ब्यूरो डीडी इंडिया न्यूज
लखनऊ।उत्तर प्रदेश मौजूदा समय अवैध पार्किंग के नाम पर नगर निगम के द्वारा पिछले कई दिनों से गाड़ियों को उठा लेना तथा गाड़ी छोड़ने के लिए मनमाना शुल्क वसूल करना जारी है। पहले तो नगर निगम के लोग ऐसी जगहों से गाड़ियों को उठाते हैं जिनसे न तो कोई यातायात बाधित हो रहा होता है ना ही जनमानस को कोई समस्या होती है तथा इनकी नजर किसी भी ऐसे सरकारी कार्यालय राजनैतिक कार्यालय तथा रसूखदार लोगों के आवासों के बाहर मनमाने ढंग से खड़ी गाड़ियों पर कभी नहीं पड़ती गाड़ी को छोड़ने के लिए यह लोग 1500 रुपए की मांग करते हैं जिसमें से ₹1000 लिफ्टिंग चार्ज के रूप में व्यक्ति से वसूल किया जाता है। मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार अवैध पार्किंग का चालान ₹500 का होना चाहिए किंतु नगर निगम एवं यातायात पुलिस की सांठगांठ के चलते नागरिकों को 3 गुना शुल्क देना पड़ रहा है । यही नही अगर मोलतोल कर लिया तो 1000/-, 800/- में मान जायँ कुछ ले सकते हैं।
एक सूत्र के द्वारा ज्ञात हुआ 1500/ जमा किया गया जिसमें 500/- की चालान मोबाइल पर आया जिसमे 1000/- का कोई हिसाब नहीं।
पड़ताल करने पर पता चला किन नगर निगम जिन क्रेनो के द्वारा गाड़ियों को उठाए जाने का कार्य कर रहा है उनमें से अधिकतर का स्वयं ही ना तो बीमा है न ही प्रदूषण के कागज तैयार हैं ऐसी स्थिति में यह क्यों ना मान लिया जाए कि कानून व्यक्ति,स्थान एवं परिस्थिति के अनुसार कार्य कर रहा है । दूसरा प्रश्न यह उठता है कि जब प्रदेश में ई चालान की व्यवस्था लागू हो चुकी है तो यातायात पुलिस इसका प्रयोग करके ई चालान क्यों नहीं कर रही ? क्या यह कहना उचित न होगा कि वह ₹1000 जो लिफ्टिंग चार्ज के रूप में ग्राहक से लिए जा रहे हैं वह एक प्रकार का अनाधिकृत शुल्क है जोकि दोनों विभागों के आपसी सहयोग से वसूली जा रही है।
शासन में बैठे उच्च अधिकारियों को इस बाबत कोई आधारभूत कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है जिससे आम नागरिकों को हो रही है सुविधा एवं उनसे वसूला जा रहा अवैध एवं मनमाना शुल्क रोका जा सके।