महाकुंभ 2025: सनातन धर्म की दिव्यता और आस्था का महोत्सव,- जेपी सिंह
दैनिक इंडिया न्यूज़ नई दिल्ली। 13 जनवरी, 2025
महाकुंभ 2025 सनातन धर्म की गौरवशाली परंपरा और भारतीय संस्कृति की दिव्यता को समर्पित एक अद्वितीय आयोजन है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आयोजित यह महापर्व आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का अनुपम संगम है, जो करोड़ों श्रद्धालुओं को आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर प्रदान करता है।
राष्ट्रीय सनातन महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र प्रताप सिंह ने समस्त देशवासियों को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं ज्ञापित करते हुए महाकुंभ में भाग लेने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि “महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह सनातन धर्म की दिव्यता, एकता और परंपरा को समर्पित विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक महोत्सव है। संगम में स्नान के माध्यम से न केवल आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है, बल्कि यह सनातन संस्कृति के आदर्शों का पालन करने का अवसर भी प्रदान करता है।”
महाकुंभ की विशेषताएं:
धार्मिक अनुष्ठान: संतों, महंतों और साधु-संन्यासियों के मार्गदर्शन में विशेष यज्ञ, पूजा-अर्चना और प्रवचन का आयोजन किया गया है।
कल्पवास परंपरा: लाखों कल्पवासी पवित्र संगम तट पर एक मास का व्रत लेकर साधना और तपस्या करते हैं।
सांस्कृतिक आयोजन: महाकुंभ के दौरान आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन सनातन धर्म की समृद्ध धरोहर को दर्शाता है।
स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण: गंगा की निर्मलता और पर्यावरण की पवित्रता को बनाए रखने के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
महाकुंभ की दिव्यता का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक संस्कृत श्लोक का भी उल्लेख किया:
“त्रिषु तीर्थेषु पुण्यं च, माघे स्नानं विशेषतः।
गंगे यमुने चैव, सर्वपापक्षयाकरम्।।”
(अर्थ: तीर्थों में पवित्र स्नान से पुण्य की प्राप्ति होती है, विशेषकर माघ मास में गंगा और यमुना के संगम पर स्नान समस्त पापों का नाश करता है।)
जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि महाकुंभ सनातन धर्म की आस्था और सांस्कृतिक विरासत का जीता-जागता उदाहरण है। देश-विदेश के श्रद्धालु इस महायज्ञ में सम्मिलित होकर सनातन धर्म की पवित्रता और महानता का अनुभव कर रहे हैं। उन्होंने समस्त सनातन अनुयायियों से इस महापर्व में सहभागी बनने का आग्रह किया है।