116 देशों में मंकी पॉक्स का बढ़ा भय
दैनिक इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली 15 अगस्त 2024 ,दुनिया के 116 देशों में एमपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर दाने और चकत्ते उभर आते हैं। 1958 में इस वायरस की खोज सबसे पहले बंदरों में हुईबढ़ा थी, जिसके बाद यह वायरस धीरे-धीरे इंसानों में फैलने लगा।
भारत में एमपॉक्स का प्रभाव:
भारत में एमपॉक्स वायरस का असर अभी सीमित है। जनवरी 2022 से जून 2024 के बीच भारत में कुल 27 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से एक व्यक्ति की मौत हुई थी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल भारत में इस वायरस से बड़ा खतरा नहीं है। देश में कुछ वैक्सीन उपलब्ध हैं जो इस वायरस के उपचार में प्रभावी हो सकती हैं। इसके साथ ही, इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स पर सख्त निगरानी और संक्रमितों की पहचान से इस वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है।
एमपॉक्स के वैश्विक स्तर पर प्रभाव:
WHO ने अपने ताजा बयान में कहा कि एमपॉक्स के मामलों में तेजी के कारण इमरजेंसी घोषित करना आवश्यक हो गया है। WHO के अनुसार, यह वायरस तेजी से फैलता है और कई देशों में इसके मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है। एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है। इसे ध्यान में रखते हुए WHO ने लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी है, ताकि स्थिति और गंभीर न हो।
कांगो में एमपॉक्स का कहर:
कांगो में अब तक एमपॉक्स के 14,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। चिंता की बात यह है कि इस वायरस से 15 साल से कम उम्र की लड़कियों को भी खतरा है। कांगो में इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकाल की घोषणा की है, ताकि स्थिति को और खराब होने से रोका जा सके।
मानसी मंकी पार्क की रिसर्च रिपोर्ट:
मानसी मंकी पार्क, जो वन्यजीवों पर विशेष रूप से मंकीपॉक्स और अन्य संबंधित वायरस पर रिसर्च करने वाला एक प्रमुख संस्थान है, ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस का उत्पत्ति स्रोत प्राचीन अफ्रीकी बंदरों से जुड़ा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बंदरों के माध्यम से यह वायरस इंसानों में फैलने लगा, और समय के साथ इसमें कई म्यूटेशन्स हुए, जिससे यह वायरस इंसानों के लिए और भी खतरनाक बन गया है।
मानसी मंकी पार्क की रिसर्च टीम ने एमपॉक्स वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एक नई वैक्सीन के विकास पर भी काम शुरू किया है, जिसमें उन्होंने प्रारंभिक सफलताएँ प्राप्त की हैं। इस वैक्सीन का परीक्षण अभी प्रारंभिक चरण में है, और इसके परिणाम उत्साहजनक हैं। मानसी मंकी पार्क के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वैक्सीन के जरिए भविष्य में इस वायरस को नियंत्रित करना संभव हो सकता है।
एमपॉक्स के लक्षण और बचाव:
डॉ. ईश्वर गिलाडा, जो भारत के प्रमुख स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं, ने बताया कि एमपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति को बुखार, चकत्ते, लिम्फ नोड का बढ़ना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, अत्यधिक थकावट, और सूजे हुए लिम्फ नोड्स जैसे लक्षण हो सकते हैं। आमतौर पर ये लक्षण 2-4 सप्ताह तक बने रहते हैं। एमपॉक्स से पीड़ित अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर सकती है।
भारत की स्थिति और सावधानियाँ:
भारत में एमपॉक्स वायरस के संभावित प्रसार को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर विदेश से आने वाले यात्रियों की सख्त निगरानी की जा रही है। साथ ही, संक्रमित मामलों की त्वरित पहचान और आइसोलेशन के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन उत्पादन में भारत की ताकत का उपयोग इस वायरस के नियंत्रण में किया जा सकता है, और सरकार इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है।
एमपॉक्स वायरस के बारे में जागरूकता फैलाने और इसके प्रसार को रोकने के लिए जनस्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे किसी भी संदिग्ध लक्षणों की जानकारी तत्काल चिकित्सकों को दें और आवश्यक सावधानियाँ बरतें।