आम जनता को झटका: जनवरी 2022 से महंगे हो जाएंगे कपड़े और फुटवियर, लगेगा 12 फीसदी GST

ब्यूरो डीडी इंडिया न्यूज

CMAI के बयान में कहा गया है कि लागत में वृद्धि का प्रभाव स्पष्ट दिखेगा क्योंकि उद्योग भारी महंगाई का सामना कर रहे हैं, कच्चे माल की कीमतों के साथ, विशेष रूप से यार्न, पैकिंग सामग्री, और माल ढुलाई में लगातार तेजी देखी जा रही है।

सरकार ने कुछ सामानों पर माल एवं सेवा कर (GST) बढ़ा दिया है जिससे उनकी कीमतें पहले की तुलना में बढ़ जाएंगी. जिन सामानों पर जीएसटी बढ़ाया गया है उनमें सिले-सिलाए कपड़े और वस्त्र (टेक्सटाइल) के साथ जूते-चप्पल (फुटवेयर) भी शामिल हैं। इस वस्तुओं पर पहले 5 फीसदी जीएसटी लगता था जिसे बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. यह नया नियम जनवरी, 2022 से लागू होगा।

ऐसी संभावना बहुत पहले से जताई जा रही थी कि सरकार वस्त्रों और रेडीमेड कपड़ों पर जीएसटी बढ़ा सकती है. इस तरह के सामानों पर जीएसटी की दर बढ़ाने की अधिसूचना को सेट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) ने 18 नवंबर को अधिसूचित किया है।

पहले क्या दर थी, आगे क्या होगी

नई घोषणा के मुताबिक, फैब्रिक या धागों पर जीएसटी को 5 परसेंट से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है. इसी तरह तैयार ड्रेस पर भी 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इससे पहले जिन ड्रेसों की कीमतें 1,000 रुपये तक था, उनपर ही 5 फीसदी का जीएसटी लगता था। अब सभी ड्रेसों को 12 परसेंट की लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. वस्त्र यानी कि टेक्सटाइल्स के रेट भी 12 परसेंट कर दिए गए हैं. इनमें बुने धागे, सिंथेटिक यार्न, पाइल फैब्रिक्स, कंबल, टेंट्स, टेबल क्लॉथ, तौलिया, नैपकिन, रूमाल, मेजमाल, कालीन, गलीचा, लोई और वैसे कपड़े जिन पर चित्र बने हों (टेपिस्ट्री) के जीएसटी रेट 5 से बढ़कर 12 परसेंट हो गए हैं. फुटवेयर के जीएसटी को 5 फीसदी (1000 रुपये/जोड़ी) से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया है।

कपड़ा संगठनों का विरोध


सरकार के इस कदम का क्लॉथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) ने विरोध किया है।संगठन का कहना है कि सरकार का यह कदम बहुत निराश करने वाला है क्योंकि वस्त्र उद्योग पहले ही महामारी का दंश झेल रहे हैं और ऊपर से सरकार ने जीएसटी बढ़ा दिया है. CMAI के अध्यक्ष राजेश मसंद ने ‘मिंट’ से कहा, सीएमएआई और देश के कई वाणिज्यिक संस्थाएं सरकार और जीएसटी से लगातार गुजारिश कर रहे हैं कि जीएसटी बढ़ाने के फैसले पर एक बार फिर से विचार किया जाए. लेकिन जीएसटी काउंसिल ने हमारी मांगों पर गौर नहीं किया, यह बेहद निराश करने वाली बात है।

आमजन पर होगा असर


CMAI के बयान में कहा गया है कि लागत में वृद्धि का प्रभाव स्पष्ट दिखेगा क्योंकि उद्योग भारी महंगाई का सामना कर रहे हैं, कच्चे माल की कीमतों के साथ, विशेष रूप से यार्न, पैकिंग सामग्री, और माल ढुलाई में लगातार तेजी देखी जा रही है।अगर जीएसटी नहीं बढ़ता तो भी बाजार में आने वाले सीजन में ड्रेसों की लागत में 15-20 प्रतिशत तक मूल्य वृद्धि देखने को मिलने की उम्मीद थी।इस उद्योग संगठन ने कहा कि भारत के परिधान बाजार के 80 प्रतिशत से अधिक कपड़ों में 1,000 रुपये से कम कीमत वाले कपड़े शामिल हैं। इन ड्रेस पर 5 फीसदी के बजाय जनवरी 2022 से 12 फीसदी जीएसटी लगेगा।

महंगे होंगे कपड़े


माना जा रहा है कि सरकार ने यह कदम ‘इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर’ की शिकायत को दूर करने के लिए उठाया है।लेकिन सीएमएआई का कहना है कि इसका असर उलटा होगा और इस तरह के स्ट्रक्चर से जुड़े उद्योग 15 फीसदी ही हैं. 15 फीसदी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार 85 फीसदी उद्योग को घाटे में डालने जा रही है।सीएमएआई ने कहा कि इससे देश के पूरे वस्त्र उद्योग पर गहरा असर दिखेगा।संगठन का कहना है कि इससे धागे महंगे होंगे, लिहाजा तैयार कपड़े महंगे होंगे और बाजार में महंगाई के चलते ड्रेस की मांग में गिरावट आएगी।

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