प्राण प्रतिष्ठा की शुभ मुहूर्त, खुद ईश्वर ने रखवाई है।—- डॉ. विजय कुमार मिश्र,
दैनिक इंडिया न्यूज
हे युग अर्जुन नहीं अयोध्या, मथुरा काशी जाना है। चुप मत बैठो शक्ति संधानों, भारत भाग्य जगाना है।। अवधपुरी की हूंक सुनो, जो हर मन की अगंड़ाई है। रामलला स्व धाम विराजें, साक्षी सरयू माई हैं।। प्राण-प्रतिष्ठा की शुभमुहूर्त, खुद ईश्वर ने रखवाई है। बाईस जनवरी सन् चौबीस, तिथि नभ मण्डल पर छाई है।। पांच अगस्त सन बीस, शिला धर सबने प्रण ठाना है। पांच सौ वर्षीय संघर्षों पर, स्वाभिमान दिखलाना है। एक भाव में एक साथ मिल, मंदिर पूर्ण कराना है।। चुप मत बैठो शक्ति संधानों, भारत भाग्य जगाना है। जो सबका शुभ करता आया, तुम क्यों प्रश्न खड़ा करते। जिसने लाखों घर बनवाया, उसके घर पर क्यों लड़ते।। भले मुहूर्त अशुभ हो क्यों न, राम तो मेरा शुभ ही है। दुनियां का है वह रखवाला, राम मेरा तो प्रभु ही है।। जिसके जीवन राम बसें, वह जीवन शुभ मूहूर्त बनता। चकरी गगरी कुआं बावड़ी, खोदते राम नाम जपता।। राम नाम शुभ होता आया, शुभ ही हमने जाना है। अशुभ भाव वालों को मिलकर, शुभ का ज्ञान कराना है।। चुप मत बैठो शक्ति संधानों, भारत भाग्य जगाना है। इस ऐतिहासिक दिवस के लिए, लाखों ने बलिदान दिया। प्रत्यक्ष और परोक्ष असंख्यों, ने अद्भुत अभियान दिया। धर्म संस्कृति राष्ट्रचेतना, की हुंकार नहीं रुकना। गौरवपूर्ण धर्मनिष्ठों का, तपः विधान नहीं रुकना, त्यागपूर्ण भारतीय चैत्य का, जन अभियान चलाना है। चुप मत बैठो शक्ति संधानों, भारत भाग्य जगाना है। गौरवमय इन आदर्शों पर, सारा विश्व सचेत खड़ा। रामलला स्थापित हो रहे, है मंदिर अभियान बड़ा।। घर घर में हो राम प्रतिष्ठा, हर मन श्रद्धा से पूंजें। नहीं अयोध्या केवल अब, संसद में रामाधुन गूंजे।। हर सिक्के व हर नोटों पर, राम प्रतिष्ठा लाना है। विश्व के कोने कोने तक, राम की हूक जगाना है।। चुप मत बैठो शक्ति संधानों, भारत भाग्य जगाना है।