दैनिक इंडिया न्यूज,दिल्ली, 26 अगस्त 2024– राष्ट्रीय सनातन महासंघ के दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष जगतगुरु स्वामी अवधेश प्रपन्नाचार्य जी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं अर्पित की हैं। उन्होंने दैनिक इंडिया न्यूज़ के सम्पादक से विशेष बातचीत में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा गीता में दिए गए ज्ञान और भक्ति मार्ग पर चर्चा करते हुए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया।
जगतगुरु स्वामी अवधेश प्रपन्नाचार्य जी ने कहा कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह जीवन के उच्च आदर्शों को अपनाने और अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होने का अवसर भी है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे गीता के श्लोकों को अपने जीवन का मार्गदर्शन बनाएं और उन पर चलकर अपने जीवन में सफलता प्राप्त करें।
स्वामी जी ने गीता के कुछ महत्वपूर्ण श्लोकों का उल्लेख करते हुए कहा, “प्रभु श्री कृष्ण ने गीता में जो अमर ज्ञान दिया है, वह हर व्यक्ति के लिए एक सच्चा मार्गदर्शक है। उनके द्वारा दिया गया कर्म योग का संदेश हमें सिखाता है कि हमें अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों।” उन्होंने गीता के श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।” का उल्लेख करते हुए बताया कि यह श्लोक हमें बिना फल की चिंता किए अपने कार्य में लगे रहने की प्रेरणा देता है।
स्वामी अवधेश प्रपन्नाचार्य जी ने आगे कहा कि जीवन में आत्म-संयम और धैर्य का पालन करने से ही हम सच्चे अर्थों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने गीता के श्लोक “ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।” का उल्लेख करते हुए बताया कि इच्छाओं का अनियंत्रित होना हमें पथभ्रष्ट कर सकता है, इसलिए हमें अपने मन को नियंत्रित करना चाहिए।
भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए अटूट विश्वास के संदेश पर चर्चा करते हुए स्वामी जी ने कहा, “यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।” इस श्लोक के माध्यम से भगवान ने यह सिखाया है कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब वह स्वयं अधर्म का नाश करने आते हैं। यह श्लोक हमें जीवन में आने वाली कठिनाइयों से न घबराने और सदैव धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश देता है।
स्वामी जी ने अपने संदेश में त्याग और समर्पण के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने गीता के श्लोक “सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।” का उल्लेख करते हुए कहा कि जीवन में सच्ची शांति और मुक्ति केवल प्रभु के प्रति समर्पण और अपने कर्तव्यों का पालन करने से ही प्राप्त होती है।
उन्होंने युवाओं को दृढ़ निश्चय और साहस के महत्व का भी ज्ञान कराया और गीता के श्लोक “उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।” का उल्लेख करते हुए बताया कि हमें अपने आत्मबल को जागृत करना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए। यह श्लोक हमें सिखाता है कि हमारा सबसे बड़ा मित्र और शत्रु हमारा मन ही है, और मन को नियंत्रित करना ही सच्ची विजय है।
स्वामी जी ने अपने संदेश के अंत में कहा, “श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें जीवन में त्याग, भक्ति और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। युवाओं को चाहिए कि वे गीता के श्लोकों का अध्ययन करें और उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करें। यही सच्ची भक्ति और धर्म का पालन है।”
स्वामी जी का यह संदेश न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है। उनका संदेश विशेष रूप से युवाओं के लिए है, जो जीवन में सही मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गीता के सिद्धांतों का पालन कर ही हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और समाज में धर्म, ज्ञान, और सद्भावना की स्थापना कर सकते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जगतगुरु से फोन पर वार्ता करते हुए उनकी कुशलक्षेम पूछी और उन्हें राजधानी लखनऊ आने का निमंत्रण भी दिया।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व, दिल्ली के टिकरी बॉर्डर मेट्रो स्टेशन के समीप स्थित श्री शक्ति धाम मंदिर में भी भक्तों ने भजन गान कर मंदिर के दिव्यता में भव्यता का मनमोहक भाव भर दिया। इस अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई और सैकड़ों भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हुए अपनी श्रद्धा व्यक्त की।