
राष्ट्रीय सनातन महासंघ, संस्कृतभारती न्यास और वारियर्स डिफेंस एकेडमी का संयुक्त आयोजन

प्रभु अपरिमेय श्याम दास ने गीता ज्ञान से किया सभी को प्रेरित

दैनिक इंडिया न्यूज़,लखनऊ, 15 अगस्त 2025।राजधानी लखनऊ का महानगर विस्तार इस स्वतंत्रता दिवस पर सचमुच एक जीवंत तस्वीर बन गया, जहां हर गली, हर सड़क और हर दिल तिरंगे के रंग में रंगा हुआ नजर आया। सुबह से ही लोगों में उत्साह का माहौल था और जब राष्ट्रीय सनातन महासंघ, संस्कृतभारती न्यास, वारियर्स डिफेंस एकेडमी और महानगर विस्तार जनकल्याण समिति के संयुक्त तत्वावधान में विशाल तिरंगा यात्रा शुरू हुई तो माहौल जयघोष से गूंज उठा।
यह यात्रा रैदास मंदिर क्रॉसिंग से शुरू होकर अलीगंज, कपूरथला क्रॉसिंग, छन्नीलाल चौराहा, गोलमार्केट और मंदिर मार्ग से होती हुई पद्मश्री डॉ. एस.सी. राय पार्क (ई-पार्क) तक पहुंची। हजारों लोग हाथों में तिरंगा लिए, “ऑपरेशन सिंदूर विजय” के नारे लगाते हुए, मानो अपने सीने से मातृभूमि की रक्षा का संकल्प दोहरा रहे हों। बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक, हर किसी की आंखों में चमक और दिलों में जोश साफ झलक रहा था।
जब यह यात्रा ई-पार्क पहुंची तो वहां पहले से ही स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह सज-धज कर तैयार था। सुबह 11 बजे निर्धारित समय पर ध्वजारोहण का क्षण आया। प्रभु अपरिमेय श्याम दास (अध्यक्ष, ISKCON Lucknow), डॉ. अशोक बाजपेई (पूर्व राज्यसभा सदस्य), अपर्णा बिष्ट (उपाध्यक्ष, महिला आयोग उत्तर प्रदेश), जितेंद्र प्रताप सिंह (अध्यक्ष राष्ट्रीय सनातन महासंघ), डॉ. बी. सिंह (अध्यक्ष मिडलैंड चिकित्सालय), डॉ. अभिषेक शुक्ल (निदेशक आस्था वरिष्ठ जन चिकित्सालय), गुलाब सिंह (निदेशक वारियर्स डिफेंस एकेडमी), प्रमोद पंडित (क्षेत्रीय संगठन मंत्री संस्कृतभारती), प्रभात अधौलिया (वरिष्ठ अधिवक्ता एवं आरएसएस के पूर्व संचालक) सहित कई प्रमुख हस्तियों ने सामूहिक रूप से तिरंगा फहराया। राष्ट्रगान के गूंजते स्वर ने पूरा वातावरण देशभक्ति से भर दिया।
इसके बाद मंच पर एक-एक कर अतिथियों ने अपने विचार रखे। सबसे पहले प्रभु अपरिमेय श्याम दास ने जब श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान साझा किया तो सभा मंत्रमुग्ध हो गई। उन्होंने कहा कि गीता हमें केवल धर्म का ही नहीं, बल्कि कर्तव्य और राष्ट्रसेवा का मार्ग भी दिखाती है। उनके शब्द मानो हर श्रोता के अंतर्मन में गूंज उठे।
अपर्णा बिष्ट ने केंद्र सरकार की ओर से महिला आरक्षण और सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदमों को सराहा और सभी से संस्कृत भाषा को जीवन का हिस्सा बनाने का संकल्प लेने की अपील की। वहीं डॉ. अशोक बाजपेई ने अपने संबोधन में कहा कि “चरित्र निर्माण ही राष्ट्र निर्माण की सच्ची नींव है”। उनकी सधी हुई वाणी ने युवाओं को प्रेरित किया कि वे सिर्फ खुद को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करें।
समारोह में एडीसीपी जितेंद्र दूबे ने अनुशासन और एकाग्रता को जीवन में सफलता की कुंजी बताया। प्रभात अधौलिया ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की परंपरा को रेखांकित करते हुए कहा कि “स्वभाषा, स्वभूषा, स्वभोजन, स्वभवन और स्वभ्रमण” के जागरण से ही राष्ट्र का जागरण संभव है। वहीं गुलाब सिंह ने युवाओं को सेना में अधिकारी बनने के लिए कठोर परिश्रम और अनुशासन को अपना मूल मंत्र बनाने की प्रेरणा दी।
प्रमोद पंडित ने संस्कृत भाषा की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केवल विद्वानों की नहीं, बल्कि हर भारतीय की भाषा है, जिसे बोलचाल में लाना हमारी जिम्मेदारी है। विमल शुक्ल ने स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भर भारत के महत्व पर बल दिया और लोगों को स्थानीय उत्पादों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम के अंत में जब जितेंद्र प्रताप सिंह (सचिव, महानगर विस्तार जनकल्याण समिति) ने आभार प्रकट किया तो यह सिर्फ औपचारिक धन्यवाद नहीं था, बल्कि एक नए संकल्प का उद्घोष था। ई-पार्क परिसर में रुद्राक्ष, नीम, इमली, अर्जुन और पीपल के वृक्ष लगाए गए और संदेश दिया गया – “एक वृक्ष माँ के नाम, एक वृक्ष राष्ट्र के नाम, एक वृक्ष स्वयं के नाम।” यह वृक्षारोपण मानो आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता का हरित उपहार देने जैसा था।
पूरा समारोह केवल स्वतंत्रता दिवस का उत्सव नहीं रहा, बल्कि यह एक जीवंत अनुभव बन गया जिसमें गीता का ज्ञान, संस्कृत का गौरव, राष्ट्रभक्ति का संकल्प और पर्यावरण संरक्षण का संदेश सब एक साथ जुड़ गए। लखनऊ का महानगर विस्तार इस दिन सचमुच एक ऐसी याद छोड़ गया जिसे हर सहभागी जीवनभर याद रखेगा।