा की सीमाओं को पार करते हुए, सभी मानवों के साथ गहरी संबंध बना सकते हैं। योग सामान्य मानवीय मूल्यों की समरसता, विश्व सद्भावना, और सहभागिता को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करता है।
अनिल जी,महामंत्री संस्कृतभारती अवधप्रान्त ने संस्कृत भाषा मे बताया कि योग से हम अपने अंतरंग एवं बाह्य संघर्षों को समाधान करने, तार्किक विवेचन के बजाय समझदारी, सहयोग और प्रेम का उपयोग करने का कौशल सीखते हैं। योग सामरिकता को प्रोत्साहित करता है और हमें समग्र विश्व में समानता और न्याय की प्राथमिकता के प्रति संवेदनशील बनाता है। यह हमारे बीच अभिवृद्धि, समझदारी, और आदर्श मानवीय समाज के निर्माण का मार्ग दिखाता है।
गुलाब सिंह निदेशक वारियर्स डिफेंस एकेडमी ने भी योग-एकाग्र – शौर्य को एक दूसरे के पोषक होने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनुशासित जीवन ही सफलता प्रदान करता है।
आयोजक जे पी सिंह अध्यक्ष संस्कृतभारतीन्यास ने सभी उपस्थित जनों को सहभागिता व योग निर्देशों के अनुपालन कर कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राष्ट्र गान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।