सूर्यार्घ्यदान – विसर्जन – जप समाप्ति के बाद पूजा वेदी पर रखे छोटे कलश का जल सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के भाव से पूर्व दिशा में सूर्य भगवान को र्अघ्य रूप में निम्न मंत्र के उच्चारण के साथ चढ़ायें ।
ॐ सूर्यदेव! सहस्रांशो, तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर॥
ॐ सूर्याय नमः, आदित्याय नमः, भास्कराय नमः॥
इतना सब करने के बाद दान स्वरूप अपनी कमाई के एक अंश कहीं दान अवश्य करें या तो गरीब कन्याओं को भोजन करायें, निश्चित ही माँ गायत्री आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगी ।