दैनिक इंडिया न्यूज़ ,गोरखपुर में गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में तीन दिवसीय आयुर्वेद-योग-नाथपंथ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनरुत्थान और इसकी वैश्विक उपयोगिता पर प्रकाश डाला।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद, योग और नाथपंथ भारतीय संस्कृति के ऐसे स्तंभ हैं जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उन्होंने बताया कि पंचकर्म और षट्कर्म जैसी प्राचीन प्रणालियां आयुर्वेद और हठयोग के मुख्य आधार हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि गोरखनाथ जी की परंपरा भारतीय मनीषा के उस रहस्य को प्रकट करती है, जिसमें शरीर को ब्रह्मांड के रूप में देखा गया है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा, “नाथपंथ चेतना के उच्चतम आयाम तक पहुंचने का मार्ग दिखाता है।”
संगोष्ठी में आयुर्वेद और योग से संबंधित नई शोध पत्रिकाओं और पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इनमें इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन-2025 और नाथ योग एवं आयुर्वेद प्रमुख हैं। मुख्यमंत्री ने देश-विदेश से आए चिकित्सकों और विद्वानों का आह्वान किया कि वे भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत करें।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू किए गए विश्व योग दिवस और आयुर्वेदिक केंद्रों की स्थापना को भी भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनर्जीवन की दिशा में मील का पत्थर बताया।
कार्यक्रम में कई विद्वान, चिकित्सक और योग प्रशिक्षक उपस्थित थे। संगोष्ठी के अंत में मुख्यमंत्री ने भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से मानवता की सेवा करने का आह्वान किया।