दैनिक इंडिया न्यूज, लखनऊ: संस्कृतभारती के अखिलभारतीय महामंत्री सत्यनारायण भट्ट 7 नवंबर 2024 को अवध प्रांत के सात दिवसीय प्रवास पर पहुंचे। इस प्रवास के दौरान उन्होंने संस्कृत भाषा के विस्तार हेतु कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लिया और स्थानीय कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित किया, जिससे संगठन को नई दिशा देने के उपायों पर चर्चा की जा सके।
प्रवास की शुरुआत नवयुग महाविद्यालय में आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर और बालकेन्द्र जानकीपुरम के भ्रमण से हुई, जिसमें संस्कृत के प्रति बच्चों और युवाओं में रुचि जाग्रत करने के प्रयासों पर जोर दिया गया। इसके बाद प्रांत अध्यक्ष शोभनलाल उकील के निवास पर एक विशेष संवाद का आयोजन हुआ, जिसमें संगठन की आगामी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
सत्यनारायण भट्ट ने 9 नवंबर को लखीमपुर खीरी के दो दिवसीय प्रांत कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रस्थान किया। सम्मेलन में उन्होंने विभिन्न सत्रों में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया और संस्कृत के प्रचार-प्रसार को और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव दिए। इस सम्मेलन से पूर्व, उन्होंने संस्कृतभारतीन्यास के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह के निवास पर एक विशेष विमर्श सत्र में भाग लिया। इस दौरान संगठन के आगामी लक्ष्यों पर विचार किया गया, और यह निर्णय लिया गया कि 13 नवंबर 2024 को संस्कृतभारतीन्यास द्वारा एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें संस्कृत के विस्तार हेतु नई कार्ययोजनाओं पर विचार किया जाएगा।
प्रांत कार्यकर्ता सम्मेलन: दीप प्रज्वलन और मां शारदा के पूजन के साथ हुआ शुभारंभ
लखीमपुर खीरी में आयोजित प्रांत कार्यकर्ता सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और मां शारदा की आराधना के साथ किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित सत्यनारायण भट्ट ने संस्कृत के महत्व पर अपने विचार रखे और संस्कृतभारती के उद्देश्यों को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धरोहर की पहचान है, जिसे युवा पीढ़ी में रोपित करना अत्यंत आवश्यक है। सम्मेलन में संस्कृतभारतीन्यास के अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने भी विचार रखे और संगठन के कार्यों में हर वर्ग की भागीदारी पर बल दिया। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि और अध्यक्ष का संबोधन
सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बाबा लक्ष्मण सिंह शास्त्री, जो कि निर्मल आश्रम के मठाधीश और वाराणसी-हरिद्वार स्थित निर्मल संस्कृत पाठशाला के अध्यक्ष हैं, ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने संस्कृतभारती के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति की रीढ़ है, और इसे प्रोत्साहित करने के लिए समाज को समर्पित भावना के साथ आगे आना चाहिए। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे प्रांत संघचालक स्वर्ण सिंह कम्बोज ने नवभारत पब्लिक इंटर कॉलेज, लखीमपुर के प्रबंध निदेशक के रूप में संस्कृत के प्रति अपनी निष्ठा जताई और संस्कृत के प्रचार के लिए नवयुवकों को प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर सभा के अंत में धन्यवाद ज्ञापन संस्कृतभारती के हरिप्रसाद त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया, जिन्होंने कार्यकर्ताओं और अतिथियों को सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद दिया और संस्कृतभारती की ओर से आगामी योजनाओं में पूर्ण समर्थन का वादा किया।
इस प्रकार, सात दिवसीय प्रवास के माध्यम से सत्यनारायण भट्ट ने अवध प्रांत में संस्कृत के प्रति जागरूकता बढ़ाने और संगठन की योजनाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में सार्थक कदम उठाए। सम्मेलन में विभिन्न प्रांतों से आए कार्यकर्ताओं ने भी संस्कृतभारती के उद्देश्यों को सफल बनाने के संकल्प के साथ इस आयोजन में हिस्सा लिया।